नेपाल में मधेशियों के विरोध से बढ़ी भारत की चिंता

nepalतहलका एक्सप्रेस

नई दिल्ली। भारत ने नेपाल को नए संविधान का ऐलान होने की बधाई दी है और कहा है कि उसने हमेशा से पड़ोसी देश में एक लोकतांत्रिक और समावेशी संविधान का समर्थन किया है। हालांकि, इसके साथ ही भारत ने संविधान में मधेशियों की मांगों को शामिल न करने पर हो रही हिंसा को लेकर अपनी चिंता भी जताई है।

नेपाल में भारतीय दूतावास ने उम्मीद जताई है कि इस गतिरोध को बातचीत के जरिए सुलझाया जाएगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बात पर चिंता जताई कि भारत से लगे हिस्सों में हिंसा फैली हुई है। भारत ने इसी मामले में शुक्रवार को विदेश सचिव एस जयशंकर को भी वहां भेजा था। जयशंकर ने नेपाली पीएम से मिलकर कहा था कि नए संविधान को समाज के सभी वर्गों की मांगों को पूरा करना चाहिए।

भारत इस हिंसा से इसलिए भी चिंतित है कि सीमा से लगे नेपाली इलाकों में हिंसा बढ़ने से इसका असर भारत पर भी पड़ेगा। इसके अलावा भारत की चिंता की बड़ी वजह वहां के मधेशियों को उचित जगह नहीं मिलना भी है। इसकी एक वजह मधेशियों का भारत के बिहार मूल का होना है और बिहार में अगले महीने चुनाव हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने नेपाल के संविधान की घोषणा के बाद अपना असंतोष जाहिर करते हुए कहा था, ‘हिंसा पर हमारे राजदूत ने नेपाल के पीएम से बात की है। इस मामले को बातचीत से सुलझाना चाहिए।’

दक्षिणी नेपाल के मधेसी दलों का एक समूह, संविधान सभा में भी शामिल नहीं हुआ और लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है। मधेसी सात राज्यों के ढांचे का विरोध और अपने लिए अलग राज्य की मांग कर रहे हैं। नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करना चाहने वाले और भारत से लगे मैदानी इलाकों के लोग भी उचित प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं। तराई के इलाके में हो रही हिंसा में अब तक पुलिसकर्मियों समेत 40 लोगों की मौत हो चुकी है।

नेपाल के संविधान को बनने में करीब सात साल लगे। 2.8 करोड़ की आबादी वाले देश में सात राज्य बनाए गए हैं और संविधान के मुताबिक नेपाल संघीय और धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य है। नेपाल के एक हिंदू राष्ट्र से धर्मनिरपेक्ष, संघीय लोकतंत्र बनने पर नेपाल के नागरिकों ने रविवार को सड़कों पर उतरकर जश्न मनाया। काठमांडू में कई जगहों पर जुलूस निकाले गए और सड़कों को सजाया गया। हालांकि, तराई इलाके में संविधान की घोषणा के बाद भी विरोध प्रदर्शन जारी हैं।

इससे पहले रविवार को नेपाल के राष्ट्रपति राम बरन यादव ने पार्ल्यामेंट में संविधान पेश करते हुए कहा, ‘संविधान हम सभी के लिए अपनी स्वतंत्रता, भौगोलिक अखंडता और संप्रुभता की रक्षा करने का एक साझा दस्तावेज है। लोगों ने लोकतंत्र और स्थायी शांति के लिए लगभग सात दशक तक संघर्ष किया है।’ उनका कहना था कि नए संविधान से देश में विभिन्नता में एकता बरकरार रखने और सभी के लिए अधिकारों को सुनिश्चित करने का एक मौका मिला है।

 

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