देश के सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पाइप जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केंद्र ने 100 दिनों का चलाया अभियान

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वीं जयंती के अवसर पर शुक्रवार को देश के सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 100 दिनों का अभियान चलाया। इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, “प्रधानमंत्री (Prime Minister ) नरेंद्र मोदी ने 29 सितंबर को जल जीवन मिशन के ‘लोगो’ को लॉन्च किया था।

आंगनवाड़ी केंद्रों में पीने का साफ पानी सुनिश्चित करने के लिए अपील की

तब प्रधानमंत्री ने देश के सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने का आह्वान किया। जिससे 100 दिन का अभियान शुरू किया जा रहा है। उन्होंने सभी राज्य सरकारों से अगले 100 दिनों में स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पीने का साफ पानी सुनिश्चित करने के लिए अपील की।

राष्ट्रपिता’ की 151वीं जयंती पर उन्हें एक श्रद्धांजलि

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों से अपील करते हुए चिट्ठी लिखी है। शेखावत ने लिखा कि वे अपने राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले इस 100 दिनों के अभियान का नेतृत्व करें। साथ ही शेखावत ने राज्य के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल से इसे “जन आंदोलन” बनाने की अपील भी की है। केंद्रीय मंत्री शेखावत ने अपने पत्र में कहा, “यह ‘100 दिनों का अभियान’ देश के हर बच्चे के समग्र विकास को सुनिश्चित करके उनके चेहरे पर मुस्कान लाने का एक अवसर है।” यह हमारी ‘राष्ट्रपिता’ की 151वीं जयंती पर उन्हें एक श्रद्धांजलि होगी।

स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पत्र में लिखा कि जल जीवन मिशन – हर घर जल का लक्ष्य महिलाओं और बच्चों पर विशेष ध्यान देने के साथ घरों में पानी की आपूर्ति करना है। बच्चों के लिए स्वच्छ जल सुनिश्चित करना जेजेएम की प्राथमिकता है, क्योंकि वे जल-जनित बीमारियों जैसे टाइफाइड, पेचिश, दस्त, हैजा आदि के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। अपने प्रारंभिक वर्षों में दूषित जल पीने के कारण बार-बार होने वाले संक्रमण में दुर्बल प्रभाव हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्टंटिंग हो सकती है। उन क्षेत्रों में स्थिति बहुत अधिक जटिल है जहां आर्सेनिक, फ्लोराइड और अन्य भारी धातुओं आदि से जल स्रोत दूषित पाए जाते हैं। लंबे समय तक दूषित पानी पीने से आर्सेनिकोसिस, फ्लोरोसिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

उन्होंने चिट्ठी में आगे लिखा कि इन गंभीर मुद्दों से निपटने के लिए, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों, स्वास्थ्य सेवा केंद्रों आदि में नल के पानी के कनेक्शन के माध्यम से स्वच्छ जल सुनिश्चित करने के लिए जेजेएम के तहत प्रावधान किए गए हैं। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग / ग्रामीण जल आपूर्ति विभागों और अन्य विभागों जैसे शिक्षा, महिला और बाल विकास, आदिवासी कल्याण, ग्राम पंचायतों / VWSCs / पानी समितियों, स्थानीय समुदायों, क्षेत्र के भागीदार लोग, एनजीओ, स्वयं सहायता ग्रुप इत्यादि समयबद्ध अभियान के रूप में ठोस प्रयासों की मांग करते हैं, ताकि इसे एक सच्चा ‘जन आन्दोलन’ बनाया जा सके।

 

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