बीजेपी ने PM मोदी को क्यों किया बिहार से बाहर

modi-in-biharतहलका एक्सप्रेस

पटना। बिहार चुनावों में अब तक एनडीए का प्रमुख चुनावी चेहरा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर अब रणनीति बदली जा रही है। पीएम मोदी और बीजेपी प्रेजिडेंट अमित शाह के बिहार में लगे बड़े-बड़े पोस्टरों को उतारा जा रहा है। यही नहीं, बिहार में मोदी की प्रस्तावित कई रैलियां भी रद्द की गई हैं।

माना जा रहा है कि ऐसा पार्टी की उम्मीद के विपरीत नतीजे आने पर बड़े नेताओं को बचाने के लिए किया जा रहा है। मोदी और अमित शाह के पोस्टरों की जगह बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, सीपी ठाकुर, अश्विनी चौबे, हुकुमदेव नारायण यादव आदि स्थानीय नेताओं के पोस्टर लगाए जा रहे हैं। ‘द वीक’ की एक खबर के मुताबिक शुक्रवार और 22 अक्टूबर को होने वाली पीएम की छह रैलियां रद्द कर दी गई।

बिहार में पहले चरण की वोटिंग के बाद कोई स्पष्ट रुझान नहीं मिलने से भी बीजेपी ने अपने कदम पीछे खींचे हैं। इसके अलावा अपनी उम्मीद के खिलाफ आए पोल सर्वे के बाद पार्टी पीएम को पीछे करने पर मजबूर हुई है। यही नहीं, बीजेपी ने बिहार में बड़े बैनरों से नारे भी बदल दिए हैं। पहले ‘अबकी बार-मोदी सरकार’ से बदल कर इसे ‘बदलिए सरकार, बदलिए बिहार’ किया गया और अब ‘विकास की होगी तेज रफ्तार, जब केंद्र-राज्य में एक सरकार’ किया गया है।

जेडी(यू) नेताओं का कहना है कि बीजेपी दिल्ली की रणनीति बिहार में भी अमल में ला रही है। एक नेता का कहना था, ‘दिल्ली में बीजेपी ने जिस तरह मोदी की जगह किरन बेदी को हार की जिम्मेदारी लेने के लिए आगे कर दिया था, वही काम बिहार में भी किया जा रहा है।’ बीजेपी का कोई नेता इस पर बोलने को तैयार नहीं है।

खुद बीजेपी के अंदरूनी सूत्र कह रहे हैं कि न तो पासवान वोटों को आकर्षित कर सकेंगे और न ही मांझी अत्यधिक पिछड़ी जातियों को। मांझी खुद जहानाबाद के मकदमपुर और गया के इमामगंज की दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक असली लड़ाई 15-20 फीसदी ‘फ्लोटिंग वोट’ को लेकर है, जो किसी को भी बिहार की सत्ता सौंप सकता है।

‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी ने अपनी विज्ञापन रणनीति भी बदली है। दूसरे चरण की वोटिंग से दो दिन पहले बुधवार को स्थानीय अखबारों में एलजेपी नेता रामविलास पासवान, आरएसपी के उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के अपने विज्ञापनों के अलावा बीजेपी की ओर से नए तीरके से विज्ञापन दिया गया। इसमें सिर्फ वादे छापे गए। ‘भाजपा का साथ, सबका विकास’ हेडिंग से दिए विज्ञापन में किसी भी नेता की तस्वीर नहीं थी, बल्कि 11 वादे थे। एक चुनाव विश्लेषक का कहना था कि स्टार कैंपेनर नरेंद्र मोदी के ओवर एक्सपोजर का फायदा मिलता न देख बीजेपी ने विज्ञापन की रणनीति बदली है, जो एक सोचा-समझा कदम है।

 

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