बीजेपी को हराने के लिए मायावती किसी भी पार्टी से गठबंधन को तैयार

लखनऊ।  बीजेपी को हराने के लिए बीएसपी किसी भी पार्टी से गठबंधन को तैयार है. इस फ़ैसले का एलान ख़ुद मायावती ने किया. दिल्ली में उनके घर पर देश भर से आए बीएसपी के को-ऑर्डिनेटर की बैठक हुई. मायावती ने बीएसपी नेताओं को मीडिया से दूर रहने की सलाह दी है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि कोई भी नेता गठबंधन पर कुछ भी नहीं बोलेगा. जो भी बताना और कहना होगा, वो ख़ुद कहेंगी. मीटिंग की शुरुआत में ही बहिनजी ने जयप्रकाश को पार्टी से बाहर किए जाने का फ़रमान सुना दिया. उन्होंने कहा कि बीएसपी एक अनुशासित पार्टी है और हम किसी नेता पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करते हैं.

इसी हफ़्ते लखनऊ में बीएसपी के कार्यकर्ता सम्मेलन में जयप्रकाश ने राहुल गांधी को ख़ूब भला बुरा कहा था. वे तो ये तक बोल गए थे कि विदेशी महिला के बेटा होने के नाते राहुल कभी देश के पीएम नहीं बन सकते हैं. तब जयप्रकाश पार्टी के उपाध्यक्ष और नेशनल को-ऑर्डिनेटर थे. बीएसपी में मायावती के बाद वे सबसे ताक़तवर नेता बन गए थे. लेकिन इस बयान के बाद जयप्रकाश को सभी पदों से हटा दिया गया था.

बाद में बहिन जी को पता चला कि जयप्रकाश ने तो पीएम नरेन्द्र मोदी को गब्बर सिंह कह दिया था. ये पता चलते ही मायावती ने उन्हें अब पार्टी से भी बाहर कर दिया है. मंच से भाषण देते हुए जयप्रकाश ने कहा था “मैं जय हूं और वीरू के साथ मिल कर गब्बर सिंह का सफ़ाया कर दूंगा”. बीएसपी सांसद वीर सिंह को वे वीरू कहते थे.

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी ने जेडी एस से चुनावी गठबंधन किया था. पार्टी का एक ही विधायक चुना गया. कांग्रेस और जेडीएस की सरकार में बीएसपी भी साझीदार है. हरियाणा में पार्टी पहले ही इंडियन नेशनल लोकदल से गठबंधन कर चुकी है. छत्तीसगढ़ में मायावती ने अजीत जोगी की पार्टी से चुनावी समझौता किया है. अब मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए कांग्रेस से गठबंधन की तैयारी है. बातचीत आख़िरी दौर में है. लोकसभा चुनाव के लिए मायावती ने यूपी में अखिलेश यादव से समझौता फ़ाइनल कर लिया है.

कांग्रेस भी इस गठबंधन में साझीदार रहेगी. कांग्रेस को लेकर अखिलेश यादव को एतराज़ है. लेकिन मायावती इन्हें राज़ी कर लेंगी. समाजवादी पार्टी और बीएसपी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अभी इस पर बातचीत जारी है. मायावती को लगता है कि अगले लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा. ऐसे हालात में वे प्रधानमंत्री पद की दावेदार हो सकती हैं. इसी लिए बहिन जी हर क़दम फूंक फूंक कर रख रही हैं. वैसे पिछले चुनाव में बीएसपी का खाता तक नहीं खुल पाया था. लेकिन बदले राजनैतिक माहौल में अब मायावती बीजेपी के मुक़ाबले एक मज़बूत चेहरा बन कर उभरी हैं.

 

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