प्राइवेट अस्पतालों में नामी चिकित्सकों की नेम प्लेट लगाकर मरीजों को लूटने का खेल जारी

लखनऊ। जिस डाक्टर को लोग भगवन मानते हैं वह कलयुग में शैतान का रूप घारण कर चुके हैं। जिसके चलते यूपी की राजधानी लखनऊ में कई निजी अस्पतालों में मरीजों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। इन अस्पतालों में नामी चिकित्सकों की नेम प्लेट लगाकर मरीजों को लूटने का खेल जारी है। यह खेल चिकित्सकों और अस्पताल संचालकों की मिलीभगत से हो रहा है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे आधा दर्जन चिकित्सकों को चिंहित किया है। विभाग ऐसे चिकित्सकों और अस्पतालों पर शिकंजा कसने की तैयारी में जुट गया है। जल्द ही चिंहित किए गए डॉक्टरों को विभाग नोटिस भेजने जा रहा है। साथ ही सीएमओ ऑफिस इन चिकित्सकों की शिकायत मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से भी करने की तैयारी में है।

सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग द्वारा निजी अस्पतालों में की गई छापेमारी के दौरान चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच से पता चला कि कई निजी अस्पताल नामी डॉक्टरों की नेम प्लेट लगाकर मरीजों को गुमराह कर रहे हैं जबकि ये डॉक्टर यहां इलाज के लिए आते ही नहीं है। वहीं ये अस्पताल अन्य डॉक्टरों से इलाज कराते हैं। सीएमओ कार्यालय ने ऐसे करीब आधा दर्जन चिकित्सकों को चिंहित किया है। ये सभी चिकित्सक एक दर्जन से अधिक अस्पतालों से संबद्ध हैं। इन अस्पतालों के बोर्ड में बाकायदा इनके नाम लिखे हुए हैं। अधिकांश डॉक्टर एमडी और एमएस डिग्रीधारी हैं। सूत्रों की मानें तो ये नामचीन डॉक्टर इन अस्पतालों से मोटी रकम लेकर अपना नाम इस्तेमाल करने की छूट दे देते हैं। नहीं तो यह कैसे संभव है कि एक ही डॉक्टर रोजाना एक दर्जन से अधिक अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए पहुंच सके।

सीएमओ कार्यालय में तैनात अफसरों के मुताबिक चिंहित किए गए डॉक्टर इन अस्पतालों में नहीं जाते हैं। हालांकि रजिस्टर में इनकी इंट्री जरूर दिखाई जाती है। यही नहीं मरीजों के ऑपरेशन भी इनके नाम से किए जाते हैं। नर्सिग होम एसोसिएशन के सूत्रों ने बताया कि ये ऐसे डॉक्टर हैं जो अस्पतालों में अपने नाम के उपयोग की छूट देते हैं और इसके एवज में डेढ़ से पांच लाख महीने तक की मोटी रकम वसूलते हैं। यही वजह है कि इन अस्पतालों से मरीजों की छुट्टी होने पर इलाज करने वाले डॉक्टर के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती और न ही कोई कागज दिया जाता है। इस खेल में ज्यादातर पुराने लखनऊ, हरदोई रोड और सीतापुर रोड के अस्पताल शामिल हैं। गौरतलब है कि इस खेल को स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सकों के शपथ पत्र के जरिए पकड़ा है। चिंहित आधा दर्जन चिकित्सकों ने दर्जन भर से अधिक अस्पतालों में शपथ पत्र लगा रखे हैं। यानी वे इन सभी में काम कर रहे हैं।

कई अस्पतालों में आन कॉल का खेल चल रहा है। जब स्वास्थ्य विभाग की टीम छानबीन के लिए इन स्थानों पर पहुंचती है तो अस्पताल प्रशासन चिकित्सक के आन कॉल की बात कहता है। आन कॉल यानी जरूरत के समय अस्पताल चिकित्सकों को बुलाता है और उसके एवज में उसे उसकी फीस देता है। गौरतलब है कि सीएमओ कार्यालय में लगभग 650 नर्सिग होम व क्लीनिक रजिस्टर्ड हैं। 50 के रजिस्ट्रेशन अभी पेंडिंग हैं। वहीं राजधानी में 1200 से अधिक नर्सिग होम व क्लीनिक संचालित किए जा रहे हैं। कई स्थानों पर बिना मानक अस्पताल चलाए जा रहे हैं। पुराने लखनऊ में दो दुकानों को लेकर उसे अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है। ऑपरेशन थिएटर और आईसीयू तक उतनी ही जगह में बनाए गए हैं।

पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग की छापेमारी के दौरान बीके हॉस्पिटल, ग्लैक्सी अस्पताल, प्रभात नर्सिग होम, हर्ष मेडिकल सेंटर और एसआरएन अस्पताल में इलाज कर रहे डॉक्टर भाग खड़े हुए थे। जांच में पता चला था कि नेम प्लेट पर लिखे नाम के डॉक्टर यहां आते ही नहीं हैं। इनके नाम का इस्तेमाल कर झोलाछाप डॉक्टर इलाज कर रहे थे। पुराने लखनऊ के उजाला नर्सिग होम को भी ऐसे ही डॉक्टरों द्वारा चलाये जाने की जानकारी सीएमओ कार्यालय को मिली थी। जब यहां छापा मारा गया तो हॉस्पिटल में एक भी डॉक्टर नहीं मिला और ऑपरेशन व मरीजों को देखने वाले डॉक्टर के रजिस्टर भी गायब कर दिए गए। सख्ती के बाद दो डॉक्टर हॉस्पिटल पहुंचे और बताया कि वे यहां इलाज करते हैं।

अगर कोई एमसीआई प्रमाणित डॉक्टर का इस्तेमाल कर नर्सिग होम या अस्पताल चला रहा है तो इसके लिए अस्पताल संचालक जिम्मेदार है। एमसीआई प्रमाणित डॉक्टर कितने भी अस्पतालों में अपनी सेवा दे सकता है, लेकिन हकीकत यह है कि एमसीआई प्रमाणित सिर्फ एक प्रतिशत ही डॉक्टर हैं बाकी इनके नाम का इस्तेमाल कर झोलाछाप डाक्टरों से इलाज करा रहें हैं।रिकाड्र्स की जांच के दौरान ऐसे पांच चिकित्सकों के नाम सामने आए हैं। अस्पताल और चिकित्सक दोनों को नोटिस दी जाएगी। साथ ही इसकी शिकायत एमसीआई से की जाएगी।

 

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