परोल पर बाहर हैं सुब्रत रॉय, यूपी में दिग्गज नेताओं के साथ कर रहे बैठक

subrataलखनऊ/नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कमान संभालने की जिम्मेदारी मिलने के कुछ ही समय बाद राज बब्बर एक डिनर में शामिल हुए थे। वह आयोजन अस्वाभाविक तो था, लेकिन राजनीतिक रूप से उसका महत्व कमतर नहीं माना जा सकता है। उस डिनर में समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल और पूर्व क्रिकेटर कपिल देव भी शामिल हुए थे। हालांकि इस डिनर का असल मसाला यह था कि इसका आयोजन सहारा इंडिया के चीफ सुब्रत रॉय ने किया था। निवेशकों के करोड़ों रुपये लौटाने में हीलाहवाली के आरोप से जुड़े मामले में रॉय अभी परोल पर हैं।

राज बब्बर ने इस संबंध में इकनॉमिक टाइम्स से कहा, ‘ऐसा नहीं है कि पहले से उस डिनर की कोई योजना बनी थी। मैंने तो उनका आशीर्वाद लेने के लिए मुलाकात की थी।’ बब्बर ने रॉय को अपना ‘बड़ा भाई’ बताया। अग्रवाल ने भी इस डिनर की पुष्टि की। रॉय को जानने वालों का कहना है कि यह आयोजन यूपी की राजनीति में रॉय के फिर सक्रिय होने का सबूत है। रॉय के ऑफिस ने कहा कि इस मामले में वह कॉमेंट नहीं करेगा।

रॉय यूपी कांग्रेस के एक और नेता राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी के भी करीबी हैं। रॉय की मां के अंतिम संस्कार के वक्त बब्बर के साथ तिवारी भी मौजूद थे। तिवारी ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा, ‘रॉय गैर राजनीतिक आदमी हैं। उनके बहुत लोगों से संबंध हैं।’
सुब्रत-समाजवादी पार्टी-कांग्रेस
रॉय को जानने वालों का कहना है कि सहारा चीफ यूपी चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच तालमेल चाहते हैं। एसपी के कुछ नेताओं ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि रॉय ऐसे गठबंधन के पक्ष में हैं। हालांकि यह कोई छिपी बात नहीं है कि सोनिया गांधी के ‘विदेशी मूल’ के मुद्दे पर रॉय ने जो कुछ कहा था, उससे नेहरू-गांधी परिवार नाखुश हुआ था। यूपी कांग्रेस के सीनियर नेता ने कहा कि इसके बावजूद अगर रॉय कांग्रेस-एसपी गठबंधन का आइडिया पाले हुए हैं, तो यह उनकी बेवकूफी है।

एसपी के नरेश अग्रवाल ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा कि रॉय ने हाल में राज्यसभा चुनाव में कपिल सिब्बल की ‘मदद’ की थी। हालांकि सिब्बल ने कहा, ‘यह बकवास बात है। मुझे नहीं पता कि अग्रवाल यह सब क्यों कह रहे हैं।’ यूपी की सियासत से वाकिफ एक फॉर्मर ब्यूरोक्रेट ने कहा कि रॉय 2014 में मोदी को लेकर उत्साहित थे, लेकिन अब उनको लग रहा है कि मोदी सरकार ने जांच एजेंसियों का रुख नहीं बदला। रॉय के करीबियों का कहना है कि वह पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को अपनी परेशानी के लिए जिम्मेदार मानते हैं। लेकिन चिदंबरम ने इस मामले में कॉमेंट करने से मना कर दिया।

यूपी कांग्रेस के एक नेता ने ईटी को बताया कि एक बार तो सोनिया ने लखनऊ से दिल्ली आने के लिए तीन घंटे तक फ्लाइट का इंतजार किया, लेकिन सहारा की फ्लाइट नहीं पकड़ी। उन्होंने कहा, ‘इससे आप रॉय के बारे में सोनिया के रुख का अंदाजा लगा सकते हैं।’

सहारा सिटी में पॉलिटिक्स
1996 के आम चुनाव में लखनऊ से अटल बिहारी वाजपेयी बीजेपी कैंडिडेट थे और उनके सामने थे एसपी कैंडिडेट राज बब्बर, जो तब सहारा इंडिया ग्रुप के डायरेक्टर थे। रॉय ने बब्बर का खुलकर सपॉर्ट किया था। तब फॉर्मर चीफ मिनिस्टर कल्याण सिंह ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त टीएन शेषन से रॉय की शिकायत की थी। शेषन ने पुलिस को जांच करने को कहा था। हालांकि रिटायरमेंट के बाद शेषन सहारा ग्रुप में डायरेक्टर बन गए।

1997 में तत्कालीन गवर्नर ने जब कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त किया था तो बीजेपी के 222 विधायकों को दिल्ली में राष्ट्रपति भवन ले जाने के लिए रॉय ने अपना विमान राजनाथ सिंह के कहने पर मुहैया कराया था। लेकिन राजनाथ सिंह के ऑफिस ने इसपर कॉमेंट करने से मना कर दिया।

2013 में रॉय की एक बड़ी डिनर पार्टी में सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, शीला दीक्षित, प्रतिभा पाटिल, मीरा कुमार, दिग्विजय सिंह और फारुख अब्दुल्ला शामिल हुए थे। हालांकि इकनॉमिक टाइम्स स्वतंत्र रूप से गेस्ट लिस्ट की पुष्टि नहीं कर पाया है। यूपी पर नजर रखने वालों का कहना है कि रॉय अब भले ही लो-प्रोफाइल रहें, लेकिन उन्हें अप्रासंगिक नहीं माना जा सकता है। तो ऐसे कई डिनर अभी और हो सकते हैं।

 

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