बड़ी राहत: बरेली की अदालत ने निदा खान के ट्रिपल तलाक को अवैध घोषित किया, शौहर की याचिका भी खारिज

लखनऊ। बरेली की एक अदालत ने तीन तलाक की पीड़िता निदा खान को बड़ी राहत दी है. बरेली की अदालत ने निदा खान को शौहर द्वारा दिये गये तीन तलाक को अवैध घोषित कर दिया है. वहीं, अदालत ने इंस्टैंट तीन तलाक की शिकार निदा खान के शौहर शीरन की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने घरेलू हिंसा के केस पर स्टे लगाने की मांग की थी. अब मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी.

ANI UP

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Bareilly Court rejected petition of triple talaq victim Nida Khan’s husband Sheeran. He had filed a petition seeking staying of domestic violence case against him. Court also declared triple talaq given by him as invalid. Next date of hearing is July 27

बता दें कि तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाने को लेकर पिछले दिनों मुस्लिम महिला निदा खान के खिलाफ फतवा जारी हो गया था. यह फतवा बरेली के ताकतवर व प्रभावशाली शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने जारी किया. फतवे में कहा गया कि, ‘अगर निदा खान बीमार पड़ती हैं तो उन्हें कोई दवा उपलब्ध नहीं कराई जाएगी.  अगर उनकी मौत हो जाती है तो न ही कोई उनके जनाजे में शामिल होगा और न ही कोई नमाज अदा करेगा’. फतवे में यह भी कहा गया है कि, ‘अगर कोई निदा खान की मदद करता है तो उसे भी यही सजा झेलनी होगी’. मुफ्ती खुर्शीद आलम ने फतवे में कहा है कि, ‘निदा खान से तबतक कोई मुस्लिम संपर्क नहीं रखेगा जबतक वे सार्वजनिक तौर पर माफी नहीं मांग लेती हैं और इस्लाम विरोधी स्टैंड को छोड़ती नहीं हैं’.

आपको बता दें कि निदा खान खुद तलाक पीड़िता हैं और उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई है. अब वे अपनी संस्था के माध्यम से ऐसी महिलाओं की मदद करती हैं. उन्होंने तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह जैसी प्रथाओं के खिलाफ भी अभियान छेड़ रखा है.

निदा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पलटवार किया था और कहा था कि फतवा जारी करने वाले पाकिस्तान चले जाएं. हिन्दुस्तान एक लोकतांत्रिक देश है. यहां दो कानून नहीं चलेंगे. किसी मुस्लिम को इस्लाम से खारिज करने की हैसियत किसी की नहीं है. सिर्फ अल्लाह ही गुनहगार और बेगुनाह का फैसला कर सकता है.

मालूम हो कि निदा की शादी आला हजरत खानदान के उस्मान रजा खां उर्फ अंजुम मियां के बेटे शीरान रजा खां से 16 जुलाई 2015 को शादी हुई थी मगर बाद में पांच फरवरी 2016 को उनका तलाक हो गया. उसके बाद निदा ने अदालत का सहारा लिया है. निदा अन्य तलाकशुदा महिलाओं के लिये भी आंदोलन कर रही हैं.

 

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