नीतीश के ‘सेक्युलर’ गठबंधन में आई दरार, एनसीपी हुई अलग

Tariq-Anwarतहलका एक्सप्रेस, नई दिल्ली/पटना। इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ नीतीश कुमार की अगुवाई में बने ‘सेक्युलर गठबंधन’ में बुधवार को दरार आ गई। बुधवार को नीतीश, लालू और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे पर सहमति बन गई थी। नीतीश और लालू को 100-100 सीटें मिली हैं तो कांग्रेस के खाते में 40 सीटें गई हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी इस गठबंधन का हिस्सा था।
एनसीपी को 3 सीटें दी गई थीं। तीन सीटें मिलने पर एनसीपी भड़क गई और उसने नीतीश की अगुवाई वाले गठबंधन से खुद को अलग कर लिया। एनसीपी ने तीन सीटों के ऑफर को अपमानजनक करार दिया है। 30 अगस्त को यह गठबंधन अपनी ताकत और एकता दिखाने के लिए पटना के गांधी मैदान में स्वाभिमान रैली करने जा रही है। एनसीपी ने कहा है कि वह इस रैली का हिस्सा नहीं बनेगी। बुधवार को एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश, लालू और कांग्रेस ने 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में सीटों के बंटवारे पर सहमति बनने की औपचारिक घोषणा की थी। इस घोषणा के तत्काल बाद ही एनसीपी ने खुद को इस गठबंधन से अलग करने की घोषणा कर दी। बुधवार को जब कांग्रेस महासचिव सीपी जोशी, आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रेस कॉनफ्रेंस करने पहुंचे तब एनसीपी का कोई भी प्रतिनिधि नहीं था। उसी वक्त साफ हो गया था कि इस गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है। एनसीपी नेता और बिहार से लोकसभा सांसद तारिक अनवर ने कहा, ‘यह अपमानजनक है। इन्होंने बिना एनसीपी से बात किए आपस में सीटों का बंटवारा कर लिया। इन लोगों का घमंड साफ दिख रहा है। वे बिना किसी मुस्लिम चेहरे के बीजेपी के खिलाफ बिहार में सांप्रदायिकता से लड़ना चाहते हैं। इस गठबंधन में कोई भी मुस्लिम चेहरा नहीं है। तारिक अनवर बिहार में एनसीपी बनने से पहले कांग्रेस की अगली पंक्ति के नेता था। जब शरद यादव ने विदेशी मूल का मुद्दा बनाकर सोनिया के खिलाफ विद्रोह किया था तब अनवर ने भी उनका साथ दिया। अनवर एनसीपी के फांउडर मेंबर रहे हैं। कटिहार से लोकसभा सांसद अनवर ने नीतीश को याद दिलाया कि लोकसभा चुनाव में उनके घमंड के कारण ही बीजेपी को भारी जीत मिली थी। उन्होंने इस गठबंधन पर उपेक्षा का आरोप लगाया। अनवर ने कहा, ‘कम से कम उन्हें विश्वास में तो लेना चाहिए था। गठबंधन के नेताओं ने यह भी नहीं सोचा कि सेक्युलर ताकत में एकजुटता दिखाने के लिए यह जरूरी है। ये मुस्लिमों के साथी बनने का केवल दिखावा करते हैं।’

 

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