पीएम मोदी का प्रहार, कांग्रेस ने 2008 से 2014 तक बिछाई NPA की लैंडमाइन

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कहा कि देश में एनपीए की कहानी की शुरुआत कांग्रेस के कार्यकाल में 2008 में शुरू की गई और वह 2014 तक जारी रही. प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि उसने अपने कार्यकाल के दौरान सरकारी बैंकों से पार्टी के करीबियों को बड़ी संख्या में लोन देने का काम शुरू किया जिसके चलते देश के सामने एनपीए की एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस सरकार की कोशिश रही कि वह 2009 में यदि चुनाव हारते हैं तो उससे पहले जितना हो सकता है देश के बैंकों को खाली कर दें. लेकिन बैंकों का दुर्भाग्य था कि 2009 में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनी और बैंकों की लूट यूपीए के दूसरे कार्यकाल के दौरान बिना रुके जारी रही.

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 60 साल बाद तक देश के बैंकों ने लोन के रूप में सिर्फ 18 लाख करोड़ रुपये दिए थे. लेकिन 2008 से 2014 तक में यह राशि 18 लाख करोड़ से बढ़कर 52 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई. मोदी के मुताबिक कांग्रेस के इस 6 साल के दौरान 60 साल के कर्ज को डबल कर दिया गया.

प्रधानमंत्री ने कहा कि खासबात यह है कि इस समय तक देश में इंटरनेट बैंकिंग ने कदम नहीं रखा था. लेकिन कांग्रेस की सरकार ने इस घोटाले को अंजाम देने के लिए इंटरनेट बैंकिंग के उदय से पहले टेलीफोन बैंकिंग का सहारा लिया. मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेताओं का बैंक के मैनेजरों को सीधे फोन किया जाता था और पार्टी के करीबी कारोबारियों को सिफारिश के साथ बड़ लोन दे दिया जाता था.

एनपीए के इस पक्ष को उजागर करते हुए पीएम ने कहा कि इस दौरान जब कारोबारियों का कर्ज लौटाने का समय आता था तब उनसे कर्ज वसूलने की जगह उन्हें नया कर्ज दे दिया जाता था और इसके चलते सरकारी बैंकों के ऊपर लगातार कर्ज का बोझ बढ़ता चला गया. मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस की इस कारस्तानी के चलते 2014 में एनडीए सरकार को एनपीए की समस्या एक लैंडमाइन की तरह मिली.

मोदी ने कहा कि एनपीए बढ़ने का एक कारण और है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में ऐसे फैसले लिए गए जिससे एनपीए की समस्या बैंकों की बैलेंसशीट से छिपी रहे और इस लैंडमाइन का किसी को पता न चल सके. पीएम ने दावा किया कि एनडीए सरकार के उनके कार्याकल के दौरान ईमानदारी के साथ बैंक के एनपीए की वास्तविक स्थिति दिखाने की परंपरा को शुरू किया. इसके बाद नए सिरे से बैंकों को दुरुस्त करने के लिए सुधार कार्यक्रम की शुरुआत की गई.

वहीं प्रधानमंत्री ने दावा किया कि देश में यदि 12 बड़े डिफॉल्टर की बात करें तो 45 फीसदी रिकवरी की जा चुकी है. एनडीए सरकार के कार्यकाल में हुए सुधारों से अब उम्मीद बंधी है कि जल्द देश के बैंक स्वस्थ होकर ट्रैक पर आ जाएंगे.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button