भाजपा को एंटी दलित साबित करने के चक्कर में कहीं खुद का खेल न बिगाड़ ले कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी देश के अलग-अलग भागों में दलितों के साथ हो रहे अत्याचार और उत्पीड़न के मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ राजघाट पहुंचे. बापू के समाधि स्थल पर उपवास रखकर दलितों के हितों के साथ खिलवाड़ करने का आरोप सरकार पर लगाया.

लेकिन, उनके उपवास के दौरान होने वाले घटनाक्रम ने काफी हद तक कांग्रेस की उपहास बनाकर रख दिया. उपवास से पहले कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश के नेताओं की छोले-भटूरे खाने की तस्वीरें जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, एक अलग तरह की कहानी शुरू हो गई. बीजेपी ने इसे उपवास का उपहास बताकर कांग्रेस के उपवास का मजाक उड़ाया.

दूसरी तरफ, 1984 के दंगों में आरोपी रहे कांग्रेस के दो दिग्गज जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार को राजघाट पहुंचने के बाद वहां से बैरंग वापस करने की घटना ने भी उपवास कार्यक्रम में एक नया ही बवाल खड़ा कर दिया. राहुल गांधी के उपवास कार्यक्रम के दौरान दलितों के मुद्दों के बजाए चर्चा इन दोनों ही मुद्दों पर होती रही. इस उपवास कार्यक्रम को उस हद तक सफलता नहीं मिली जिसकी उम्मीद की जा रही थी.

फिर भी राजघाट पहुंचकर कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी सरकार पर हमला बोला. राहुल ने मोदी सरकार को दलित विरोधी बताया. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘जातिवादी’ और ‘दलित विरोधी’ होने का आरोप लगाया और कहा कि बीजेपी की ‘दमनकारी’ विचाराधारा के खिलाफ उनकी पार्टी हमेशा खड़ी रहेगी.

राहुल ने राजघाट पर सद्भावना उपवास के मौके पर कहा, ‘पूरा देश जानता है कि प्रधानमंत्री मोदी दलित विरोधी हैं. यह छुपा नहीं है. बीजेपी दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों का दमन करने की विचारधारा का अनुसरण करती है. हम उसके खिलाफ खड़े होंगे और साल 2019 के आम चुनाव में उसे पराजित करेंगे.’

राहुल गांधी के तेवर क्या नतीजे लाएंगे

Photo Source: News-18

राहुल गांधी का आक्रामक अंदाज दलितों के मुद्दे को लेकर है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एससी-एसटी एक्ट को लेकर दिए गए आदेश के बाद पूरा विपक्ष सरकार पर इस मामले में ढ़िलाई बरतने का आरोप लगा रहा है. इस मुद्दे पर बुलाए गए भारत बंद के दौरान दलितों के समर्थन में खुलकर खड़े होने के राहुल के अंदाज ने साफ कर दिया कि वो इस मुद्दे को लेकर काफी आक्रामक तेवर अपनाते रहेंगे. उनकी कोशिश दलित-आदिवासी के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी साधने की है.

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को दलित विरोधी बताकर एक नए समीकरण बनाने की कांग्रेस की तरफ से कवायद हो रही है. उसे लगता है कि 2014 में दलित समुदाय के लोगों ने मोदी लहर में बीजेपी का साथ दिया था. लेकिन, अब इस मुद्दे पर आक्रामक होकर वो दलितों के सच्चे हितैषी और हमदर्द बनने की कोशिश में हैं.

लेकिन, सवाल है कि राहुल की इस मुद्दे पर आक्रामकता का कहीं उल्टा  असर तो नहीं होगा. क्या कांग्रेस के साथ समाज के दूसरे तबके (गैर एससी-एसटी, पिछड़ा और सामान्य वर्ग ) पर प्रतिकूल असर तो नहीं पड़ेगा. क्या बीजेपी को राहुल की इस रणनीति से नुकसान होगा या फिर बीजेपी इस मुद्दे पर फायदे में रहने वाली है. ये चंद सवाल हैं जो इस वक्त सियासी गलियारों में चर्चा के केंद्र में हैं. क्योंकि सियासत के केंद्र में दलित हैं और सारी रणनीति उन्हीं के ईर्द-गिर्द घूम रही है.

पहले कांग्रेस के नजरिए से देखें तो उसे दलित, आदिवासी और मुस्लिम तबके से ज्यादा समर्थन मिल सकता है. लेकिन, इस मुद्दे पर उसे गैर दलित तबके की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि, एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के आदेश पर हो रहे विरोध के बाद सामान्य वर्ग के साथ-साथ पिछड़ा तबका भी कांग्रेस से नाराज हो सकता है.

पिछले चार साल के बाद मोदी सरकार के खिलाफ इस तबके में कुछ हद तक नाराजगी भी हो सकती है. एंटीइंकंबेंसी फैक्टर के बाद होने वाली  नाराजगी का फायदा सीधे कांग्रेस को ही मिल सकता था. खासतौर से सामान्य वर्ग में तो बीजेपी से होने वाली नाराजगी का फायदा कांग्रेस को मिल सकता था. लेकिन, अब इस मुद्दे पर हुई सियासत में एंटी दलित ध्रुवीकरण होने पर कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

क्या सोच रही है बीजेपी

amit shah- modi

बीजेपी के रणनीतिकारों को लग रहा है कि देशभर में सामान्य वर्ग एक बार फिर से उसके साथ पूरी तरह से जुड़ गया है. साथ ही पिछड़ा तबका उसके साथ जुड़ा रह सकता है. इस तरह दलित मुद्दे पर हो रही सियासत को लेकर उसके साथ सामान्य वर्ग के साथ-साथ पिछड़े तबके का ध्रुवीकरण हो सकता है.

लेकिन, बीजेपी अपनी दलित विरोधी छवि बनाने की कांग्रेस की कोशिश को लेकर सतर्क है. उसकी तरफ से कोशिश हो रही है कि कांग्रेस के इस दुष्प्रचार का जवाब दिया जाए. बार-बार बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के नाम और उनसे जुडे हुए स्थलों के विकास की बात को दोहराया जा रहा है. उनकी जयंती पर 14 अप्रैल को देश भर में कार्यक्रम किया जा रहा है. बाबा साहब के आदर्शों पर चलने की बात कहने वाली बीजेपी इस मौके पर दो दिनों का उपवास भी रख रही है. बीजेपी के सभी सासंद दलित बस्तियों में जा कर दो दिनों का उपवास भी करने वाले हैं. लेकिन, उससे पहले राहुल गांधी ने उपवास कर बीजेपी पर बढ़त बनाने की कोशिश कर दी है.

बीजेपी की रणनीति, कांग्रेस समेत विपक्ष के बाकी सभी दलों की आक्रामकता का फायदा उठाकर गैर दलित मतदाताओं का अपने पक्ष में करने की है. लेकिन, सबकुछ सावधानी से करने की कोशिश है, जिससे पार्टी की छवि दलित विरोधी होने से बच सके.

 

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