नीदरलैंड की जनसंख्या से ज्यादा यूपी में कैदी
लखनऊ। एक तरफ जहां यूपी की धरती माफियाओं के लिए बदनाम है, वहीं नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार यूपी की जेलों में देश के सबसे अधिक ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट सजायाफ्ता और अंडर–ट्रायल कैदी बंद हैं। देश में बंद कैदियों के आंकड़ों को देखा जाए तो पूरे देश में कैदियों की जनसंख्या नीदरलैंड की पूरी जनसंख्या से अधिक है। साथ ही ये आंकड़े न केवल देश की धीमी न्यायिक प्रक्रिया की तरफ इशारा करते हैं, बल्कि ये भी इशारा कर रहे हैं कि देश में पढ़े लिखे युवाओं का रुझान क्राइम की तरफ बढ़ा है।
यूपी में 1522 ग्रेजुएट कैदी तो 539 हैं पोस्ट-ग्रेजुएट
एनसीआरबी के आंकड़ों के हिसाब से देश में सजा काट रहे कैदियों में सबसे अधिक 539 पोस्ट ग्रेजुएट कैदी यूपी की जेलों में बंद हैं। वहीं, दूसरे नंबर पर 374 पंजाब में और 226 मध्य प्रदेश की जेलों में बंद हैं। यूपी में ग्रेजुएट कैदियों की संख्या पीजी किए कैदियों की संख्या की लगभग दोगुना है। यूपी में 1522 ग्रेजुएट कैदी जेलों में सजा कट रहे हैं तो पंजाब में 1226, एमपी में 614 और तमिलनाडु में 487 ग्रेजुएट कैदी जेलों में बंद हैं।
यूपी में हैं देश के 43.5 फीसद अनपढ़ कैदी
यूपी के पास देश में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे कैदियों का ही रिकॉर्ड नहीं, बल्कि यहां देश भर की कैदियों की कुल संख्या में से 43.5 कैदी अनपढ़ भी हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में सबसे ज्यादा 43.5 फीसदी या 7,444 अनपढ़ सजायाफ्ता कैदी यूपी की जेलों में बंद हैं, जबकि मध्य प्रदेश में 5,166 और पंजाब की जेलों में 2,706 कैदी बंद हैं। हाईस्कूल तक पास न कर पाने वाले 46.1 फीसद सजा काट रहे कैदी देश के चार राज्यों यूपी, एमपी, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की जेलों में बंद हैं। आंकड़ों के हिसाब से देश की जेलों में वर्तमान में एक लाख 31 हजार 157 में कैदी बंद हैं, जबकि इनमें से 35 हजार 202 अनपढ़ हैं जबकि और 56 हजार 469 कैदी हाईस्कूल तक की पढ़ाई नहीं कर पाए हैं।
यूपी के पास देश में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे कैदियों का ही रिकॉर्ड नहीं, बल्कि यहां देश भर की कैदियों की कुल संख्या में से 43.5 कैदी अनपढ़ भी हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में सबसे ज्यादा 43.5 फीसदी या 7,444 अनपढ़ सजायाफ्ता कैदी यूपी की जेलों में बंद हैं, जबकि मध्य प्रदेश में 5,166 और पंजाब की जेलों में 2,706 कैदी बंद हैं। हाईस्कूल तक पास न कर पाने वाले 46.1 फीसद सजा काट रहे कैदी देश के चार राज्यों यूपी, एमपी, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की जेलों में बंद हैं। आंकड़ों के हिसाब से देश की जेलों में वर्तमान में एक लाख 31 हजार 157 में कैदी बंद हैं, जबकि इनमें से 35 हजार 202 अनपढ़ हैं जबकि और 56 हजार 469 कैदी हाईस्कूल तक की पढ़ाई नहीं कर पाए हैं।
विचाराधीन कैदियों के मामले में भी यूपी आगे
एनसीआरबी के आंकड़ों की मानें तो विचाराधीन कैदियों में सबसे अधिक 4,699 ग्रेजुएट कैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद हैं, जबकि पंजाब में 2,251 कैदी, बिहार में 1285, महाराष्ट्र में 1104 और तमिलनाडु की जेलों में 883 कैदी बंद है। सबसे ज्यादा पोस्ट ग्रेजुएट विचाराधीन कैदियों के मामले में भी यूपी आगे है। इस समय यूपी की की जेलों में 1583 पोस्ट ग्रेजुएट, जबकि पंजाब की जेलों 608, राजस्थान में 359, तमिलनाडु में 335 और महाराष्ट्र में 313 कैदी जेलों में बंद हैं। देश भर में कुल 82 हजार 735 विचाराधीन कैदी अशिक्षित हैं, जबकि एक लाख 19 हजार 370 हाईस्कूल से कम पढ़े-लिखे हैं। देश के अलग-अलग जेलों में दो लाख 82 हजार 879 विचाराधीन कैदी कोर्ट के फैसले के इंतजार में हैं।
एनसीआरबी के आंकड़ों की मानें तो विचाराधीन कैदियों में सबसे अधिक 4,699 ग्रेजुएट कैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद हैं, जबकि पंजाब में 2,251 कैदी, बिहार में 1285, महाराष्ट्र में 1104 और तमिलनाडु की जेलों में 883 कैदी बंद है। सबसे ज्यादा पोस्ट ग्रेजुएट विचाराधीन कैदियों के मामले में भी यूपी आगे है। इस समय यूपी की की जेलों में 1583 पोस्ट ग्रेजुएट, जबकि पंजाब की जेलों 608, राजस्थान में 359, तमिलनाडु में 335 और महाराष्ट्र में 313 कैदी जेलों में बंद हैं। देश भर में कुल 82 हजार 735 विचाराधीन कैदी अशिक्षित हैं, जबकि एक लाख 19 हजार 370 हाईस्कूल से कम पढ़े-लिखे हैं। देश के अलग-अलग जेलों में दो लाख 82 हजार 879 विचाराधीन कैदी कोर्ट के फैसले के इंतजार में हैं।
नीदरलैंड की जनसंख्या से अधिक कैदियों की संख्या
एनसीआरबी के आंकड़ों पर निगाह डालें तो पता लगेगा कि देश भर की जेलों में बंद कैदियों की संख्या नीदरलैंड और कजाकिस्तान देशों की जनसंख्या से अधिक है। इसके लिए भारत के धीमे जस्टिस सिस्टम को दोषी माना गया है।
अधिकतम सजा पूरी करने के बाद भी जेलों में बंद हैं कैदी
मुकदमों का निस्तारण नहीं होने की वजह से कई बंदी ऐसे भी हैं, जो संबंधित मुकदमे के प्राविधान के मुताबिक दी जाने वाली अधिकतम सजा से भी अधिक सजा भुगत चुके हैं, लेकिन मुकदमा ट्रायल पर चलने की वजह से वह जेलों से रिहा नहीं हो पा रहे हैं।
एनसीआरबी के आंकड़ों पर निगाह डालें तो पता लगेगा कि देश भर की जेलों में बंद कैदियों की संख्या नीदरलैंड और कजाकिस्तान देशों की जनसंख्या से अधिक है। इसके लिए भारत के धीमे जस्टिस सिस्टम को दोषी माना गया है।
अधिकतम सजा पूरी करने के बाद भी जेलों में बंद हैं कैदी
मुकदमों का निस्तारण नहीं होने की वजह से कई बंदी ऐसे भी हैं, जो संबंधित मुकदमे के प्राविधान के मुताबिक दी जाने वाली अधिकतम सजा से भी अधिक सजा भुगत चुके हैं, लेकिन मुकदमा ट्रायल पर चलने की वजह से वह जेलों से रिहा नहीं हो पा रहे हैं।
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