बलात्कारी गुरुमीत से नजदीकियों को लेकर संघ और भाजपा की बड़ी किरकिरी

नई दिल्ली।  पांच करोड़ भक्तों के स्वयंभू भगवान गुरमीत राम रहीम को ज्यों ही जज जगदीप सिंह ने बलात्कार का दोषी माना। पंचकुला की भरी अदालत में बाबा फूट-फूटकर रोने लगे। सच यह है कि चार साल पहले 2013 में आसाराम बापू भी इसी तरह रोने लगे थे। जब उन्हें 16 साल की लड़की से बलात्कार का दोषी करार दिया गया। ये दोनों तथाकथित संत भाजपा के बड़े नेताओं के करीब थे। चाहे मोदी हों या शाह जैसे बड़े नेता। सबकी इन बाबाओं के साथ नजदीकियां जग जाहिर हैं। दोनों बाबा करोड़ों समर्थकों की आड़ में अपने घिनौने काम खुले आम कर रहे थे। बावजूद इसके कथित नैतिकता की दुहाई देने वाले भाजपा नेता खामोशी की चादर ओढ़े रहे।    बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम से भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान खुले मंच से समर्थन मांगा था। आज वही गुरमीत राम रहीम के कारण भाजपा और संघ की भारी  किरकिरी हो रही है।

ऐसे समय में, जब पूरे देश की निगाहें न्यायपालिका के इस बड़े फैसले पर टिकी थी। जब पूरा देश न्यायपालिका के फैसले का सम्मान कर रहा है, तब भाजपा के हर बड़े नेता का ट्विटर खामोश है। इससे साफ पता चलता है कि भाजपा नेता खुद चेहरा छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।

मोदी ने की थी गुरमीत की तारीफ   देश भर में डेरा सच्चा सौदा  के करीब पांच करोड़ समर्थक बताए जाते हैं. जिनमें से 1 करोड़ मतदाता तो सिर्फ पंजाब और हरियाणा में हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 2014 में जब हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने पहुंचे तो उन्होंने डेरा सच्चा सौदा के सामाजिक कार्यों की जमकर तरीफ की थी.   खट्टर की खड़ी हो गई खाट

दुष्कर्म मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के दोषी करार होने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सबसे ज्यादा किरकिरी हुई है। संघ के पूर्व प्रचार रहे खट्टर की साख को सबसे ज्यादा बट्टा लगा है। क्योंकि खट्टर बाबा गुरमीत राम रहीम के पास मत्था टेकते रहे हैं। उनके साथ कई बार मंच साझा करने की तस्वीरें दुनिया देख चुकी है। खास बात है कि खट्टर के मुख्यमंत्री बनने में रहीम के समर्थन का बड़ा योगदान रहा।

खास बात रही कि जिस पवित्रता के संकल्प के साथ 96 साल पहले हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी,दागी बाबाओं से संघ नेताओं की नजदीकियों के चलते उस संकल्प के चीथड़े उड़ रहे हैं

शाह-सुषमा ने की थी मुलाकात

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2014 में बाबा राम रहीम के डेरे पर बीजेपी डोरे डालने में कामयाब रही. राम रहीम का समर्थन लेने के लिए खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने उनसे जाकर मुलाकात की थी. जिसके बाद डेरा सच्चा सौदा ने वोटिंग से तीन दिन पहले हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान किया था.

डेरा के इतिहास में ये पहला मौका था जब  खुलकर उसने किसी सियासी पार्टी के पक्ष में समर्थन किया था. इस अपील का असर भी हुआ और बीजेपी दोनों सूबों में बहुमत के साथ जीत दर्ज करने में कामयाब रही.

बाब राम रहीम का हरियाणा के नौ जिलों की करीब तीन दर्जन विधानसभा सीटों पर अच्छा खासा दखल है. सूबे में 20 लाख से 25 लाख उनके अनुयायी हैं. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने डेरा का समर्थन होने से उचाना कलां, टोहाना, अंबाला सिटी, हिसार, नारनौंद, बवानी खेड़ा, भिवानी, शाहबाद, थानेसर, लाडवा, मौलाना और पेहवा सीटों पर जीत दर्ज की थी.

इससे पहले के चुनाव में बीजेपी इनमें से सिर्फ भिवानी सीट पर ही जीत हासिल कर सकी थी. सूबे में इससे पहले डेरा इनोलो और कांग्रेस की जीत में अहम भमिका अदा कर चुका है.

बीजेपी के कई मंत्री रहीम के सामने हैं नतमस्तक

डेरा सच्चा सौदा के दरबार में बीजेपी नेता सिर्फ हाजिरी नहीं लगाते, बल्कि कई मंत्रियों ने बाकायदा डेरा को अनुदान भी दिया है. इनमें एक केंद्रीय मंत्री और तीन हरियाणा के मंत्री शामिल हैं. हरियाणा के शिक्षा मंत्री राम विलास शर्मा ने डेरा मुखी के जन्मदिन पर 51 लाख रुपये डेरा को अनुदान देने का ऐलान किया था.

इससे पहले रुमाल छू प्रतियोगिता को बढ़ावा देने के लिए  खेल मंत्री अनिल विज ने 50 लाख रुपये और सहकारिता राज्यमंत्री मनीष ग्रोवर ने खेल लीग के दौरान 11 लाख रुपये का अनुदान दिया था. इतना ही नहीं केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल भी स्टेडियम बनाने के लिए 30 लाख रुपये की मदद कर चुके हैं.

पंजाब की सियासत में भी डेरा प्रमुख राम रहीम की अहम भूमिका रही है. डेरा प्रमुख के प्रभाव में पंजाब के मालवा क्षेत्र के 13 जिले आते हैं. सूबे की 117 विधानसभा सीटों में से 65 सीटें मालवा इलाके से आती हैं. इन सीटों पर डेरा समर्थक हार जीत में अहम भूमिका अदा करते हैं. यही वजह है कि पंजाब चुनाव के दौरान तकरीबन हर पार्टी के नेता डेरा सच्चा सौदा की चौखट पर सिर झुकाने आते हैं.

2007 के विधानसभा चुनाव और 2009 के लोकसभा चुनाव में अपरोक्ष रूप से डेरा ने कांग्रेस का समर्थन किया था. डेरा के प्रभाव वाली 65 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस 37 सीटों पर जीती थी. जबकि शिरोमणि अकाली दल 19 पर सिमट गया था. इस बार आकाली-बीजेपी गठबंधन को डेरा ने समर्थन किया था, लेकिन उनका जादू नहीं चल सका।

दरअसल 1990 में जब बाबा गुरमीत राम रहीम डेरा प्रमुख बने तो उसके बाद से इसके दायरे का काफी विस्तार हुआ. आज उत्तर प्रदेश के बागपत, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा और दिल्ली से लेकर राजस्थान में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, कोटा, बीकानेर, उदयपुर, जयपुर तक डेरा की शाखाएं फैल चुकी हैं. मध्य प्रदेश के सीहोर, छत्तीसगढ़ के कोरबा, महाराष्ट्र के सतारा, गुजरात के भुज, कर्नाटक के मैसूर से लेकर उड़ीसा के पुरी तक डेरा सच्चा सौदा के आश्रम स्थापित हैं।

 

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