देश को समझने के लिए कुछ दिन गांवों में गुजारें देश के युवा: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस 71वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने युवाओं को देश की वास्तविकता जानने के लिए गांव में वक्त बिताने की सलाह दी. राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि अनेक विश्वविद्यालयों में अपने संवादों के दौरान, उन्होंने विद्यार्थियों से यह आग्रह किया है कि वे साल में चार या पांच दिन किसी गांव में बिताएं. U.S.R. यानि ‘यूनिवर्सिटीज़ सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी’ के रूप में किए जाने वाले इस प्रयास से विद्यार्थियों में, अपने देश की वास्तविकताओं के बारे में, जानकारी बढ़ेगी.

रामनाथ कोविंद ने कहा कि इससे युवाओं को सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों से जुड़ने और उनमें भाग लेने का अवसर मिलेगा, और वे ऐसे कार्यक्रमों के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे. उन्होने कहा कि इस पहल से विद्यार्थियों को भी लाभ होगा और साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्रों को भी मदद मिलेगी. जिससे हमारी आज़ादी के संघर्ष जैसा जोश फिर से पैदा होगा और हर नागरिक को राष्ट्र-निर्माण से जुड़ने की प्रेरणा मिलेगी.

देश की युवाशक्ति की सराहना करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि युवाओं में आदर्शवाद और उत्साह देखकर उन्हें बहुत संतोष का अनुभव होता है. उनमें अपने लिए, अपने परिवार के लिए, समाज के लिए और अपने देश के लिए कुछ हासिल करने की भावना दिखाई देती है. नैतिक शिक्षा का इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता है.

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त कर लेना ही नहीं है, बल्कि सभी के जीवन को बेहतर बनाने की भावना को जगाना भी है. ऐसी भावना से ही, संवेदनशीलता और बंधुता को बढ़ावा मिलता है. यही भारतीयता है. यही भारत है. और यह भारत देश हम सब भारत के लोगों का है, न कि केवल सरकार का.

 

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