बिहार से आती खबरें बीजेपी के लिए खतरे की घंटी तो नहीं!

अमितेश 

एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान से मिलने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और बीजेपी महासचिव भूपेंद्र यादव पहुंचे थे. दोनों की मुलाकात संसद भवन में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के कमरे में हुई.

भूपेंद्र यादव बीजेपी की तरफ से बिहार के प्रभारी महासचिव हैं जबकि धर्मेंद्र प्रधान बीजेपी के बिहार प्रभारी पहले रह चुके हैं. रामविलास पासवान को लगभग दस वर्षों से ज्यादा के अंतराल के बाद फिर से एनडीए में शामिल कराने में धर्मेंद्र प्रधान की बतौर बीजेपी प्रभारी बड़ी भूमिका भी रही थी.

ऐसे में बीजेपी के इन दोनों नेताओं की मुलाकात को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई. चर्चा मुलाकात की टाइमिंग को लेकर भी होने लगी, क्योंकि यह मुलाकात बिहार दौरे में एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान के उस बयान के बाद हो रही थी, जिसमें पासवान ने दलितों और अल्पसंख्यको को लेकर बीजेपी की सोच में बदलाव करने की नसीहत दी थी. बेटे चिराग पासवान का भी बयान कुछ ऐसा ही था.

यह बयान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पासवान की मुलाकात के बाद आया था. लिहाजा इस बयान को उपचुनावों में बीजेपी की हार के बाद एनडीए के भीतर बीजेपी के सहयोगियों की नाराजगी के तौर पर लिया जा रहा था. राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी रामविलास पासवान के बयान का असर ही था जिसके बाद बीजेपी के दो वरिष्ठ नेता उनसे मिलने पहुंचे.

Ram Vilas Paswan

तो क्या पासवान बीजेपी से सही मायने में नाराज हैं? क्या एनडीए के भीतर उनकी सुनी नहीं जा रही है. कुछ ऐसा ही आरोप लगाकर अभी कुछ ही दिन पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने आरजेडी से हाथ मिला लिया है. अब वो पासवान को मौसम वैज्ञानिक बताते हुए उनके ताजा बयान को हवा के बदलते रुख से जोड़ रहे हैं. लेकिन, बीजेपी के नेताओं से मुलाकात के बाद रामविलास पासवान के तेवर नरम पड़ गए हैं.

लेकिन, यह हाल केवल रामविलास पासवान का ही नहीं, बल्कि, दोबारा बीजेपी में आए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उपचुनावों में हार के बाद बदलते परिवेश में बीजेपी को नसीहत दी है. नीतीश कुमार ने कहा कि न मैं भ्रष्टाचार का साथ दूंगा और न ही उन लोगों को बर्दाश्त कर सकता हूं जो समाज को बांटने की राजनीति कर रहे हैं.

नीतीश कुमार का यह बयान भी उस वक्त में आया है जब बीजेपी की उपचुनावों में बुरी हार हुई है. यहां तक कि हार के बाद बीजेपी नेताओं के बयानों ने भी कुछ ऐसा बवाल मचा दिया जिससे नीतीश और पासवान दोनों ही असहज दिखने लगे हैं. अररिया में उपचुनाव के बाद कथित तौर पर पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगे थे जिस पर जांच चल रही है, लेकिन, इस हार के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान ने नीतीश के लिए फिर से मुश्किलें बढ़ा दीं.

गिरिराज सिंह ने अररिया में आरजेडी की जीत के बाद इसे आईएसआई का अड्डा बन जाने की बात कही थी. कुछ इसी तरह का बयान चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के बिहार अध्यक्ष नित्यानंद राय ने भी दिया था. अभी दरभंगा में बीजेपी के एक कार्यकर्ता की हत्या के वक्त वहां के दौरे में गिरिराज सिंह पर फिर से मामले को भड़काने और सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगा था.

उधर, हाल ही में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे की तरफ से जुलूस निकाले जाने के बाद साम्प्रदायिक माहौल खराब हुआ था. इस मामले में भी अश्विनी चौबे के बयान को लेकर सियासी बखेड़ा खड़ा हुआ था.

उपचुनाव में हार और बीजेपी नेताओं के इन बयानों के बाद ही नीतीश कुमार और रामविलास पासवान की तरफ से ऐसा बयान आया है.

हालांकि नीतीश कुमार से गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे की अदावत काफी पुरानी है. दोनों मोदी के प्रशंसक हैं और केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री भी हैं. लेकिन, एक बार फिर से वो पुरानी याद ताजा हो चली है, जब दोनों बिहार में नीतीश सरकार में मंत्री हुआ करते थे. लेकिन, उन्हीं के कैबिनेट में होकर उन्हीं के खिलाफ बोलने से नहीं कतराते थे. नरेंद्र मोदी के समर्थन में उस वक्त भी ये दोनों लगातार मुखर होकर नीतीश कुमार के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहे थे.

एक बार फिर नीतीश कुमार को लगता है कि इस तरह के बयानों पर लगाम लगाने की जरूरत है. उन्हें लगता है कि अगर वो एकदम चुप हो गए तो फिर उनकी छवि को धक्का पहुंच सकता है.

उधर, टीडीपी के केंद्र सरकार से बाहर होने और बीजेपी की पुरानी सहयोगी शिवसेना के अगले लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के फैसले के बाद बीजेपी के दूसरे सहयोगी भी अपने वजूद को लेकर बीजेपी को चेतावनी दे रहे हैं.

Om Prakash Rajbhar

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के तेवरों के बाद नीतीश कुमार और रामविलास पासवान के तेवर बीजेपी को ज्यादा परेशान कर सकते हैं. शायद इसका अंदाजा बीजेपी आलाकमान को हो गया है. तभी तो रामविलास पासवान के पास पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं को भेजकर उनके गुस्से को शांत करने की कोशिश हो रही है.

 

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