तेजस्वी यादव ने पूछा, क्या जाति मेरे बाप ने बनाई है?

Tejaswi-Yadav2तहलका एक्सप्रेस

पटना। क्रिकेटर से नेता बने राष्ट्रीय जनता दल चीफ लालू प्रसाद यादव के 26 वर्षीय बेटे तेजस्वी राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी हैं। नीतीश के नेतृत्व वाले महागठबंधन में तेजस्वी स्टार कैंपेनर हैं। इसमें कांग्रेस, जेडीयू और आरजेडी शामिल हैं। तेजस्वी यादव ने रेडिफ डॉट कॉम को दिये इंटरव्यू में अपने पिता की राजनीति पर खुलकर बात की है।

तेजस्वी ने कहा, ‘महागठबंधन को हमारे प्रतिद्वंद्वी हल्के में ले रहे हैं। हमलोग इस चुनाव को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। हमें लोग काफी तवज्जो दे रहे हैं। हम कह सकते हैं इस लड़ाई में महागठबंधन अगली पंक्ति में हैं। यदि बिहार में यही माहौल रहा तो महागठबंधन को दो तिहाई बहुमत मिलेगा।’

तेजस्वी से पूछा गया कि वह राघोपुर सीट से जीत को लेकर क्यों आश्वस्त हैं? इस सवाल के जवाब में तेजस्वी ने कहा, ‘यह पारंपरिक सीट है। राघोपुर से मेरे पिता लालू प्रसाद यादव और मां राबड़ी देवी 1990 से जीतते आ रहे हैं। पिछले चुनाव में केवल मेरी मां को हार का सामना करना पड़ा था। (2010 के चुनाव में जेडयू के सतीश कुमार यादव ने राबड़ी देवी को पटखनी दी थी) राघोपुर में कोई भी लड़ाई में नहीं है। बीजेपी के सतीश कुमार यादव भी दूर-दूर तक नहीं हैं। राघोपुर में लोगों ने मुझसे बताया कि सतीश कुमार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया।’

तेजस्वी से पूछा गया कि आपके पिता इस चुनाव को देश के लिए बेहद अहम क्यों बता रहे हैं? इसके जवाब में तेजस्वी ने कहा, ‘वह बिल्कुल सही हैं। बिहार विधानसभा चुनाव से केवल प्रदेश की दशा-दिशा तय होगी बल्कि देश की भी होगी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी का भविष्य भी यह चुनाव तय करेगा। इस चुनाव का असर देश के नीति निर्माण पर भी पड़ेगा। बेहद अहम और संवेदनशील मुद्दों का भविष्य इस चुनाव से तय होगा। इनमें भूमि अधिग्रहण बिल, आरक्षण जैसे अहम मुद्दे हैं। यदि महागठबंधन एनडीए को हराने में कामयाब रहता है तो हमारा सेक्युलर ताना-बाना और अभिव्यक्ति की आजादी को मजबूत जमीन मिलेगी।’

ऐसी धारणा है कि लालू यादव और आरजेडी जाति की राजनीति में लिप्त रहते हैं और उनके लिए विकास कोई मुद्दा नहीं है। इस पर तोजस्वी ने कहा, ‘बीजेपी के लिए विकास जुमला से ज्यादा कुछ भी नहीं है। मोदी ने युवाओं के लिए हर वर्ष दो करोड़ जॉब देने का वादा किया था। उन्होंने ब्लैक मनी वापस लाने और भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा किया था। डेढ़ साल में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। जब मेरे पिता रेल मंत्री थे तो उनके डिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट्स की सरहाना हुई थी। उन्होंने बिहार में कई इंडस्ट्री की स्थापना की। मेरी मां और पिता दोनों ने विकास के लिए अलग-अलग काम किए हैं।’

तेजस्वी ने कहा, ‘हमलोग हाशिये पर खड़े लोगों को सामाजिक न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। 1990 से ही लालू प्रसाद गरीबों की लड़ाई लड़ रहे हैं। क्या गरीबों के लिए आवाज उठाना अपराध है? ढाई दशक पहले तक इनकी कोई आवाज नहीं थी। इनके लिए कोई जगह नहीं थी। इनके लिए किसी समाज में इज्जत नहीं थी। लालू प्रसाद ने इनकी जिंदगी में बदलाव लाने का काम किया है।’

तेजस्वी ने कहा, ‘लालू प्रसाद ने हाशिये पर खड़े लोगों के लिए काम किया है। गरीब लोग इस चीज को महसूस भी करते हैं। किस तरह के विकास की बात हमारे प्रतिद्वंद्वी करते हैं? हमलोग सभी के विकास की बात करते हैं। हम गरीबों के विकास की बात करते हैं। हमारे प्रतिद्वंद्वी हमारी राजीनीति को जातिवादी बताते हैं, मानो जाति की अवधारणा हमारे साथ ही आई है। क्या जाति लालू प्रसाद ने बनाई है? वह एकलौते शख्स हैं जिन्होंने वंचितों को राजनीति में जगह दी।’

आपके पिता ने ही बिहार चुनाव को अगड़े और पिछड़ो की जंग करार दिया है, क्या यह जाति की राजनीति नहीं है? इस पर तेजस्वी ने कहा, ‘बिल्कुल नहीं। मेरे पिता ने इस टर्म का इस्तेमाल गरीब और अमीर की पहचान के लिए किया है। मेरे पिता ने कभी भी अपर कास्ट के खिलाफ कोई बात नहीं कही है। यह सोची समझी रणनीति का हिस्सा है ताकि मेरे पिता की राजनीति को बदनाम किया जा सके।’

 

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