बाबरी मामला: आडवाणी-जोशी को झटका लेकिन ‘मोदी की बीजेपी’ को राजनीतिक फायदा?

नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती जैसे बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मामला चलाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भले ही इन नेताओं पर निजी तौर पर बड़ा असर पड़े लेकिन ‘मोदी की बीजेपी’ के लिए इसके राजनीतिक फायदे ज्यादा हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इस मामले का ट्रायल दो साल के भीतर पूरा होगा। भारतीय जनता पार्टी के 2 सीटों से 282 तक के सफर में राम मंदिर बड़ा मुद्दा रहा है। ऐसे में अगले दो सालों तक यानी 2019 के लोकसभा चुनावों तक इस मुद्दे की राजनीतिक गर्मी बीजेपी को मिलती रहेगी।

बाबरी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस बहुत सतर्कता बरत रही है। देश की बहुसंख्यक जनता से जुड़े इस मुद्दे पर कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने बीजेपी को ज्यादा घेरने की कोशिश नहीं की है। मामले की संवेदनशीलता और अपनी राजनीतिक हालत देखते हुए कांग्रेस का बीजेपी पर बहुत ज्यादा सख्त होना मुश्किल है। बीजेपी हमेशा से ही कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाती रही है। कांग्रेस ऐसे समय में अपनी छवि बहुसंख्यक विरोधी नहीं बनाना चाहेगी। सोनू निगम के विवादित ट्वीट पर भी कांग्रेस बहुत ज्यादा हमलावर नहीं हुई।

पीएम मोदी पहले ही पार्टी के वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को मार्गदर्शक मंडल में भेज उनका सरकार में हस्तक्षेप कम कर चुके हैं। जुलाई में राष्ट्रपति चुनाव भी होने हैं जिसमें आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का नाम मीडिया में चल रहा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद राष्ट्रपति पद के लिए इन दोनों वरिष्ठ नेताओं का नाम आगे किए जाने की संभावना और कम हो गई है। आरजेडी चीफ लालू यादव ने आडवाणी के खिलाफ आपराधिक मामला चलाए जाने को ‘सोची समझी राजनीति’ की संज्ञा दी।

 

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