बिहार के रेड जोन में वोटिंग आज, NDA की बड़ी परीक्षा

bihar 2तहलका एक्सप्रेस

नई दिल्ली। बिहार में दूसरे चरण में शुक्रवार को जिन विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, उन क्षेत्रों को सेंट्रल बिहार का ‘रेड जोन’ कहा जाता है। इस इलाके में बीजेपी को अपने छोटे सहयोगी दलों उपेंद्र कुशवाहा के आरएलएसपी और जीतन राम मांझी के हम से काफी उम्मीद है। वजह यह कि 6 जिलों की 32 विधानसभा सीटों में से बीजेपी महज 16 सीटों पर लड़ रही है। बाकी सीटों पर सहयोगी हैं।

 1990 के दशक में राज्य के इसी इलाके में सबसे ज्यादा नरसंहार हुए थे। हालांकि, 2010 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो उस इलाके में महागठबंधन की स्थिति ज्यादा मजबूत नजर आ रही है।

2010 विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी और एलजेपी को कुल 17.7 फीसदी वोट हासिल हुए थे, जबकि नीतीश, लालू और कांग्रेस के खाते में 53 फीसदी वोट गए थे। आरएलएसपी और हम तब अस्तित्व में ही नहीं थे। चार साल बाद, 2014 के लोकसभा चुनाव में, महागठबंधन का वोट शेयर 47.4 फीसदी रहा। हालांकि, यह बीजेपी और आरएलएसपी के 40.5 फीसदी से ज्यादा था। एलजेपी ने इस इलाके की किसी सीट पर चुनाव नहीं लड़ा और हम तब तक भी अस्तित्व में नहीं आई थी।

माना यह भी जा रहा है कि राजनीतिक लिहाज से यह इलाका बीजेपी के लिए पहले चरण के चुनाव में शामिल क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा बेहतर है। 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी का इस इलाके के 18 विधानसभा क्षेत्रों में प्रदर्शन अच्छा रहा था और उसकी सहयोगी पार्टी आरएलएसपी के दो उम्मीदवारों ने भी जीत हासिल की थी।

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह ने जहानाबाद लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी, जबकि पार्टी सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से सांसद बने थे। नक्सलियों का समर्थन भी इस इलाके में मायने रखता है।

नक्सलवाद प्रभावित इस इलाके में कुल 3,637 पोलिंग स्टेशन हैं। कैमूर (भभुआ), में 131, रोहतास में 494, अरवल में 329, जहानाबाद में 370, औरंगाबाद में 666 और गया जिले में 1,639 बूथ हैं। कैमूर (भभुआ) की सीमा उत्तर प्रदेश से भी मिलती है। बीजेपी, एलजेपी, आरएलएसपी और हम ने इस रीजन में क्रमश: 16, 3,6 और 7 उम्मीदवार उतारे हैं। जहां तक महागठबंधन का सवाल है, तो जेडी(यू), आरजेडी और कांग्रेस इस रीजन में क्रमश: 13, 13 और 6 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं।

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तीन जिलों- गया, जहानाबाद और अरवल में पिछड़ा वर्ग के वोटरों की अच्छी संख्या है। खास तौर पर यादव, कोइरी और कुर्मी की, लिहाजा इन जिलों में लालू और नीतीश की दोस्ती की भी परीक्षा होगी। औरंगाबाद, रोहतास और भभुआ में सवर्ण जातियों की अच्छी संख्या है और उन्हें इस चुनाव में मुख्य तौर पर बीजेपी का वोटर माना जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और एलजेपी चीफ राम विलास पासवान के अलावा इस रीजन में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की दलितों और महादलितों के बीच लोकप्रियता की भी परीक्षा होगी। मांझी दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं- मखदूमपुर और इमामगंज। दोनों सीटों पर इसी चरण में चुनाव हैं। सबसे दिलचस्प लड़ाई इमामगंज में है, जहां मांझी जेडी(यू) के महादलित नेता और बिहार विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी से मुकाबले में हैं।

बीजेपी के लिए गया अहम सीट है। इस सीट का नेतृत्व बीजेपी के अति पिछड़ा वर्ग के नेता और 9 बार विधायक रह चुके प्रेम कुमार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले गया में परिवर्तन रैली को संबोधित किया था। एक और दिलचस्प लड़ाई रोहतास के दिनारा सीट पर है। झारखंड में बीजेपी के संगठन सचिव राजेंद्र सिंह जेडी(यू) के प्रत्याशी और बिहार के सहकारिता मंत्री जय कुमार सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र सिंह के नॉमिनेशन के दिन झारखंड के सीएम रघुवर दास भी दिनारा पहुंचे थे। साथ ही, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी भी यहां सभा को संबोधित कर चुके हैं।

 

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