बीजेपी की पिछली बार जीती हुई 282 में से 221 सीटों में छुपा है हार-जीत का खेल

नई दिल्‍ली। क्‍या 2019 में भी मोदी लहर का जलवा बरकरार रहेगा? बीजेपी इस बार अपने दम पर 300 से भी ज्‍यादा सीटें जीतने का दावा कर रही है. क्‍या ऐसा संभव होगा? इस बार विपक्ष की बढ़ती एकजुटता क्‍या बीजेपी के खिलाफ मजबूत घेराबंदी कर पाएगी? लोकसभा चुनावों की सुगबुगाहट के बीच कमोबेश इसी तरह के सवाल लोगों के जेहन में उभर रहे हैं. राजनी‍तिक विश्‍लेषक भी तमाम किस्‍म के किंतु-परंतु की चर्चा कर रहे हैं.

इसी कड़ी में मशहूर लेखक और स्‍तंभकार चेतन भगत ने द टाइम्‍स ऑफ इंडिया के अपने नियमित आर्टिकल में बहुत ही रोचक विश्‍लेषण पेश किया है. उन्‍होंने मौजूदा परिस्थितियों के लिहाज से पिछली बार बीजेपी की लोकसभा में जीती हुई 282 सीटों को बेस बनाते हुए बीजेपी बनाम विपक्षी एकजुटता पर अपना नजरिया पेश किया है.

उन्‍होंने बताया है कि पिछली बार बीजेपी को तीन क्षेत्रों से 282 में से सर्वाधिक 221 सीटें मिली थीं. लिहाजा अबकी बार बीजेपी के प्रदर्शन और विपक्षी एकजुटता के बीच मुकाबला होने पर क्‍या सियासी सीन बन सकता है, उसका आकलन यहां किया जा रहा है:

1. यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से पिछली बार बीजेपी ने अपने दम पर 71 और सहयोगी अपना दल के साथ कुल मिलाकर 73 सीटें जीती थीं. पिछली बार यहां मुकाबला चतुष्‍कोणीय था. उस वक्‍त यहां बीजेपी का अपने दम पर वोट शेयर 42 प्रतिशत था. इसकी तुलना में सपा, बसपा और कांग्रेस को कुल मिलाकर 49 प्रतिशत वोट शेयर मिला था.

अब गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा उपचुनावों के बाद विपक्षी एकजुटता के नाम पर सपा, बसपा और कांग्रेस 2019 के आम चुनावों में यदि एकजुट हो जाते हैं और सत्‍ता-विरोधी लहर के कारण बीजेपी को पिछली बार की तुलना में तकरीबन पांच प्रतिशत वोटों का नुकसान होता है तो इन दशाओं में बीजेपी को कुल मिलाकर यूपी में इस बार 40 सीटों का नुकसान हो सकता है.

2. पिछली बार राजस्‍थान, छत्‍तीसगढ़, मध्‍य प्रदेश और गुजरात (आरसीएमजी) की कुल 91 लोकसभा सीटों में से 88 सीटें बीजेपी को मिली थीं. इन राज्‍यों में सीधा मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस के बीच होता है. यहां पर बीजेपी का अपना वोट शेयर 50 प्रतिशत से भी अधिक है. दो-तरफा मुकाबला होने के कारण इन राज्‍यों में विपक्षी एकजुटता का तो कोई खास असर नहीं दिखेगा लेकिन कई वर्षों से सत्‍ता में काबिज होने के कारण बीजेपी को सत्‍ता-विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है. इस ओर ओपिनियन पोल संकेत दे रहे हैं कि इसी साल के अंत में मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में बीजेपी को नुकसान हो सकता है. हालांकि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में ट्रेंड अलग होता है लेकिन फिर भी पिछली बार की तरह बीजेपी को यहां प्रदर्शन दोहराना मुश्किल हो सकता है. लिहाजा पिछली बार जीती हुई सीटों में से 20 का नुकसान बीजेपी को हो सकता है.

mayawati and sonia gandhi
                                         23 मई को कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार के शपथ-ग्रहण समारोह में विपक्षी एकजुटता देखने को मिली.(फाइल फोटो)

3. पिछली बार महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और बिहार(एमकेबी) की कुल 111 सीटों में से बीजेपी को 62 सीटें मिली थीं. यहां पर मुकाबला बहुकोणीय होने के कारण विपक्षी एकजुटता का असर अबकी बार देखने को मिलेगा. कर्नाटक में अब कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन कर लिया है. बिहार में राजद विपक्षी एकजुटता की धुरी बनने की भूमिका में है. महाराष्‍ट्र में शिवसेना और बीजेपी के बीच रिश्‍तों में खटास देखने को मिली है और यदि शिवसेना गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ती है तो वोटों का विभाजन हो जाएगा. इन परिस्थितियों में पिछली बार की तुलना में बीजेपी को 2019 में 25 सीटों का नुकसान हो सकता है.

सत्‍ता का समीकरण
इस प्रकार उपरोक्‍त तीनों बिंदुओं के आधार पर बीजेपी को राष्‍ट्रीय स्‍तर पर कुल 85 (40+20+25) सीटों का नुकसान होगा. बीजेपी की फिलहाल 282 सीटें हैं और उसके नेतृत्‍व में एनडीए की कुल 336 सीटें हैं. ऐसे में इन 85 सीटों के नुकसान होने की स्थिति में बीजेपी को 197 सीटें मिलेंगी और एनडीए को 251 सीटें मिलेंगी. हालांकि फिलहाल एनडीए में अभी शिवसेना और तेलुगु देसम को भी जोड़ा गया है लेकिन इनकी भूमिका बदल भी सकती है. इसका मतलब यह होगा कि एनडीए के पास 272 सीटों का अपेक्षित बहुमत नहीं होगा और विपक्ष के पास कुल 292 सीटें होंगी.

हालिया दौर में इस तरह की परिस्थितियां 2009 में भी उत्‍पन्‍न हुई थीं जब कांग्रेस के नेतृत्‍व में यूपीए की सरकार ने 206 सीटें हासिल की थीं. हालांकि कांग्रेस को उस वक्‍त आसानी से अन्‍य दलों के समर्थन के कारण बहुमत का आंकड़ा मिल गया था, लेकिन मौजूदा सियासी हालात को देखते हुए बीजेपी के लिए बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल करने में दिक्‍कत हो सकती है. यानी कि एक बार फिर गठबंधन के युग की वापसी हो सकती है.

 

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