फैक्ट चेक: क्या हरे रंग से बचते हैं पीएम मोदी, क्या कभी उन्होंने हरा परिधान नहीं पहना?

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश-विदेश में जहां भी जाते हैं, उनकी पोशाक भी सुर्खियां बटोरती हैं. देश में मोदी जिस अंचल में भी जाते हैं, वहां की छाप भी उनके परिधान में अक्सर देखने को मिलती है. अब वो सूट हो, या कुर्ते हों या सिर ढकने के लिए टोपी आदि, सब के तरह-तरह के रंग पीएम मोदी को अन्य गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी में भी विशिष्ट पहचान देते हैं. लेकिन कई अन्य राजनेताओं की तरह क्या प्रधानमंत्री मोदी को किसी रंग को लेकर कोई पूर्वाग्रह है.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कहना है कि पीएम मोदी को हरे रंग को लेकर पूर्वाग्रह है. थरूर इसे ‘सांप्रदायिक राजनीति’ और ‘असहिष्णुता’ से जोड़ कर देखते हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता थरूर ने रविवार को सवाल किया, ‘प्रधानमंत्री मोदी हरे रंग से क्यों दूर रहते हैं.’ थरूर ने साथ ही दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने कभी हरे रंग की पोशाक नहीं पहनी.

दरअसल, थरूर तिरुवनंतपुरम में एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. सेमिनार का थीम था- ‘घृणा के खिलाफ खड़े होना : समकालीन भारत में  हिंसा और असहिष्णुता’. इस दौरान थरूर ने कहा कि आपने उन्हें (मोदी को) तरह-तरह के मजेदार असाधारण परिधानों में देखा होगा.लेकिन तब भी वे हमेशा एक रंग को ना कहते हैं, वो हरे रंग वाले परिधान क्यों नहीं पहनते?

थरूर ने दावा किया कि मोदी हरे रंग की पहचान मुस्लिम तुष्टिकरण से करते हैं. थरूर ने सांप्रदायिक हिंसा बढ़ने का हवाला देते हुए ये कहा. थरूर के मुताबिक ‘असहिष्णुता’ बढ़ने की वजह से ऐसा हो रहा है जिसके लिए सत्तारूढ़ सरकार के नेता जिम्मेदार हैं.

इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने पड़ताल से ये जानने की कोशिश की कि क्या प्रधानमंत्री को वाकई किसी रंग को लेकर पूर्वाग्रह है,  क्या वह सच में हरा रंग पहनने से बचते हैं.  इसके अलावा क्या उन्होंने कभी हरा परिधान नहीं पहना, जैसे कि थरूर ने दावा किया है.

शशि थरूर ने अपने भाषण में मोदी पर आरोप लगाया कि वो तरह के हेडगियर्स (टोपी आदि) पहनते हैं लेकिन मुस्लिम टोपी पहनने से इनकार कर देते हैं. थरूर संभवत 2011 में मोदी की उस सद्भावना यात्रा का हवाला दे रहे थे जिसमें उन्होंने एक इमाम की ओर से मुस्लिम टोपी पहनने से इनकार कर दिया था. मोदी ने तब विनम्रता से इमाम से शाॅल देने के लिए कहा था. फिर उन्होंने इमाम की ओर से दी गई शाॅल को स्वीकार कर लिया था. लेकिन सवाल है कि शशि थरूर अपने इस कथन को लेकर तथ्यात्मक रूप से कितना सही हैं.

इसके लिए हमने देश-विदेश में विभिन्न अवसरों पर प्रधानमंत्री मोदी की पहनी पोशाकों को देखा तो पाया कि कुआलालंपुर में 2015 में आसियान सम्मेलन के दौरान मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री नाजिब रजक की ओर से दिए रात्रिभोज में पीएम मोदी ने हरे रंग की मलेशियाई जैकेट या टैंग सूट पहना था. लेकिन यहां ये बताना जरूरी है कि उस रात्रिभोज के लिए ड्रेस कोड तय था. वहां मोदी से लेकर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तक ने इसी तरह की ड्रेस विभिन्न रंगों में पहनी थी.

लेकिन क्या ये अकेला अवसर था जब प्रधानमंत्री मोदी ने हरे रंग की पोशाक पहनी, वो भी ड्रेस कोड के दबाव के चलते? इसकी पड़ताल में हम भारतीय जनता पार्टी की आधिकारिक वेबसाइट पर पहुंचे. वेबसाइट की गैलरी में पीएम मोदी को विभिन्न विभिन्न रंगों की पोशाकों में देखा जा सकता है. पहली तीन तस्वीरों में प्रधानमंत्री हरे कुर्ता पहने देखे जा सकते हैं.

क्या मोदी हरे रंग से बचते हैं या वो इस रंग को मुस्लिमों से जोड़ कर देखते हैं? इस पर  प्रधानमंत्री मोदी पर लिखी बायोग्राफी “Narendra Nodi: The Man, The Times” के लेखक नीलांजन मुखोपाध्याय अहमदाबाद के चौहान ब्रदर्स का हवाला देते हैं. यहां बता दें कि चौहान ब्रदर्स का ‘जेड ब्लू’ के नाम से डिजाइनर ब्रैंड है. बिपिन और जितेंद्र चौहान नाम के ये भाई मोदी के स्टाइलिस्ट्स में से एक माने जाते हैं. मुखोपाध्याय ने किताब के एक अध्याय ‘द मोदी कुर्ता’ में बिपिन चौहान के बयान का जिक्र किया है. इसमें बिपिन ने कहा कि ‘मोदी वास्तव में कभी हरा नहीं पहनते और काले रंग को लेकर भी बहुत सतर्क रहते हैं. कुछ भी ‘जेट-ब्लैक’ हो, उससे वो दूर रहते हैं. हां वे शाम को काली धारियों वाली पोशाक में सहज रहते हैं.

ये बार-बार पूछे जाने वाले सवाल का सबसे प्रत्याशित जवाब हो सकता है. लेकिन केसरिया वास्तव में मोदी का पसंदीदा रंग है. हालांकि वे इस रंग के चटख स्वरूप से बचते हैं और गहरे और शांत को तरजीह देते हैं.’

इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने ‘जेड ब्लू’ के मालिक बिपिन चौहान से संपर्क कर इस बारे में जानना चाहा. हमने चौहान से पूछा कि क्या मोदी वाकई हरे रंग से दूर रहते हैं क्योंकि इसे मुस्लिमों से जुड़ा बताया जाता है? इस पर बिपिन चौहान ने कहा, ‘ऐसा कहना पूरी तरह गलत है. प्रधानमंत्री की इस रंग को लेकर ऐसी कोई भावना या द्वेष नहीं है.’

जब चौहान को मुखोपाध्याय की किताब का हवाला देकर पूछा गया कि क्या उन्होंने कभी हरा रंग नहीं पहना? इस पर चौहान ने कहा कि भारत में पुरुषों के फैशन जगत में हरे को साधारणत: पसंदीदा रंग नहीं माना जाता. आप कितनी पुरुष हस्तियों को हरा रंग पहने देखते हैं? ज्यादा नहीं. हां प्रधानमंत्री आइवरी, हल्के क्रीम रंग को पसंद करते हैं.

हमने हरे रंग को लेकर प्रधानमंत्री की किसी टिप्पणी या शशि थरूर के मुताबिक उसके मुस्लिमों से कथित जुड़ाव को ढूंढने की कोशिश की लेकिन ऐसा कुछ नहीं मिला.  फैक्ट चेक टीम ने पाया कि शशि थरूर का दावा पूरी तरह बेबुनियाद है कि मोदी का हरे रंग को लेकर कोई द्वेष है या मुस्लिमों से इसका कोई जुड़ाव है.

 

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