पुलिस विभाग को रास नहीं आया एक म्यान में ‘चार तलवारों’ का प्रयोग, डीजीपी मुख्यालय करेगा समीक्षा

लखनऊ। एक थाने में चार इंस्पेक्टर के फॉर्मूले की डीजीपी मुख्यालय समीक्षा करेगा। इस व्यवस्था को लागू हुए महीने भर हो चुके हैं, लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं दिख रहा है। बल्कि काम को लेकर ऐसे थानों में आंतरिक विवाद जरूर बढ़ गए हैं। अब समीक्षा के बाद यह तय होगा कि इस व्यवस्था को लागू रखा जाएगा या कोई और उपाय ढूंढा जाए।

बता दें, प्रदेश में 2,197 सब इंस्पेक्टरों के प्रमोशन के बाद इंस्पेक्टरों की कुल संख्या चार हजार के पार हो गई थी। ऐसे में इन्हें खपाने के लिए एक थाने में चार इंस्पेक्टर की व्यवस्था लागू की गई।

इसमें प्रभारी इंस्पेक्टर के अलावा अतिरिक्त इंस्पेक्टर कानून व्यवस्था, अपराध और प्रशासन के पद सृजित किए गए। यह व्यवस्था प्रदेश के 414 सर्किल मुख्यालय के थानों पर लागू की गई, लेकिन कई जिलों में इंस्पेक्टर की कमी के चलते तीन अतिरिक्त इंस्पेक्टर के स्थान पर एक या दो ही इंस्पेक्टर तैनात किए गए।

वहीं, कुछ थाने ऐसे थे जो अपराध व कानून व्यवस्था के मद्देनजर बेहद संवेदनशील थे, लेकिन सर्किल मुख्यालय न होने की वजह से वहां यह व्यवस्था लागू नहीं की गई। मसलन लखनऊ के काकोरी थाना क्षेत्र में मलिहाबाद थाना क्षेत्र की अपेक्षा अपराध अधिक होते हैं। मगर, सर्किल मुख्यालय नहीं होने के चलते वहां नई व्यवस्था नहीं लागू की गई। जबकि सर्किल मुख्यालय होने के कारण मलिहाबाद में तीन अतिरिक्त इंस्पेक्टर लगाए गए हैं। यही स्थिति प्रदेश के कई और जिलों के थाने की भी है।

नई व्यवस्था को स्वीकार नहीं कर पा रहे थानों के कर्मी

सूत्रों का कहना है कि नई व्यवस्था को थाने के कर्मचारी ही स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। वजह है, एक थाना प्रभारी के अतिरिक्त जो तीन अन्य अतिरिक्त इंस्पेक्टर हैं, उन्हें भी उसी स्टाफ से काम लेना पड़ रहा है।

ऐसे में कहीं मुंशी के न सुनने की तो कहीं सिपाही व दरोगा के न सुनने की शिकायतें आ रही हैं। वहीं, जिलों के पुलिस प्रभारियों को भी इस व्यवस्था को बनाए रखने में अधिक मशक्कत करनी पड़ रही है।

 

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