‘पद्मावत’ हिंसा पर पूछा सवाल, तो मोहन भागवत ने मुंह पर रख ली उंगली

मुंबई। देश भर में संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. कई शहरों में आगजनी और तोड़फोड़ की जा रही है. गुरुवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में पहुंचे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से जब पद्मावत पर हो रही हिंसा पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली.

आजतक संवाददाता ने जब इस मुद्दे सवाल पूछा तो जवाब देने की बजाय मोहन भागवत ने अपने मुंह पर उंगली रखी और चुप्पी साधी. बता दें कि भागवत मुंबई में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में बिज़नेस क्षेत्र में राष्ट्रीयता और एथिक्स मुद्दे पर संबोधन देने आए थे.

चुप्पी पर सवाल खड़े कर चुकी है करणी सेना

गौरतलब है कि देशभर में हो रही हिंसा के बीच कुछ ही दिन पहले करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामड़ी ने भी मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल खड़े किए थे. गोगामड़ी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के बैन हटाने के बाद भी पद्मावत का विरोध जारी रहेगा. बीजेपी पद्मावत पर दोगलापन दिखा रही है. उन्होंने स्मृति ईरानी को घेरते हुए कि सेंसर बोर्ड सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आता है. जो कि केंद्र में बीजेपी सरकार के अधीन है. अगर बीजेपी सच में फिल्म को बैन करना चाहती तो अब तक कर चुकी होती.

मोहन भागवत ने यहां कहा कि हम पिछले कई सालों से दुश्मनों से लड़ते हुए आ रहे हैं, जिसके चक्कर में जन-धन की हानि होती है. मोहन भागवत बोले कि आज भी हम अपने आपको समझने के लिए विदेशी ग्रंथों को पढ़ते हैं, खुद के ग्रंथों को नहीं पढ़ते हैं. भागवत ने कहा कि प्रतिस्पर्धा सही है, लेकिन गुस्से में गलत फैसले उठाकर भारत को महाशक्ति नहीं बना सकते.

उन्होंने कहा कि पिछले 500-700 साल में आक्रामक इस्लाम से भी लड़ते हुए हमारे देश का वैभव कम नहीं हुआ. भागवत बोले कि ब्रिटिशों से लड़ते हुए भी हमारे देश की जीडीपी टॉप 5 में रही है. आज भी भारत पीछे नहीं है, भारत दुनिया का सर्वप्रथम देश है. लेकिन सर्वप्रथम की परिभाषा बदल गई है. जिसे देखते हुए हम कहते हैं कि हमारा देश पीछे है.

कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि हम अभी धुन में खोए हुए हैं, हमें दिशा पकड़नी है. हमारी सही दिशा क्या है. हम विदेशियों की आखों से दुनिया को देखने लगे हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक जो चलता आया है उसी दिशा में बढ़ेंगे ऐसा नहीं है.

भागवत बोले कि जो व्यापार चल रहा है उससे विदेशियों के संस्कार आएंगे. और गलत बीमारी आएगी. इससे हमें डरना नहीं चाहिए, विदेशों के कारोबारी लिहाज से आदान-प्रदान करना होगा. हमें बिना भय के सभी को अपनाना होगा, निर्भय बनकर जाना होगा.

आपको बता दें कि इससे पहले भी बीते सप्ताह गुवाहटी में मोहन भागवत ने पाकिस्तान पर निशाना साधा था. इस बैठक में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने पड़ोसी मुल्क पर निशाना साधते हुए कहा था कि भारत तो पाकिस्तान के साथ अपनी सारी शत्रुता भूल गया, लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया.

उन्होंने कहा कि जब तक हिंदुत्व फले-फूलेगा, तब तक ही भारत का अस्तित्व बना रहेगा. पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में चुनाव से कुछ दिनों पहले ही संघ प्रमुख ने गुवाहाटी में बैठक को संबोधित किया.

उन्होंने कहा कि संघर्ष हुआ, पाकिस्तान का जन्म हुआ. भारतवर्ष 15 अगस्त, 1947 से ही पाकिस्तान के साथ शत्रुता भूल गया लेकिन पाकिस्तान अब तक नहीं भूला. हिंदू स्वभाव और दूसरे के स्वभाव में यही अंतर है. भागवत ने कहा था कि मोहनजोदड़ो, हड़प्पा जैसी प्राचीन सभ्यता और हमारी संस्कृति जिन स्थानों पर विकसित हुई, अब वे पाकिस्तान में हैं.

 

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