दार्जिलिंग संकट पर राजनाथ ने किया हस्तक्षेप, गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट

दार्जिलिंग। दार्जिलिंग संकट पर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा से केंद्र सरकार तब तक बातचीत नहीं शुरू करना चाहती जब तक कि पश्चिम बंगाल सरकार इसके लिए अपनी स्वीकृति नहीं दे देती. शुक्रवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ वहां के हालात पर चर्चा की.

पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र सरकार के सामने साफ किया है कि उसने प्राइमरी और सेकंडरी लेवल में बांग्ला को अनिवार्य बनाने के लिए कोई कार्यकारी आदेश पारित नहीं किया है. इसलिए इस मामले में कोई स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं है.

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) इस बात पर जोर देती आई है कि सरकार ऑर्डर पारित कर तीन भाषा विवाद में अपने पक्ष को साफ करे. इसी के चलते पश्चिम बंगाल के नेपाली भाषा वाले बहूल इलाके में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए.

बांग्ला के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन अब अलग राज्य के मांग को हवा दे चुका है और जीजेएम अपने पुराने 2012 के रुख में वापस लौट गई है. हालांकि बाद में वो अस्थाई रूप से अलग राज्य की मांग को छोड़ स्वायत्त प्रशासनिक इकाई पर राजी हो गए.

बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में दार्जिलिंग से सांसद और कृषि राज्य मंत्री एस एस अहलुवालिया ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिख केंद्र से गोरखाओं और उत्तरी बंगाल के दूसरे समुदायों के लंबे वक्त से चले आ रहे मांग पर विचार करने को कहा था.

बीजेपी के 2014 लोकसभा चुनावों के घोषणापत्र में इस संदर्भ में ऐसा ही कुछ जिक्र किया था. बहराल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने केंद्र को साफ कर दिया है कि बातचीत तब तक शुरू नहीं हो सकती जब तक कि हिंसा बंद नहीं होता और बंद वापस नहीं ले लिया जाता.

शुक्रवार को हिंसा बढ़ने के बाद राजनाथ सिंह ने गृह सचिव से बात कर इस मामले में विस्तृत्त रिपोर्ट मांगी है.

अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने के दौरान सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में भारतीय रिजर्व बटालियन के एक अधिकारी को कुकरी से घोंपकर घायल कर दिया गया. उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है.

जीजेएम का दावा है कि पुलिस की गोली में उसके दो समर्थकों की मौत हो गई है. लेकिन इसपर अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है.

 

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