नीरव मोदी के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी, CBI ने मुंबई का घर किया सील

मुंबई। पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई स्थित एक ब्रांच में 11,360 करोड़ रुपये के फ्रॉड ट्रांजैक्शन मामले में गुरुवार को बड़ी कार्रवाई हुई. मामले में अरबपति ज्वैलरी कारोबारी नीरव मोदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. सीबीआई ने नीरव मोदी के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया है.

वहीं, मामले में ईडी ने देशभर में कई जगह छापेमारी भी की है. इसके बाद सीबीआई ने मुंबई के हाजी अली दरगाह के पास वर्ली में स्थित नीरव मोदी का घर भी सील कर दिया है. उधर, नीरव मोदी ने PNB को खत लिख कहा कि वह सभी पैसे लौटाने को तैयार हैं. उन्होंने इसके लिए छह महीने का समय मांगा है. उन्होंने कहा है कि वह फायर स्टार डायमंड्स के जरिए पैसे लौटा दूंगा, जिसकी कीमत 6400 करोड़ रुपए है.

ईडी ने नीरव मोदी केस से जुड़ी 9 जगहों पर छापेमारी की. इनमें 4 मुंबई, 2 सूरत और 2 दिल्ली में छापेमारी की गई. ये एफआईआर 31 जनवरी को दर्ज की गई थी. ED ने नीरव मोदी के शोरूम और घर में भी छापेमारी की है. उधर वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों से संदिग्ध ट्रांजैक्शन से जुड़ी रिपोर्ट मांगी हैं, उन्होंने इस रिपोर्ट को तुरंत जमा करने को कहा है.

बुधवार को हुए खुलासे के बाद से ही जांच एजेंसियां एक्शन में आ गईं हैं. इस मामले में अरबपति आभूषण कारोबारी नीरव मोदी (46) ने कथित रूप से बैंक की मुंबई शाखा से धोखाधड़ी वाला गारंटी पत्र (एलओयू) हासिल कर अन्य भारतीय ऋणदाताओं से विदेशी ऋण हासिल किया था. पीएनबी ने इस मामले में दस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. साथ ही मामले को जांच के लिए सीबीआई के पास भेज दिया है.

बैंक का आरोप है कि नीरव, उनके भाई निशाल, पत्नी अमी और मेहुल चीनूभाई चोकसी ने बैंक के अधिकारियों के साथ साज़िश रची और फ्रॉड ट्रांजैक्शन्स को अंजाम दिया. पिछले हफ्ते भी सीबीआई ने नीरव मोदी के खिलाफ जांच करने की बात कही थी. बता दें कि नीरव मोदी की गिनती देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे अमीर एंटरप्रेन्योर में होती है. वे पहले ऐसे कारोबारी हैं जिनका जिनका नाम ही उनका ब्रांडनेम बन गया है.

7 साल पुराना है मामला

आजतक-इंडिया टुडे को चौंकाने वाली जानकारी मिली है कि यह जालसाजी सात पहले साल ही अंजाम दी गई थी, इसके बावजूद पीएनबी के उच्च‍ाधिकारियों को इसका पता नहीं चल पाया.

इस जालसाजी के सामने आने के बाद PMLA की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया गया है. वित्त मंत्रालय के निर्देश मिलने पर सीबीआई ने भी मामला दर्ज कर लिया है. यही नहीं, सेबी भी न सिर्फ बैंक बल्कि शेयर बाजार में लिस्टेड कई कंपनियों के खिलाफ जानकारी छिपाने के मामले में जांच शुरू कर सकती है.

कैसे होता था फर्जीवाड़ा

पीएनबी की मुंबई की एक शाखा का एक कर्मचारी हीरा कंपनियों को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) प्रदान करता था ताकि वे दूसरे बैंकों से सेक्योर ओवरसीज कर्ज हासिल कर सकें. वित्तीय सचिव राजीव कुमार ने बताया, ‘हीरा कंपनी यह एलओयू किसी अन्य भारतीय बैंक की विदेशी शाखा को देती थी. यह पूरा फर्जीवाड़ा करीब 11,400 करोड़ रुपये का है.’

पीएनबी से हासिल इस एलओयू के आधार पर ही यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, एक्सिस बैंक आदि ने हीरा कंपनियों को कर्ज दिया. लेकिन पकड़े जाने से बचने के लिए पीएनबी के कर्मचारी बैंक के रजिस्टर में एलओयू को दर्ज ही नहीं करते थे.

 

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