देवरिया बालिका गृह केस: अभी मिलने बाकी हैं इन सवालों के जवाब

देवरिया। उत्तर प्रदेश के देवरिया स्थित मां विंध्यवासिनी बालिका गृह में बच्चियों के यौन उत्पीड़न के मामला सामने आया है जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. देवरिया के इस बालिका गृह में कुल 42 बच्चियां रह रही थी जिनमें से 24 को छुड़ाया जा चुका है और 18 बच्चियों का कोई पता नहीं है.

मामला सामने आने के बाद प्रशासन पूरी तरह से हरकत में आ चुका है, जांच में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है. फिर भी कई ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब मिलना अभी बाकी है. एक तरफ तो हायर कमिटी की तरफ से प्रशासन दवारा लापरवाही बरतने की बात कही जा रही है पर इन सबके बीच जो बात सबसे ज्यादा हैरान करती है वो ये कि खुद महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्सेज अथॉरिटी (Central Adoption Resource Authority) की वेबसाइट पर ये संस्था सर्टिफाइड लिस्ट में है. जबकि यहां गड़बड़ी की खबरें पहले भी आती रही हैं.

वेबसाइट पर जो जानकारी दी गई है उसके मुताबिक….

संस्था का नाम- मां विंध्यवासिनी महिला प्रक्षिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान
एजेंसी कोड UP201661
पता – स्टेशन रोड देवरिया
सम्पर्क व्यक्ति – संजीव त्रिपाठी

इस शेल्टर होम में बच्चों की संख्या 7 बताई गई है, जिनमे चार गोद लेने के योग्य हैं. यानी की महिला एवं बाल विकास की इस वेबसाइट पर इसकी सम्बद्धता आज भी है. ऐसा कैसे हुआ ये अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है.

कुछ और सवाल..

    • अब तक मिली जानकारी के मुताबिक जब संस्था को प्रतिबंधित कर दिया था तो यहां तक की उसे बंद करने और बच्चों को वहां से ट्रांसफर करने के आदेश तक दे दिए गए थे. तो वो चल कैसे रही थी.
    • बालिका गृह में लड़कियों के खाने-पीने, कपड़े का खर्च कहां से आ रहा था.
    • जब सीबीआई ने अपनी जांच में इस संस्था में अनियमितता पाई थी तो उसे पालना गृह खोलने की इजाजत किसने दी.
    • आखिर किन कारणों की वजह से संस्था को सरकार की तरफ से मिलने वाला अनुदान बंद हो गया था.
    • अगर प्रशासन को किसी लापरवाही की जानकारी थी तो फिर अनाथ बच्चियों को क्यों वहां रखने के लिए भेजा जाता था. बालिका गृह की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी ने कहा था कि सबसे ज्यादे तो मैंने प्रशासन द्वारा भेजी लड़कियों यहां रखा है, उन्हें खिलाया पिलाया है.
    • मां विंध्यवासिनी संस्था द्वारा मजदूरों के बच्चों के लिए डे केयर की योजना शुरू की गई थी जिसमें करोड़ों रुपये की अनियमितता की बात सामने आई थी. उसके बाद भी क्यों प्रशासन की नींद नहीं टूटी.

महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा था कि पिछले साल सीबीआई की जांच के बाद ये सामने आया था कि ये बालिक गृह अवैध रूप से चल रहा है. इस तत्काल बंद करने के आदेश दिए गए थे, लेकिन आदेश का पालन नहीं हुआ. विभाग ने पिछले दिनों इस मामले में एक मुकदमा भी दर्ज कराया था. आखिर क्यों इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया.

 

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