पश्चिम बंगाल में जमीन सरकती देख ममता बनर्जी को आई हिंदुओं की याद

पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्‍यक्ष ममता बनर्जी ने इन दिनों राज्‍य में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। ममता बनर्जी इन दिनों एक डर में जीती हुईं नजर आ रही हैं। डर इस बात का है कहीं उनके लाल किले में सेंधमारी ना हो जाए। अब तक धर्मनिरपेक्षता की चादर ओढ़कर सिर्फ एक समुदाय विशेष की बात करने वाली ममता बनर्जी को अब हिंदुओं की याद सता रही है। कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी की तरह वो भी अब सॉफ्ट हिंदुत्‍व की राह पर चल पड़ी हैं। ताकि पश्चिम बंगाल में उनकी जमीन बची रही। दरअसल, इन दिनों भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। बीजेपी का जनाधार लगातार पश्चिम बंगाल में बढ़ता जा रहा है। जिस पश्चिम बंगाल को पहले लेफ्ट का और फिर ममता का गढ़ समझा जाता था वहां अब कमल खिलता हुआ नजर आ रहा है। पिछले कई चुनाव इस बात की तस्‍दीक करते हैं कि राज्‍य में बीजेपी का जनाधार बढ़ा है।

ममता बनर्जी की चिंता बीजेपी के इसी बढ़ते जनाधार को लेकर ही है। शायद यही वजह है कि उन्‍होंने अब राज्‍य में विकास की परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्‍यास के सिलसिले के साथ-साथ हिंदुओं पर भी अपनी नजरें गड़ाने शुरु कर दी हैं। ममता बनर्जी ने सिलीगुड़ी के कंचनजंघा स्टेडियम में कई सरकारी योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।इससे पहले भी वो दिसंबर में गंगा सागर का दौरा कर चुकी हैं। नए साल के मौके पर भी उन्‍होंने दक्षिण बंगाल में स्थित पूर्व वर्द्धमान, बीरभूम सहित कई जिलों का दौरा किया था। इन सब के साथ ही अब तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में ब्राह्मण सम्‍मेलन का भी आयोजन करा रही है। बीरभूम में तृणमूल कांग्रेस के अध्‍यक्ष अनुब्रत मंडल की अगुवाई में ब्राह्मण सम्‍मेलन का आयोजन किया गया। इस आयोजन को ममता बनर्जी के भविष्‍य की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।

तृणमूल कांग्रेस की ओर से आयोजित ब्राह्मण सम्‍मेलन ममता बनर्जी के सॉफ्ट हिंदुत्‍व कार्ड की तरह है। जिसे भारतीय जनता पार्टी के राज्‍य में बढ़ते जनाधार के तौर पर देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि टीएमसी के इस ब्राह्मण सम्‍मेलन में करीब 15 हजार ब्राह्मणों ने हिस्‍सा लिया। हर ब्राह्मण को एक शॉल, गीता और रामकृष्ण परमहंस-शारदा मां की तस्वीर भेंट में दी गई। दरसअल, ममता बनर्जी और उनकी पार्टी की इस कवायद को पंचायत चुनाव की तैयारियों से भी जोड़कर देखा जा सकता है। शायद यही वजह है कि वो साउथ बंगाल का दौरा भी कर रही हैं। ममता बनर्जी को पता है कि अगर इन चुनावों में बीजेपी ने अगर उसे कड़ी टक्‍कर भी दे दी तो राज्‍य में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में भी उनकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। हालांकि ममता बनर्जी का ये सॉफ्ट हिंदुत्‍व वाला कार्ड ब्राह्मण समुदाय को रास आता या नहीं देखना काफी दिलचस्‍प होगा।

ममता बनर्जी की परेशानी इस बात को लेकर भी है कि उनकी पार्टी के कद्दावर नेता मुकुल राय बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। नेताओं के दल बदलने का ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। हालांकि मुकुल राय की जगह की भरपाई के लिए उन्‍होंने अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को सक्रिय कर दिया है। जो सांसद भी हैं। लेकिन, पार्टी के भीतर ऐसा कोई भी नेता उभर कर सामने नहीं आया जो मुकुल राय की भरपाई कर सके। ममता बनर्जी की मुश्किल सिर्फ बीजेपी का बढ़ता जनाधार ही नहीं बल्कि खुद की पार्टी में बढ़ता असंतोष भी है। सूत्रों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस के कई ऐसे नेता इस वक्‍त मुकुल रॉय के संपर्क में हैं जो ममता बनर्जी की नीतियों से खुश नहीं हैं और पार्टी से असंतुष्‍ट हैं। नोआपाड़ा विधानसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस की पूर्व विधायक मंजू बसु भी टिकट ना मिलने से ममता बनर्जी से नाराज थीं। जिसके बाद उन्‍होंने बीजेपी ज्‍वाइन कर ली थी। लेकिन, ऐन वक्‍त में ममता ने उन्‍हें मना लिया। लेकिन, ऐसा खेल हर किसी के साथ नहीं हो सकता। ममता बनर्जी के सामने इस वक्‍त उनके गढ़ में ही कई चुनौतियां मुंह बाए खड़े हैं। शायद यही वजह है कि अब उन्‍हें हिंदुओं की याद सता रही है।

 

 

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