नाना पटोले वाकई मोदी और बीजेपी से दुखी थे या इस्तीफे की वजह कुछ और है

नाना पटोले वाकई मोदी और बीजेपी से दुखी थे या इस्तीफे की वजह कुछ और है, पढ़िये.

नई दिल्ली। बेहद दुखी और बीजेपी द्वारा उपेक्षित महसूस कर रहे महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया से लोकसभा सांसद नाना पटोले ने बीजेपी और संसद से इस्तीफा दे दिया. लोकसभा सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंपने के तत्काल बाद उन्होंने मीडिया से कहा, जिस वजह से मैं बीजेपी में शामिल हुआ था, वह झूठा साबित हुआ. लेकिन अब मैं (इस्तीफा देने के बाद) अपने भीतर की बैचेनी से मुक्त हो गया हूं. पटोले क्या सच बोल रहे हैं ? क्या वाकई इस्तीफे की यही मुख्य वजह है ? सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह सच नही है, न ही यह मुख्य वजह है. दरअसल वह जिसे 2014 लोकसभा चुनाव में हराकर पहली बार सांसद बने थे वही इस फैसले के पीछे मुख्य वजह हैं. बीजेपी के इस सांसद ने जिसे हराया था अब उसी नेता की बीजेपी से बढ़ती नजदीकियों से यह बेहद दुखित व उपेक्षित महसूस कर रहे थे. यूं कहें कि भविष्य के लिए सशंकित थे. गौरतलब है कि इन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री व एनसीपी के उम्मीदवार प्रफुल्ल पटेल को हराया था. लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान (शनिवार) से ठीक एक दिन पहले लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.

पटोले ने कहा क्या और किया क्या 

लोकसभा सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंपने के तत्काल बाद नाना पटोले ने कहा कि उन्होंने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वह किस पार्टी में शामिल होंगे, लेकिन वह किसी समान विचारधारा वाले राजनीतिक दल में शामिल होने पर विचार करेंगे. सच तो यह है कि इस्तीफा देने के तत्काल बाद कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश से मिले जहां फूलों के गुलदस्ते से स्वागत भी हुआ. खबर ये भी है कि बीजेपी छोड़ने से पहले उनकी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात और बात हुई है. खबर ये भी है कि बीजेपी के बागी नेता यशवंत सिन्हा से भी इनकी लंबी मुलाकात हुई थी. यानी तैयारी पहले से चल रही थी और तैयारी आगे की है. पूरी संभावना है कि 2019 का लोकसभा चुनाव नाना पटोले महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया से कांग्रेस के टिकट पर ही लड़ें.

दुखित तो प्रफुल्ल पटेल भी हैं 

नाना पटोले यदि प्रफुल्ल पटेल की राजनीति से दुखित हैं तो प्रफुल्ल पटेल भी दुखित हैं शरद पवार से. शरद पवार की राजनीति अब इन्हें रास नही आ रही है. दरअसल, राजनीति के आखिरी पड़ाव पर खड़े शरद पवार का झुकाव कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस की तरफ साफ दिखता है. इसकी वजह में है सुप्रिया सुले, जिनका राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं शरद पवार. जबकि प्रफुल्ल पटेल भले ही एनसीपी में हैं व रहें भी लेकिन भविष्य बीजेपी के साथ देख रहे हैं. गौरतलब है कि गुजरात राज्यसभा चुनाव में प्रफुल्ल पटेल ने अहमद पटेल का साथ नही देकर अमित शाह का साथ दिया था.

 

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