बब्बर खालसा के आतंकवादी गोपी घनश्यामपुरा को छोड़ने के लिए एसटीएफ के आईजी रेंज के एक अधिकारी ने माँगा था 10000000 रुपये

लखनऊ। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंश की बात करने वाली यूपी की योगी सरकार में भ्रष्टाचार का आलम ये है कि पैसे लेकर पुलिस की गिरफ्त से आतंकी छोड़ दिए जा रहे है। इस पूरे मामले का खुलासा कभी नहीं हो पाता अगर पंजाब पुलिस इस मामले की गोपनीय तरीके से छानबीन ना कर रही होती। साल 2016 के नवंबर महीने में पंजाब के नाभा जेल से खालिस्तान लिब्रेशन फ्रंट और बब्बर खालसा के आतंकवादियों के भागने के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया था। इस जेल ब्रेक केस की जांच कर रही पंजाब पुलिस की इंवेस्टिगेशन में  यूपी एसटीएफ के आईजी रेंज के एक अधिकारी पर एक करोड़ लेकर जेल ब्रेक के मास्‍टरमाइंड गोपी घनश्यामपुरा को छोड़ने का आरोप लग रहा है। बताया जा रहा है कि एसटीएफ के अधिकारी ने मास्‍टरमाइंड गोपी घनश्यामपुरा को छोड़ने के लिए एक करोड़ की डील की थी और बाद में 45 लाख रुपये लेकर उसे छोड़ भी दिया। मामले की जानकारी सीएम योगी तक पहुंच चुकी है और योगी प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार और पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह को तलब कर जांच बिठाने का आदेश दे दिया है।

27 नवंबर 2016 को खालिस्तान लिब्रेशन फ्रंट और बब्बर खालसा के आतंकवादियों को पटियाला की नाभा जेल से छुड़ा लिया गया था। आतंकियों को छुड़ाने के लिए अपराधी पुलिस की वर्दी में आए थे। इस मामले के मास्‍टरमाइंड गोपी घनश्याम पुरा को उत्‍तर प्रदेश में 10 सितंबर को शाहजहांपुर से गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन गिरफ्तारी के बाद भी ना तो गोपी घनश्याम पुरा की गिर्फतारी दिखाई गई और ना ही उसके गिरफ्तार होने की सूचना सार्वजनिक की गई। जिसके बाद नश्यामपुरा के दोस्‍त और नाभा जेल से फरार होने वाले अपराधियों में से एक हरजिंदर सिंह भुल्लर उर्फ विक्की गोंड ने फेसबुक पर गोपी घनश्यामपुरा को लखनऊ में गिरफ्तार किए जाने की खबर पोस्ट की। उसे डर था कि कहीं पुलिस मीडिया को बिना बताए धन्शामपुरा का एनकाउंटर ना करदे। फेसबुक पर  हरजिंदर सिंह भुल्लर उर्फ विक्की गोंड की पोस्ट देख पहले से इस मामले की जांच कर रही पंजाब पुलिस हरकत में आई और पंजाब पुलिस ने हरजिंदर सिंह भुल्लर उर्फ विक्की गोंड को ट्रैक करना शुरू किया।

पुलिस ने जब हरजिंदर सिंह भुल्लर उर्फ विक्की गोंड को ट्रैक करना शुरू किया तो पता चला कि उसने एक बड़े शराब व्यापारी रंधीप सिंह रिम्पल को इस बात की जानकारी दी और  उसने जेल में बंद बलजिंदर सिंह उर्फ ढोनी को गोपी घनश्यामपुरा को पुलिस से छुड़वाने की जिम्मेदारी दी ताकी वो यूपी पुलिस से छूटकर पंजाब वापस जा सके। बलजिंदर सिंह उर्फ ढोनी ने यूपी के तिकड़मीबाज कांग्रेसी नेता पिंटू तिवारी से संपर्क किया और उससे गोपी घनश्यामपुरा को छुड़ाने की बात कही। पिंटू ने उस एटीएस अधिकारी से संपर्क साधा और गोपी घनश्यामपुरा को छूड़ाने के एवज ने एक करोड़ की डील की जिसे बाद में 50 लाख रुपये में सेट कर दिया गया।

उधर पंजाब पुलिस के पास एक के बाद एक सबूत इकट्ठे होते जा रहे थे और इधर यूपी एटीएस घन्श्यामपुरा को भगाने की पूरी तैयारी कर चुका था। पंजाब पुलिस ने भी यूपी के पुलिस अफसरों से गोपी की गिरफ्तारी से जुड़ी जानकारी मांगी तो अफसरों ने कोई भी जानकारी होने से इंकार कर दिया। जिसके बाद पंजाब पुलिस ने रिंपल, गुरप्रीत और पिंटू तिवारी को गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ में इन लोगों ने पंजाब पुलिस को सारी जानकारी दे दी।

पंजाब पुलिस ने तमाम सबूतों के साथ यूपी के डीजीपी सुलखान सिंह से संपर्क किया और उन्हें इस पूरे मामले के बारे में बताया गया। इसके साथ ही वो रिकार्डिंग भी सौपीं जिसमें पैसे के बदले गोपी को छोड़ने की बात हो रही थी। यूपी डीजीपी सुलखान सिंह से तुरंत इस मामले की जानकारी सीएम योगी तक पहुंचाई और योगी ने जांच कराने के आदेश दे दिए।

हिरासत में लिए गए अपराधी घनश्यामपुरा को छोड़ने के लिए जिस अफसर का नाम सामने आ रहा है वह लखनऊ में ही तैनात है। सूत्रों के मुताबिक IG रैंक के इस अफसर के पहले भी कई कारनामे सामने आ चुके हैं। लेकिन इस अधिकारी की ऊपर तक पहुंच होने के कारण इसके खिलाफ कोई शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।

 

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