नहीं होगा महाकवि नीरज का देहदान, इच्छा अधूरी रहने के हालात !

लखनऊ। महाकवि गोपालदास नीरज के शरीर छोड़ने के बाद उनकी देहदान की इच्छा अब पूरी नहीं हो सकेगी। दरअसल उनके परिवारीजन इसके लिए तैयार नहीं है। दरअसल देहदान मामले को लेकर उनके दो बेटों में मतैक्य नहीं है। इसलिए सारा का सारा मामला तीसरे बेटे के आने पर अंतिम रूप ले सकेगा। उनके बेटे मृगांक देहदान के पक्षधर हैं जबकि दूसरे बेटे गुंजन का मत इसके ठीक विपरीत है। नीरज के शव पार्थिव शरीर को शनिवार राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जानी है। सुबह पांच बजे उनका शव दिल्ली से आगरा में बेटे के आवास पर जाएगा। वहां से अलीगढ़ रवाना होगा। यहां शवयात्रा निकाली जाएगी। उल्लेखनीय है कि 93 वर्षीय नीरज का शुक्रवार शाम दिल्ली के एम्स में निधन हो गया था।

नीरज के एक बेटे गुंजन प्रभात ने बताया कि पिता की उम्र बहुत हो चुकी है। देह में बहुत संक्रमण है। इसका पढ़ाई में शायद ही बहुत लाभ हो। बाकी अंतिम बात अपने अमेरिका से आ रहे बेटे लवी के पहुंचने पर तय करेंगे। समझा जाता है कि लवी के 9 बजे तक आने की संभावना है। नीरज ने देहदान का एलान किया था। उनके मुताबिक उनका पार्थिव शरीर जेएन मेडिकल कॉलेज को सौंपा जाना है।

मृगांक देहदान के पक्षधर

नीरज के छोटे बेटे मृगांक प्रभाकर का कहना है कि पार्थिव शरीर को लेकर कोई विवाद नहीं है। पार्थिव शरीर सुबह 4-5 बजे एम्स से आगरा ले जाया जाएगा जहां से उसे 11-12 बजे तक अलीगढ़ ले जाया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को अलीगढ़ में जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में दान कर दिया जाना है। बाकी बातें सुलझ गई हैं। गुंजन का देहदान को लेकर मत अलग है। इस सारे माले का एक पहलू यह भी है कि मृगांक नीरज की दूसरी बीवी के बेटे हैं।

 

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