नहीं अल्‍पेश भाई! कोई भी मशरूम आपको गोरा नहीं बना सकता

नई दिल्‍ली। कांग्रेस पार्टी अभी मणिशंकर अय्यर के द्वारा पीएम मोदी को ‘नीच आदमी’ बताने के बयान से हुए नुकसान से उबर ही रही थी कि गुजरात कांग्रेस में नए-नवेले शामिल हुए अल्‍पेश ठाकोर के एक बयान ने नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है. अय्यर ने तो अपने बयान पर माफी मांग ली है, लेकिन लगता नहीं कि अल्‍पेश अपने बयान पर माफी मांगेंगे.

अल्‍पेश गुजरात के युवा ओबीसी नेता हैं और उन्‍होंने गुजरात की राजनीति में अपना मुकाम खुद बनाया है. लेकिन अपने निरर्थक और अल्‍प जानकारी वाले बयान से उन्‍होंने खुद अपना मजाक बना लिया है.

चुनाव प्रचार के अंतिम दिन गुजरात में एक रैली को संबोधित करते हुए अल्‍पेश ठाकोर ने कहा कि पीएम मोदी का रंग सांवला था, लेकिन वे आयातित मशरूम खाकर ‘गोरे’ हो गए हैं, जिसका एक पीस 80,000 रुपये का आता है. ठाकोर ने कहा कि मोदी हर दिन इस मशरूम का 5 पीस खाते हैं और वह जब गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे, तब से इस मशरूम को खा रहे हैं. इस प्रकार ठाकोर के मुताबिक पीएम मोदी सिर्फ इस मशरूम को खाने के लिए हर महीने 1.2 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं.

ठाकोर के इस बयान के बाद ट्विटर पर न सिर्फ मीम वार शुरू हो गया, बल्कि ‘इम्‍पोर्टेड मशरूम’ शब्‍द ट्रेंड करने लगा. यूजर्स तमाम नेताओं और सेलेब्रिटी के मशरूम खाने के पहले और मशरूम खाने के बाद की फोटो शेयर करने लगे.

आप गलत हैं अल्‍पेश भाई

हम अल्‍पेश भाई ठाकोर को यह बताना चाहते हैं कि पीएम मोदी पर राजनीतिक टिप्‍पणी या चुटकी लेने के लिए तो यह बयान ठीक है, लेकिन एक जिम्‍मेदार राजनीतिज्ञ के तौर पर देखें तो उन्‍होंने तथ्‍यात्‍मक रूप से गलत बयान दिया है. यह कोई राज की बात नहीं है कि पीएम मोदी को कई तरह के मशरूम पसंद हैं. उनका पसंदीदा मशरूम काफी महंगा भी होता है, लेकिन उतना नहीं जितना अल्‍पेश भाई बता रहे हैं. मशरूम से ब्‍लड प्रेशर से लेकर कैंसर पर काबू तक के स्‍वास्‍थ्‍य के लिहाज से कई फायदे जरूर हैं, लेकिन वह नहीं जो अल्‍पेश ठाकोर बता रहे हैं. मशरूम चाहे 8 रुपये पीस हो या 80,000 रुपये पीस, यह किसी को गोरा नहीं बना सकता.

ANI

@ANI

 Modi Ji eats mushrooms from Taiwan, one mushroom costs Rs 80 thousand & he eats 5 mushrooms a day. He was dark like me but he became fair because of imported mushrooms: Alpesh Thakor, activist & Congress leader 

पीएम को मशरूम पसंद है

पीएम मोदी मशरूम की जिस प्रजाति को सबसे ज्‍यादा पसंद करते हैं, उसे ‘गुच्‍छी’ कहते हैं और यह हिमालय के पहाड़ों पर पाया जाता है. इसका उत्‍पादन नहीं किया जा सकता और इसे प्राकृतिक रूप से ही हासिल किया जाता है. यह उत्‍तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्‍मू-कश्‍मीर के ऊंचे पहाड़ों पर जंगलों में पाया जाता है और बर्फ के बढ़ने और पिघलने के बीच के दौर में ही उगता है. अब चूंकि यह बहुत कम पाया जाता है, इसलिए इसकी कीमत कभी-कभी 30,000 रुपये किलो तक पहुंच जाती है. हालांकि एक किलो में काफी मशरूम आ जाता है, क्‍योंकि यह सूखने पर बिकता है. औसतन देखें तो गुच्‍छी मशरूम 10,000 रुपये किलो मिल जाता है. हालांकि यदि पहाड़ों पर आपकी जान-पहचान है तो यह काफी सस्‍ता भी मिल सकता है.

असल में पीएम मोदी ने कई साल तक एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में हिमाचल में रहकर काम किया है, इसलिए वहां के ऊंचे पहाड़ों पर उनके कई मित्र हैं. उन्‍हें मशरूम इसलिए भा गया, क्‍योंकि पहाड़ों पर शाकाहारी लोगों को काफी प्रोटीन और गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों की जरूरत होती है. वैसे तो पीएम इसे रोज नहीं खाते, लेकिन उन्‍होंने इस बात को स्‍वीकार किया है कि गुच्‍छी मशरूम उन्‍हें काफी पसंद है. वे खुद तो इसे खाते ही हैं, मेहमानों को भी खिलाना पसंद करते हैं.

पीएम मोदी जब विदेशी दौरे पर होते हैं, तो अक्‍सर उनके खाने के मेन्‍यू में वहां का स्‍थानीय मशरूम होता है. लेकिन वह कभी ताइवान नहीं गए. अल्‍पेश ठाकोर के बयान की बात करें तो यह बात सच है कि ताइवान में मशरूम पाया जाता है, लेकिन वह पीएम मोदी की पसंद नहीं है.

मोदी ने खुद बताया है सेहत का राज

नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे, तब उन्‍होंने एक बार कुछ पत्रकारों को ऑन रिकॉर्ड यह बताया था कि उनकी सेहत का राज हिमाचल प्रदेश का मशरूम है.

 

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