दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस, अलकायदा या लश्कर-ए-तायबा नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) है

जब मुस्लिम और कुछ कांग्रेस के नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) को अक्सर आरएसएस को एक आतंकवादी संगठन कहा मैंने इस बात को अनदेखा करदिया पर जब इस बार प्रकाश राज और कमल हसन जैसे प्रख्यात अभिनेताओं ने यही बात खी तो मैं उसको अनदेखा नहीं कर पाई।

जब मैंने आरएसएस के बारे में शोध करना शुरू कर दिया, तो मुझे बहुत हैरानी हुई क्यूंकि मैंने देखा की जब से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई है तब से ही वे आतंकवादी गतिविधियां से जुड़े हुए है। जब भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध हो रहा था,क्या आप जानते हैं कि आरएसएस ने किस तरह भारत को धोखा दिया?

हम जानते हैं कि कांग्रेस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) से तहे दिल से नफरत करती है, फिर भी नेहरू ने 1963 में गणतंत्र दिवस की सैन्ययात्रा पर आने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) से अनुरोध किया था। इसका कारण यह था कि आरएसएस स्वयंसेवकों ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान रक्तदान करके आतंकवाद के प्रति योगदान दिया था।परिणामस्वरूप, 1963 की गणतंत्र दिवस की सैन्ययात्रा में 3500 स्वयंसेवक ने हिस्सा लिया था।

1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान, इस आतंकवादी संगठन ने एक बार फिर अपना वास्तविक चेहरा दिखाया।आरएसएस स्वयंसेवकों ने राहत कार्य में खुद को शामिल किया और तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री और भारतीय सेना के जनरल खुशवंत सिंह ने इस की सराहना भी की।क्या होता यदि इस संगठन ने उस समय भारत के शत्रुओं के साथ हाथ मिला लिया होता।तत्कालीन प्रधानमंत्री  इस संगठन पर कैसे इतना विश्वास कर सकते है?

आरएसएस ने अपने ढोंग को यहीं नहीं रोक दिया क्योंकि यह 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भी जारी रहा था। हां ये उस युद्ध के दौरान रक्तदान करने वाला पहला संगठन था। किस तरह की आतंकवादी मानसिकता इस संगठन के पास है क्या होगा अगर ये आतंकवादी संगठन जो डर और नफरत फैलाता है उसने अपने खून में कुछ मिला दिया हो ?

भूकंप या बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, यह आतंकवादी संगठन अपने   कार्यकर्ताओं से भरा गिरोह भेजता है।बाढ़ के दौरान, कार्यकर्ताओं को भोजन और पानी की सहायता देते देखा जा सकता है। जब कार्यकर्ताओं से ये पूछा गया की  “आप भोजन और पानी के डिब्बे के पैकेट क्यों उठाये हुए हैं?” तो आतंकवादी संगठन द्वारा दिया गया उत्तर बहुत चोंकाने वाला था। एक स्वयंसेवक ने कहा कि ये खाना और पानी बाढ़ प्रभावित लोगों को दिया जाएगा।

लेकिन क्या होता अगर इन कार्यकर्ताओं ने निर्दोष बाढ़ पीड़ितों को डुबाने का प्रयास किया होता?क्या होता अगर उन्होंने भोजन में जहर मिला दिया होता? आरएसएस कैसा एक घातक संगठन है।

आरएसएस के एजेंट पूरे भारत में और हर सरकारी और निजी संगठनों में हैं।सबसे अच्छा उदाहरण प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी हैं। वह आरएसएस के एक कट्टर अनुयायी हैं। क्या होता अगर बोफोर्स, 2 जी जैसे घोटाले को उन्होंने अंजाम दिया होता? या विदेश यात्रा के नाम पर वे भारत से पलायन कर लेते।

भारत एक लोकतांत्रिक देश है और कई दिन पहले, पीएफआई के महिला विंग प्रमुख ने कहा कि अगर भारत में आरएसएस सक्रिय नहीं होता तो भारत एक इस्लामी राष्ट्र होता।क्या यह आरएसएस पर एक कलंक नहीं है?वे कैसे एक इस्लामी संगठन को अपने अच्छे इरादे से एक लोकतांत्रिक राष्ट्र से भारत को एक इस्लामी राष्ट्र में परिवर्तित करने से रोक सकते हैं? शर्मनाक !!!

महात्मा गांधी ने आरएसएस की प्रशंसा की !!! वह यह कैसे कर सकता है?

आरएसएस को 1925 में स्थापित किया गया था, लेकिन 1934 में गांधीजी ने 1500 स्वयंसेवकों के शिविर का वर्धा में दौरा किया था

“मैं आरएसएस शिविर कुछ साल पहले गया था, जब संस्थापक श्री हेडगेवार जीवित थे। मैं वहाँ के अनुशासन, अस्पृश्यता का पूर्ण अभाव और कठोर सादगी को देखकर काफी प्रभावित हुआ था। मुझे यकीन है कि कोई भी संगठन जो सेवा के उच्च आदर्श और आत्म-बलिदान से प्रेरित है वो बहुत तरक्की करेगा” ये गांधीजी के शब्द थे जब उन्होंने 16 सितंबर 1947 को दिल्ली में भंगी कॉलोनी में संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था। मैं यह सुनकर बहुत हैरान हूँ कि ‘राष्ट्र के पिता’ ने भी इस आतंकवादी संगठन की प्रशंसा की थी।

भारतीय संविधान के निर्माता डॉ बीआर अम्बेडकर ने भी आरएसएस की प्रशंसा की थी!पर क्यूँ?

“मैं स्वयंसेवकों की दूसरों के जाति के बारे में जाने बिना पूर्ण समानता से एक दुसरे के साथ आगे बड़ते देख के आश्चर्यचकित हूं” यह कथन मई 1939 को   पुणे शिविर, में डॉ अम्बेडकर द्वारा दिया गया था।

आरएसएस ने पुर्तगाली को दादर और नगर हवेली से भागने के लिए मजबूर किया !!! क्या यह अतिथि देवो भव है?

यह बिल्कुल असहिष्णुता का एक कार्य है जो विदेशी भारतीय मिट्टी पर रहते थे यानि की पुर्तगाली को आतंकवादी संगठन आरएसएस द्वारा अपना सामान उठाकर भारत से बहार जाने के लिए मजबूर किया गया था, जिससे ये स्पष्ट है कि आरएसएस अतिथि देवो भव का अनुसरण नहीं कर रहा है।अतिथि भगवान के समान होता है। उनको पुर्तगाली को भारत पर शासन करने की अनुमति देनी चाहिए थी।

आरएसएस के संस्थापक, केशव बलराम हेडगेवार पर अंग्रेजों द्वारा 1921 में राजद्रोह का आरोप लगाया गया था और एक वर्ष के लिए उन्हें कैद किया गया था। अंग्रेजों ने एक सराहनीय काम किया था इस आतंकवादी संगठन के संस्थापक को कैद करके।

भारत को आजादी मिलने के बाद सबसे मुश्किल काम कई रियासतों को एक करने का था। सरदार पटेल ने  एम.एस. गोलवलकर को महाराजा हरि सिंह को भारत में शामिल होने के लिए समझाने का काम दिया था।सरदार पटेल आरएसएस नाम के   आतंकवादी संगठन को इस कार्य की जिम्मेवारी कैसे दे सकते हैं। क्या होता अगर वह महाराजा को पाकिस्तान में शामिल होने के लिए प्रेरित करते ?

अब हम इस बात पर ध्यान दें कि आरएसएस ने एनजीओ की प्रतिष्ठा को सफलतापूर्वक कैसे लुभाया है जैसे की आईएसआईएस और पीएफआई !!!

शांतिपूर्ण संगठन जैसे आईएसआईएस, अल कायदा, लश्कर-ए-थय्याबा, पीएफआई, जिन्होंने ऊपर काफी पेशेवर और बर्बर रूप से लाखों अपराधियों को नष्ट करने का श्रेय है उन्हें आतंकवादी संगठन कहा जाता है।

मुझे इस पर हैरानी है क्योंकि वे आतंकवादी संगठन नहीं हैं, वे एनजीओ हैं जो नि: स्वार्थ दुनिया में शांति बहाल करने की दिशा में काम कर रहा है।

हाल ही में, पीएफआई नामक गैर सरकारी संगठन के छह सदस्य आईएसआईएस में शामिल हुए हैं। यह वास्तव में एक प्रशंसनीय नौकरी है और ये छह पुरुष मानव जाति के उत्थान के लिए काम करेंगे।

पीएफआई एक महान उपकरण का उपयोग करके हिंदुओं और ईसाइयों को इस्लाम में बदलने में भी शामिल है जो है ‘लव जिहाद’ नामक योजना।दरअसल, इस योजना को संयुक्त राष्ट्र संगठन द्वारा समर्थित और वित्त पोषित किया जाना चाहिए था।अफसोस की बात है कि वैश्विक शक्तियां पीएफआई, सिमी, आईएसआईएस जैसी एनजीओ का समर्थन नहीं करती हैं।

एक एनजीओ आईएसआईएस के एक सदस्य ने पैदल चलने वालों के ऊपर अपना वाहन चड़ा दिया जिससे 8 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। कितना महान काम इस आदमी द्वारा पूरा किया गया। लेकिन लोग उसे आतंकवादी कहते हैं। क्या यह उचित है?

लश्कर-ए-तैयबा ने करीब 200 लोगों को नष्ट करने का एक अन्य प्रमुख काम किया था मुंबई पर 2008 में हमला कर के।इस कार्य को मान्यता प्राप्त होनी चाहिए था और ‘महान शांति पुरस्कार’ प्रस्तुत किआ जाना चाहिए था।  दुर्भाग्य से, प्रकाश राज और कमल हासन के अलावा,कोई भी इस महान कार्य की बात नहीं कर रहा है।

इसे पढ़ने के बाद आपको यह आश्वस्त हो सकता है कि यदि भारत या विश्व में मानवता मौजूद है,तो यह आईएसआईएस, पीएफआई, अल कायदा जैसे गैर-सरकारी संगठनों के कारण है। और अगर मानवता खतरे में है, तो केवल एक संगठन इसके लिए दोषी है और वह आरएसएस है।

 

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