बी.एस.पी. का किसी भी रूप में भीम आर्मी नामक सगंठन से कोई सम्बन्ध नहीं : मायावती

लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार पर राजनीतिक षडयंत्र के तहत् तथाकथित भीम आर्मी को बी.एस.पी. से जोड़कर सहारनपुर की जातिवादी घटनाओं के सम्बन्ध में अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुये कहा कि बी.एस.पी. का किसी भी रूप में भीम आर्मी नामक सगंठन से कोई सम्बन्ध नहीं है और ना ही दूर-दूर तक उससे कोई लेना-देना है।

मायावती ने आज जारी एक बयान में कहा कि बी.एस.पी. के केन्द्रीय, राज्य व जिला स्तर के भी किसी छोटे-बड़े पदाधिकारी व कार्यकर्ता का भी भीम आर्मी से कोई सम्बन्ध नहीं है। बी.एस.पी. मूल रूप में एक राजनीतिक पार्टी है जिसमें समाज के हर धर्म, हर जाति, हर समाज व महिला, युवा आदि का प्रतिनिधित्व है तथा इसका अलग से ना तो कोई मोर्चा या अन्य संगठन है और ना ही किसी अन्य संगठनों से इसका कोई सम्बन्ध ही है। इस क्रम में बीजेपी सरकार द्वारा इन्टेलिजेन्स की खबर के माध्यम से फैलायी जा रही खबरें शरारतपूर्ण व जातिवादी ताकतों की राजनीतिक साजिश का परिणाम है। बी.एस.पी. इस प्रकार की घिनौनी साजिश का व इस सम्बन्ध में दिखाई जा रही खबरों का जोरदार खण्डन करती है व इसकी निन्दा भी करती है।

मायावती ने कहा कि भीम आर्मी को बी.एस.पी. के साथ जोड़ने की प्रदेश बीजपी सरकार की साजिश वैसी ही निन्दनीय है जैसा कि भीम आर्मी के लोग खासकर सहारनपुर में बी.एस.पी. के साथ अपने आपको जोड़कर भोले-भाले लोगों का आर्थिक शोषण कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उनके सहारनपुर दौरे के दौरान् यह भी शिकायत मिली थी कि भीम आर्मी के लोग अपने आपको बी.एस.पी. का शुभचिन्तक बताकर बाबा साहेब डा. अम्बेडकर जयंती आदि के अवसर पर लोगों से धन वसूला करते थे।

साथ ही बी.एस.पी. के नवनियुक्त राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनन्द कुमार से मिलने की बात भीम आर्मी के लोग प्रचारित करते थे, जबकि इस मामले में सच्चाई यह है कि इनकी नियुक्ति के बाद अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर देश भर के लोग आनन्द कुमार से मिलते रहते हैं परन्तु भीम आर्मी के नाम पर किसी से ना तो कोई सम्पर्क हुआ और ना ही इस जैसे अन्य किसी संगठन से बी.एस.पी. या आनन्द कुमार का कोई सम्बन्ध है। बीजेपी सरकार व भीम आर्मी दोनों के ही इस राजनीतिक साजिश का बी.एस.पी. कड़े शब्दों में खण्डन व निन्दा करती है।

इस सम्बन्ध में सरकारी इन्टेलिजेन्स एजेन्सी को लपेटना सरकार की दुर्भावना व सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग को ही प्रमाणित करता है। यह सब साजिश बीजेपी सरकार अब इसलिये कर रही है क्योंकि सहारनपुर के जातीय दंगे को रोकने में यह सरकार विफल रही है और इस कारण इसकी काफी भद भी हो रही है। यह सब अपनी विफलताओं पर से लोगों का ध्यान बांटने का प्रयास है, जो सही तथ्यों के कारण सफल नहीं हो पा रहा है। वास्तव में लोगों का आरोप है कि ’भीम आर्मी’ बीजेपी के संरक्षण में पलने वाला संगठन है। बीजेपी इस संगठन का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है। इसीलिये इसके नेताओं पर अब तक कार्रवाई नहीं की गयी है।

मायावती ने कहा कि परमपूज्य बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की जयंती आदि मनाने के नाम पर देशभर में अनेकों संगठन हैं जो लोगों से चन्दा आदि वसूल कर अपना कार्यक्रम आयोजित करते हैं, परन्तु खासकर सहारनपुर के सम्बन्ध में वहाँ के लोगों की शिकायत थी कि भीम आर्मी बी.एस.पी. के नाम का दुरूपयोग करती है। इसी कारण सहारनपुर के दौरे में मुझे लोगों से विशेष अपील करनी पड़ी थी कि अपने संवैधानिक हक के लिये तथा जुल्म-ज्यादती व अन्याय केे खिलाफ संघर्ष के साथ- साथ दलित व पिछड़े समाज में जन्में महान संतांे, गुरूओं व महापुरूषों की जयंती आदि का कार्यक्रम अलग-अलग संगठन के माध्यम से नहीं मनाकर केवल बी.एस.पी. के बैनर तले ही आयोजित करें ताकि इसका सही व हितकारी लाभ पूरे समाज को प्राप्त हो सके अन्यथा इसका अनुचित लाभ कुछ मुट्ठी भर लोगों को ही मिल पायेगा।

बी.एस.पी. सहारनपुर की जातीय हिंसा के लगातार जारी रहने से काफी चिन्तित है और चाहती है कि एक अनुशासित व कैडर आधारित पार्टी के रूप में सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय की नीति व सिद्धान्त पर चलते हुये सर्वसमाज मंे भाईचारे के आधार पर समाज में शान्ति, सद्भाव व सौहार्द का वातावरण बनाने का जो अनवरत प्रयास करती रही है, वह किसी भी दशा में बिगड़ने नहीं देना चाहिये। और अब अन्त में, संक्षेप में यही कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार के पुलिसकर्मियों व खुफिया विभाग द्वारा सहारनपुर जिले में हुई जातीय हिंसा के पीछे जिस भीम आर्मी का नाम बताया जा रहा है और इसके साथ ही इस संगठन से मेरे भाई का तथा बी.एस.पी. के अन्य वरिष्ठ नेताओं आदि के भी जो सम्बन्ध बताये जा रहे हैं, तो इसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है और इसका हमारी पार्टी कड़े शब्दों में खण्डन भी करती है।

इसके साथ-साथ उ.प्र. भाजपा सरकार के खुफिया विभाग को पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष का यह भी कहना है कि यदि इस संगठन से बी.एस.पी. के कुछ भी सम्बन्ध थे, तो इस बात का खुलासा इन्होेंने मेरे सहारनपुर जिले में जाने से पहले मीडिया आदि में क्यों नहीं किया था? और अब वहाँ मेरे जाने के बाद, इस तरह की ये बातें मीडिया में, जो प्रचारित कराई जा रही हैं, तो इससे यह स्पष्ट जाहिर हो जाता है कि उ.प्र. सरकार के खुफिया विभाग की यह रिपोर्ट पूरी तरह से राजनैतिक द्वेष से प्रेरित है, झूठी व सरासर गलत हैं। इसके साथ ही इससे यह भी स्पष्ट होता है कि इस हिंसा के पीछे अपनी खुद की कमजोरियों को छिपाने के लिये ही उ.प्र. बीजेपी की सरकार द्वारा यह मनगढ़त रिपोर्ट तैयार करवाके, इसे फिर एक सोची-समझी व घिनौनी राजनैतिक साजिश के तहत् ही मीडिया में उजागर करवाया गया है।

जबकि सहारनपुर जिले में बी.एस.पी. के लोगों का यह मानना है कि ‘‘भीम आर्मी’’ नाम का जो यह संगठन है, यह पूरेतौर से बीजेपी का ही च्तवकनबज है और इसी संगठन के जरिये ही बीजेपी, उ.प्र. में बी.एस.पी. द्वारा सर्वसमाज में बनाये गये भाईचारे व सौहार्द को नफरत में बदलना चाहती है। इसलिये पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष का बी.एस.पी. के लोगों से यह कहना है कि वे बीजेपी और इनके द्वारा तैयार किये गये इस संगठन से तथा इसी प्रकार के अन्य और संगठनों से भी जरूर सावधान रहें। इसके अलावा यह बात भी सर्वविदित है कि देश में विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग अपनी समस्याओं को लेकर अक्सर हमारी पार्टी के छोटे-बड़े पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं आदि से मिलते रहते हैं। लेकिन आज के वर्तमान हालातों में और खासकर बीजेपी की इस किस्म की घिनौनी हरकत से अब आगे बी.एस.पी. के लोगों को बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के नाम से बनाये गये इस किस्म के संगठनों से जरूर सचेत रहना चाहिये।

इसके साथ ही इन्होंने पुनः उनसे यह भी अपील की है कि वे अपने सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों की जयन्ती आदि के कार्यक्रमों को केवल बी.एस.पी. के तत्वावधान में ही आयोजित करने का प्रयास करें। ताकि इस प्रकार के बने संगठनों का बीजेपी व अन्य कोई भी राजनैतिक पार्टी गलत इस्तेमाल ना कर सके। इसके साथ-साथ आज इन्होंने पुनः सहारनपुर जिले के साथ-साथ पूरे उ.प्र. के सभी धर्मों, वर्गों व जातियों के लोगों से यह पुरजोर अपील की है कि वे हर प्रकार की सावधानी बरतते हुये प्रदेश में शान्ति, सद्भाव व सौहार्द का वातावरण पैदा करें तथा आपसी भाईचारा को भी बनाकर रखें। इसी को ध्यान में रखकर ही भारी खतरे की आशंका के बावजूद सहारनपुर का दौरा किया गया था और अब इसी को ध्यान में रखकर ही वर्तमान में पार्टी के प्रवक्ता के पद से उम्मेद सिंह व फैजान को अलग कर दिया गया है ताकि जातिवादी तत्व उनकी बातों को तोड़मोड़ कर पेश करके बी.एस.पी. को बदनाम व सहारनपुर में शान्ति बहाली में रोड़ा ना पैदा कर सकंे। सहारनपुर में स्थिति सामान्य होने के बाद बी.एस.पी. के इन प्रवक्ताओं के सम्बन्ध मंे अगली जानकारी दे दी जायेगी।

 

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