दोस्त की मौत पर कई दिनों तक रोई थी वो…नानी की जुबानी, पढ़िए आरुषि की कहानी

नई दिल्ली। अपनी ही बेटी की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे डॉ. राजेश तलवार और नूपुर तलवार के लिए आज का दिन बहुत बड़ा है. इलाहाबाद हाई कोर्ट उनकी याचिका पर आज फैसला सुनाने वाला है. तलवार दंपति ने सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है. पूरे तलवार फैमली की निगाहें इस फैसले पर टिकी हुई हैं.

नूपुर की मां और आरुषि की नानी लता जी को आशा है कि उनकी बेटी और दामाद बेगुनाह साबित होकर घर लौट आएंगे. नूपुर के पिता एयरफोर्स में काम करते थे. उन लोगों ने तीन बड़े वॉर देखे, कभी हौसला नहीं हारा. लेकिन आरुषि की मौत और तलवार दंपति के जेल जाने के बाद पूरा परिवार टूट गया है. अब हाईकोर्ट से उनको न्याय की आस है.

आरुषि की नानी लता जी के मुताबिक, डॉ. राजेश तलवार और नूपुर तलवार ने लखनऊ से बीडीएस की पढ़ाई की थी. उसके बाद दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से एमडीएस करने लगे. राजेश का उनके घर आना-जाना था. वह लोग मराठी हैं, जबकि राजेश का परिवार पंजाबी है. दोनों के रिश्ते को देखते हुए परिवार की सहमति से शादी हो गई.

शादी के करीब चार साल बाद आरुषि का दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में जन्म हुआ. उस समय तलवार दंपति साउथ दिल्ली के एक अपार्टमेंट में रहते थे. लेकिन आरुषि के पैदा होने के बाद नोएडा के जलवायु विहार में शिफ्ट हो गए. नूपुर की मां यही रहती थीं. दोनों वर्किंग थे, ऐसे में आरुषि की देखभाल का जिम्मा नानी का ही था.

नानी की देखरेख में रहती थी आरुषि

नानी बताती हैं कि आरुषि पढ़ने बहुत तेज थी. माता-पिता के क्लिनिक चले जाने के बाद वह नानी के घर आ जाती थी. शाम को वापस आते वक्त नूपुर उसे नानी के घर से लेकर आती थी. आरुषि उनके ज्यादा करीब थी. आरुषि के बाद उन्होंने कभी बच्चा नहीं चाहा. उनका कहना था कि आरुषि के पति को ही अपना बेटा मानेंगी.

दिल्ली से नोएडा शिफ्ट हुए थे तलवार

डॉ. राजेश कभी नहीं चाहते थे कि उनकी बच्ची किसी आया के हाथों पले-बढ़े इसलिए ही वे नोएडा शिफ्ट हुए थे. वह चाहते थे कि आरुषि नानी के पास रहे. वह उसका ख्याल रखें. नूपुर और राजेश के जीवन का मकसद ही आरुषि थी. उन्होंने उसे कभी अकेला नहीं छोड़ा था. आरुषि जब पैदा हुई तभी से उसके अंदर कुछ अलग टैलेंट था.

गॉड गिफ्टेड और स्पेशल थी आरुषि

लता जी कहती हैं, ‘मैं नूपुर से कहती थी कि ये लड़की गॉड गिफ्टेड है. उसके अंदर कुछ स्पेशल था. वह बहुत समझदार थी. मैं आधे घंटे के लिए भी यदि बाहर जाती, तो उससे बोल देती थी कि बेटी घर का दरवाजा बंद रखना कोई अनजान आए तो दरवाजा मत खोलना. मजाल क्या मेरे आए बिना कोई भी अनजान गेट खुलवा ले.’

दोस्त की मौत पर कई दिनों तक रोई

आरुषि के एक दोस्त थी गजल. दोनों बहुत ही अच्छे दोस्त थे. एक दुर्घटना में गजल की मौत हो गई. इसके बाद आरुषि को बहुत दुख हुआ. वह कई दिनों तक उसके लिए रोती रही. स्कूल भी नहीं गई. उसे गजल के बिना स्कूल जाना अच्छा नहीं लग रहा था. फिर फैमली स्कूल में गजल के नाम का एक पेड़ लगवा दिया, ताकि उसका एहसास उसे रहे.

पिज्जा, फ्रेंच फ्राइज, पनीर था पसंद

आरुषि रोज घर से पानी ले जाकर उस पेड़ में पानी डालती थी. जैसे-जैसे पेड़ बढ रहा था, वह कहती देखो गजल अब बड़ी हो रही है, वह तो मेरे साथ बात करती है. अरुषि बहुत चंचल थी. उसके कई दोस्त थे. वह उनके साथ मस्ती करती रहती थी. वीकेंड पर सभी बच्चों इकठ्ठे हो कर खेलते थे. आरुषि को पिज्जा, फ्रेंच फ्राइज, पनीर बहुत पसंद था.

मम्मी से बहुत अटैच थी आरुषि

आरुषि अपने मम्मी के साथ बहुत अटैच थी. स्कूल आने के बाद वह नानी के घर जाती थी. खाना खाने के बाद वह तुरंत पढ़ने बैठ जाती थी. टीवी कम ही देखती थी, लेकिन उसे एमटीवी के म्युजिक शो बहुत पसंद थे. वह टीवी पर गाना सुनकर डांस किया करती थी. शाम को दूध पीने के बाद पड़ोस में खेलने चली जाती थी. शाम को नूपुर उसे ले जाती थीं.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button