बैक्टीरियांन नस्ल के ऊंटों से अभेद्य बनेगी एलएसी, सेना ने तैयार किया मसौदा

India-China : पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर गश्त करने में सैनिकों की मदद के लिए लद्दाख के प्रसिद्ध दो कूबड़ वाले ऊंटों को जल्द ही भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा। लेह में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने दो कूबड़ या बैक्ट्रियन ऊंटों पर रिसर्च की है, जो पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में 17,000 फीट की ऊंचाई पर 170 किलोग्राम भार उठा सकते हैं।

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डीआरडीओ के वैज्ञानिक प्रभु प्रसाद सारंगी ने कहा, ‘हम दो कूबड़ वाले ऊंटों पर रिसर्च कर रहे हैं। वे स्थानीय जानवर हैं। हमने इन ऊंटों की धीरज सहने और भार उठाने की क्षमता पर शोध किया है।

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प्रसिद्ध दो कूबड़ वाले ऊंटों को जल्द ही लद्दाख में भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा। उम्मीद है कि इससे भारतीय सेना के जवानों को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर काफी मदद मिलेगी।

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लेह में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने दोहरे कूबड़ या बक्ट्रियन ऊंटों पर काफी रिसर्च किया है, उसके बाद यह फैसला लिया गया है। डीआरडीओ के वैज्ञानिक प्रभु प्रसाद सारंगी ने बताया कि, ‘हम दोहरे कूबड़े वाले ऊंटों पर रिसर्च कर रहे हैं। यह स्थानीय जानवर है। हमने इन ऊंटों की सहनशीलता और भार ढोने की क्षमता पर शोध किया है।’

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वैसे परंपरागत तौर पर भारतीय सेना इस इलाके में खच्चरों और टट्टुओं का इस्तेमाल करती रही है, जो कि लगभग 40 किलो तक का भार आसानी से ढोल लेते हैं।

हमने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में शोध किया है। चीन सीमा के पास 17,000 फीट की ऊंचाई पर पाया गया कि वे 170 किलो का भार ले जा सकते हैं और इस भार के साथ वे 12 किलोमीटर तक गश्त कर सकते हैं।’

 

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