फांसी पर लटकने से पहले याकूब मेमन ने सुनाई थी दो टूक

तहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि, नागपुर। 53वें जन्मदिन के दिन फांसी से दो घंटे पहले गुरुवार सुबह पांच बजे तक याकूब मेमन को उम्मीद थी कि वह बच सकता है। नागपुर सेंट्रल जेल के स्टाफ के मुताबिक 1993 के मुंबई ब्लास्ट में दोषी ठहराए गए याकूब मेमन को क्षमादान पर भरोसा था। बुधवार दोपहर बाद याकूब से भाई सुलेमान और चचेरे भाई उस्मान ने कुछ मिनट के लिए मुलाकात की थी। उसी शाम में सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद इन्होंने फिर मुलाकात की थी। इसके बाद दोनों भाई होटेल लौट गए थे। इनके कानों में याकूब की बात गूंज रही थी। याकूब ने इनसे कहा था, ‘यदि वो मुझे मेरे भाई के गुनाहों के लिए सजा दे रहे हैं तो मुझे कबूल है। अगर उनको लगता है कि मैं गुनाहगार हूं और सजा दे रहे हैं तो यह गलत है। मैं बेकसूर हूं।’
दो बजे रात में एक कॉन्स्टेबल ने सुलेमान और उस्मान के कमरे का दरवाजा खटखटाया। उसने एक चिट्ठी सौंपी। यह चिट्ठी फांसी की आधिकारिक सूचना थी। इसमें बताया गया था कि सुबह सात बजे याकूब को फांसी दी जाएगी। नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट आधी रात तक याकूब की फांसी की आखिरी याचिका पर सुनवाई करता रहा। जेल स्टाफ ने सुप्रीम कोर्ट के आखिरी शब्द का इंतजार करते हुए सारी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। रात में तीन बजे जेल स्टाफ याकूब के सेल में गए। इन्होंने उसे नहाने के लिए कहा। वह पहले से ही जाग रहा था। बैठकर वह इंतजार कर रहा था। जहां याकूब को फांसी दी गई वहां जेल सूपेरिंटेंडेंट, डेप्युटी सूपेरिंटेंडेंट, असिस्टेंट सूपेरिंटेंडेंट, मेडिकल ऑफिसर और फांसी पर चढ़ाने वाला एक शख्स मौजूद था। जब मैजिस्ट्रेट ने याकूब से पूछा कि अब तक उसे क्या कहा गया है और क्या पता नहीं है तब वह समझ गया कि फांसी तय हो गई है। करीब चार बजे उसे खाने के लिए उपमा दिया गया लेकिन सूत्रों का कहना है कि उसने टच भी नहीं किया। याकूब के परिवार वालों ने उसके जन्मदिन पर जो केक जेल में भेजा था, उसे नहीं मिला। उसने फिर कुरान की आयतें पढ़ीं। 6.10 में उसकी आखिरी याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। इसके बाद उसे फांसी दे दी गई। मेडिकल ऑफिसर ने उसे मृत घोषित किया और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। फांसी की पूरी प्रक्रिया का विडियो तैयार किया गया। 8 बजकर 40 मिनट पर याकूब का शव उसके परिवार वालों को सौंप दिया गया। इंडिगो फ्लाइट से शव गुरुवार 11 बजे मुंबई पहुंचा। शव के साथ दो पुलिस अधिकारी, एक पुलिस इंस्पेक्टर, एक कॉन्स्टेबल और याकूब के भाई सुलेमान और उस्मान थे। बुधवार को याकूब राष्ट्रपति भवन से उम्मीदें लगा बैठा था। याकूब अपने परिवार वालों और वकील से लगातार दोहराता रहा कि उसने सरेंडर किया था। वह कहता रहा कि मुझे सीबीआई ने अरेस्ट नहीं किया है, उसे क्यों क्रेडिट दिया जा रहा है। उसने कहा कि रॉ के पूर्व ऑफिसर बी. रमन ने बिल्कुल सच कहा है। इस बात को मेरी याचिका में जोड़ने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद सुलेमान और उस्मान ने बुधवार को याकूब से जेल में दोबारा मुलाकात की थी। यह मुलाकात 10 मिनट की थी। इस मुलाकात के दौरान याकूब सच का सामना करने को तैयार नहीं था। दोनों भाइयों ने याकूब के कहा कि अब सारी उम्मीदें खत्म हो गई हैं लेकिन वह हर बार कहता रहा कि मेरा कोई कसूर नहीं है। वह कहता रहा अब भी विकल्प हैं और न्यायपालिका पर भरोसा है।

 

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