निकाय चुनाव सरका सकता है विपक्ष की जमीन

राजेश श्रीवास्तव 

सूबे में सात महीने पहले योगी आदित्यनाथ की प्रचंड बहुमत की सरकार बनने के कुछ से ही विपक्ष लगातार उसे निशाने पर रख रहा है।

प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी लगातार कह रहा है कि छह माह में ही योगी सरकार से प्रदेश की जनता निराश हो गयी है। विकास कार्य ठप हैं। लोग पछता रहे हैं कि उन्होंने भाजपा को क्यों चुना ? विपक्ष के इन आरोपों की हालांकि अभी कोई तथ्यता नहीं है क्योंकि किसी भी सरकार के कामकाज का आंकलन करने के लिए छह महीने का समय पर्याप्त नहीं होता। परंतु राजनीति में पांच साल का ही समय राजनीतिक दलों के पास होता है इसलिए वह छह महीने भी व्यग्रता से ही गुजारते हैं ल्ोकिन इस अवधि में भी वह चूकते नहीं हैं।

परंतु योगी सरकार के सात महीने के कार्यकाल के बाद सूबे में होने जा रहे निकाय चुनाव अब विपक्ष के आरोपों के जवाब को देंगे। अब निकाय चुनाव के परिणाम ही तय करेंगे कि विपक्ष के आरोप सही हंै या मिथ्या। लेकिन इतना तय है कि अगर विपक्षी दलों को कुछ भी सफलता नहीं मिली तो उसके कदमों के नीचे की जमीन ही नहीं सरकेगी बल्कि उसकी भविष्य की रणनीति पर भी कुठाराघात होगा।

निकाय चुनाव सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए भी कम दिलचस्प नहीं होंगे। इसीलिए भारतीय जनता पार्टी टिकटों का ऐलान करते समय भी भारी पशोपेश में है। टिकटों के दावेदारों की संख्या इतनी अधिक है कि कार्यकर्ताओं में आक्रोश पैदा हो सकता है। शनिवार को भी भाजपा मुख्यालय में एक कार्यकताã ने अपने को आग के हवाले कर दिया। यह घटनाएं बताती हैं कि किस तरह भाजपा ख्ोमे में टिकटों की मारामारी है। भाजपा ख्ोमा भी इसलिए चिंतित हैं क्योंकि उसके सामने चुनौती है कि वह विधानसभा के परिणामों की गति बनाये रखना चाहती है।

325 सीटें हासिल करने वाली भाजपा के सामने चुनौती है कि वह निकाय चुनाव में भी 8० फीसद सीटें हासिल करें। यदि वह ऐसा नहीं कर पाती है तो यह संदेश जायेगा कि उसकी लोकप्रियता में गिरावट आयी है। यदि ऐसा हुआ तो विपक्ष को यह कहने का मौका मिलेगा कि सरकार अपने कामकाज से सूबे की जनता को संतुष्ट नहीं कर पायी है। गौरतलब है कि हालांकि यह निकाय चुनाव हैं लेकिन इन चुनावों के परिणामों का असर 2०19 पर कुछ न कुछ असर तो डालेगा ही।

अगर सत्ता पक्ष को निराशा जनक परिणाम हाथ लगे तो विपक्ष उत्साहित होगा और 2०19 में दूने जोश के साथ उतरेगा। लेकिन अगर सत्ता पक्ष अपेक्षा से अधिक सीटें हासिल करेगा तो विपक्ष मानसिक तौर पर भी कमजोर होगा और उसके सामने अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाकर रख पाना भी बड़ी चुनौती होगी। दूसरा पहलू यह भी है कि सरकार में होने का लाभ तो भारतीय जनता पार्टी को भी मिलता दिख रहा है। सरकार में होने से भाजपा ख्ोमे में कार्यकताã बेहद उत्साहित हैं। अब देखना होगा कि निकाय चुनाव की कसौटी पर सत्ता और विपक्ष में कौन कितना खरा उतरता है।

 

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