प्रशांत भूषण ने CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ दायर की शिकायत

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने मंगलवार को CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ ‘मेडिकल कॉलेज घोटाला’ मामले में शिकायत दायर की है. प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट की इन-हाउस प्रोसीजर के तहत पांच सीनियर मोस्ट जजों की पीठ के समक्ष यह शिकायत दायर की है.

प्रशांत भूषण की शिकायत जिस पीठ के समक्ष दायर हुई है, उनमें जस्टिस एके सीकरी के अलावा सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली और CJI के खिलाफ बगावत का रुख अपनाने वाले चारों जज जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकूर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं.

प्रशांत भूषण ने पांचों जजों से अनुरोध किया है कि वे इस मामले में जांच करें. कैंपेन फॉर जुडिशियल अकाउंटबिलिटी एंड रिफॉर्म्स के संयोजक के रूप में प्रशांत ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ अंदरूनी जांच की मांग की है और कहा है कि सीजेआई ने स्पष्ट तौर पर गंभीर कदाचार के कई कार्य किए हैं, जिनकी जांच इस न्यायालय के तीन/पांच न्यायाधीशों की एक समिति द्वारा की जानी चाहिए.

भूषण ने अपनी शिकायत में प्रधान न्यायाधीश पर चार आरोप लगाए हैं. प्रशांत भूषण का कहना है कि प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट मामले से संबंधित तथ्यों और परिस्थितियों से प्रथम दृष्ट्या ऐसे सबूत सामने आते हैं, जो यह कहते हैं कि सीजेआई मिश्रा मामले में अवैध रिश्वत के भुगतान की साजिश में शामिल हो सकते हैं. प्रशांत भूषण का कहना है कि इस मामले में CJI के खिलाफ भी कम से कम एक गहन जांच होनी चाहिए.

प्रशांत भूषण ने अपनी शिकायत में ओडिशा उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज आईएम कुद्दुसी, बिचौलिए विश्वनाथ अग्रवाल और प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के बीपी यादव के बीच हुई बातचीत का भी जिक्र किया है, जिसे टैप किया गया था. कुद्दुसी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, और फिलहाल वह जमानत पर हैं.

प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट को भारतीय चिकित्सा परिषद ने मेडिकल के छात्रों का प्रवेश लेने से रोक दिया था, और उसके बाद संस्थान ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. प्रशांत भूषण ने प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज नारायण शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज करने की सीबीआई को अनुमति न देने के CJI दीपक मिश्रा के कदम पर भी अपनी शिकायत में सवाल उठाया है.

प्रशांत भूषण ने 24 पेज की अपनी शिकायत में कहा है कि इन मामलों ने न्यायालय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है और न्यायपालिका को बदनाम किया है. यह एक ऐसा मामला है, जिसे तत्काल देखने की जरूरत है. उन्होंने शिकायत में कहा है कि इन सभी मामलों की जांच तेजी के साथ होनी चाहिए, ताकि न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को और नुकसान न पहुंचे और इसकी ईमानदारी व स्वतंत्रता बरकरार रहे.

 

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