बिहार चुनाव : नीतीश के गढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 को भरेंगे हुंकार

moniनालंदा। राष्ट्रीय राजमार्ग 30 को बख्तियारपुर पर छोड़कर जैसे ही आप नालंदा का रुख करते हैं तो हरनौत विधानसभा क्षेत्र पहुंचते पहुंचते यह स्पष्ट होने लगता है कि इस बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए अपना मजबूत किला बचाना एक कड़ी चुनौती है।

वैसे भी बिहार शरीफ से नीतीश के ही पुराने पहलवान इस बार हाथ में कमल लेकर मैदान में है। एक दिन पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह बिहार शरीफ का दौरा कर लौटे हैं। अब 25 को पीएम नरेन्द्र मोदी यही से हुंकार भरने वाले हैं। जाहिर है नितीश को उनके ही अखाड़े में घेरकर पटखनी देने की रणनीति पर काम चल रहा है।

सात विधानसभा सीटों वाले इस नालंदा क्षेत्र में अपनी साख बचाने के लिए मुख्यमंत्री को कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ लड़ कर छह सीटों पर चुनाव जीते जदयू के लिए इस बार अपना पुराना प्रदर्शन दोहराना आसान नहीं है।

कुर्मी बहुल यह इलाका मुख्यमंत्री का गढ़ माना जाता है। लेकिन इस बार भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ रहा जदयू अपने इस गढ़ में फंसा हुआ दिख रहा है। लोकसभा चुनाव में इसकी झलक दिख चुकी है जब नालंदा सीट से राजग सहयोगी लोजपा के उम्मीदवार ने जदयू के सांसद का पसीना निकाल दिया था।

जनता में नीतीश को लेकर अभी भी कोई गुस्सा नहीं है। लेकिन चुनाव के लिए लालू यादव से हाथ मिलाने की उनकी मजबूरी मतदाता को भी समझ नहीं आ रही है। बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र के मुन्ना मुखिया मानते हैं कि नीतीश की यह मजबूरी ही उन्हें इन चुनावों में कमजोर कर सकती है।

जातिगत समीकरण और विकास का सपना

नालंदा की सीटों पर टिकटों का बंटवारा कुछ इसी लिहाज से किया गया है। इसके लिए पार्टी ने इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र में अपने सिटिंग विधायक को बदलने से भी गुरेज नहीं किया है।

इस सीट पर राजीव रंजन की जगह पार्टी ने इस बार यादव उम्मीद को मैदान में उतारा है। पार्टी की रणनीति जातिगत समीकरणों का पूरा लाभ उठाने की है। इस्लामपुर से सटी हिलसा सीट पर लोजपा के टिकट पर रंजीत डॉन की पत्नी दीपिका मैदान में हैं।

पार्टी ने इन दोनों प्रत्याशियों के जरिए नीतीश-लालू के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। पार्टी की कोशिश कुर्मी और यादव मतदाताओं को साथ लाकर दोनों विधानसभा सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने की है। नालंदा की सभी सीटों पर चुनाव का काम संभाल रहे भाजपा नेता व्यंकटेश कुमार शर्मा कहते हैं कि दोनों सीटें सटी होने के चलते मतदाताओं को हिलसा और इस्लामपुर में भाजपा के साथ लाना मददगार साबित हो सकता है।

नीतीश को घेरने की रणनीति के तहत ही पार्टी ने पहली बार नालंदा क्षेत्र की किसी भी सीट पर फॉरवर्ड उम्मीदवार उतारने से परहेज किया है। पार्टी की नजर दलित और महादलित मतदाताओं पर भी है। अरांवा गांव के पंकज कुमार कहते हैं कि लालू के राज में यादवों ने कुछ दलितों और महादलितों के साथ जैसा व्यवहार किया उसे भुलाया नहीं जा सका है। पंकज कहते हैं, ‘अब पुरानी गलती को दोहराने की कोई वजह नहीं है।’ भाजपा गठबंधन ने भी अपना पूरा जोर इसी बात पर लगाया है कि लालू-नीतीश गठबंधन को लालू के राज की याद दिलाकर दलितों व महादलितों को एकजुट किया जाए।

 

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