प्राकृतिक खेती बेरोजगारी दूर करने का सशक्त माध्यम

जीवामृत के प्रयोग से लहलहाएगी खेती

नौकरी छोड़कर शून्य लागत खेती की ओर आ रहे हैं लोग

प्राकृतिक कृषि से अन्ना गायों की समस्या से मिलेगी निजात

लखनऊ। लोकभारती के तत्वावधान में लखनऊ के अंबेडकर विश्वविद्यालय सभागार में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण शिविर के तीसरे दिन देसी गाय के प्राकृतिक खेती में महत्व पर प्रकाश डालते हुए कृषि ऋषि पदम श्री सुभाष पालेकर ने कहा कि देशी गाय के गोबर मूत्र में ही वह सूचना जीवाणु होते हैं जो पौधे को भोजन निर्माण में मदद करते हैं उन्होंने कहा कि देसी गाय 1 दिन में 11 किलो गोबर देती है साथ ही 2 लीटर मूत्र देती है कम दूध देने वाली गाय का गोबर मूत्र ज्यादा प्रभावी होता है उन्होंने बताया जो गाय बच्चा वह दूध नहीं देती वह खेती के लिए सर्वोत्तम होती हैं ऐसे में प्राकृतिक खेती अपनाकर अन्ना गायों की समस्या से भी निजात पाया जा सकता है क्योंकि हर किसान को ऐसी गायों की जरूरत होगी ।
श्री पालेकर ने कहा की देसी गाय के गोबर मूत्र आज से ही जीवामृत बनाकर और खेत में डालकर जो किसान प्राकृतिक खेती करना चाहते हैं उन्हें यह जानकारी होना चाहिए कि जीवामृत बनाने में ताजा गोबर ज्यादा अच्छा होता है उन्होंने जीवामृत बनाने की विधि का विस्तार से वर्णन किया ।
श्री पालेकर ने कहा कि आने वाले समय में जहां हर ओर रोजगार घट रहे हैं ऐसे में कृषि क्षेत्र ही ऐसा क्षेत्र बचेगा जहां रोजगार सृजित होते रहेंगे ऐसे में शून्य लागत प्राकृतिक खेती से देश की रोजगार की समस्या हल की जा सकती है ।
उन्होंने बताया कि शून्य लागत खेती की ओर लोग लाखों रुपए की नौकरी छोड़कर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से 8लाख प्रति एकड़ आसानी से पैदा किया जा सकता है यह धनराशि और भी ज्यादा हो सकती है ।
श्री पालेकर ने बताया सुन लागत प्राकृतिक खेती से पेड़ों को फलों से लदा देखा जा सकता है इससे भी आय बढ़ेगी और फल आदि खाकर लोग स्वस्थ रहेंगे जो कि जहर मुक्त होंगे ।
कार्यक्रम में बांग्लादेश नेपाल समेत देश के लगभग 15 सौ से अधिक किसान प्रशिक्षण ले रहे हैं। शिविर में प्रमुख रुप से लोकभारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बृजेंद्र पाल सिंह कार्यक्रम समन्वयक गोपाल उपाध्याय कथा संपर्क प्रमुख श्री कृष्ण चौधरी समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

 

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