भाजपा विधायक ने एकेटीयू कुलपति के खिलाफ राज्यपाल को लिखा पत्र, 200 करोड़ की हेराफेरी का आरोप

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के कुलपति प्रो. विनय पाठक गंभीर आरोपों में घिर गए हैं। उन पर नियुक्तियों में मनमानी तथा निर्माण और प्राविधिक शिक्षा के उन्नयन के नाम पर 200 करोड़ रुपये की हेराफेरी की आशंका जताते हुए राज्यपाल राम नाईक को पत्र भेजे गए हैं।

पत्र में प्रो. पाठक के शैक्षिक दस्तावेजों की सत्यता संदिग्ध होने, पूर्व में नियुक्त कर्मचारियों का उत्पीड़न करने और अपने लोगों की मनमाने तरीके से तैनाती करने के आरोप भी शामिल हैं। इनमें से एक पत्र सीतापुर के महोली से भाजपा विधायक शशांक त्रिवेदी का है, जो उन्होंने 16 जून को राज्यपाल को भेजा था। त्रिवेदी ने राज्यपाल को पत्र लिखने की पुष्टि की। साथ ही पत्र में लिखी मांग दोहराई कि प्रो. पाठक को तुरंत बर्खास्त करके उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए। वहीं भाजपा के ही विधायक रिटायर्ड मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने भी सरकार को चिट्ठी लिखी है।

विधायक शशांक त्रिवेदी के पत्र में राज्यपाल और सरकार को जानकारी दी गई है कि प्रो. विनय पाठक के हाईस्कूल एवं पीएचडी के शैक्षणिक तथा अनुभव संबंधी दस्तावेज संदिग्ध पाए गए हैं। इसके संबंध में न्यायालय में भी मुकदमा दायर किया गया है। उचित होगा कि इन दस्तावेजों की उच्चस्तरीय जांच करा ली जाए।

विधायक ने प्रो. पाठक पर विश्वविद्यालय के नवीन परिसर के निर्माण में आर्थिक लाभ कमाने का आरोप भी लगाया है। यह भी लिखा गया है कि प्राविधिक शिक्षा के उन्नयन के नाम पर तमाम निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को करोड़ों रुपये रुपये बांटे गए हैं। इसकी भी जांच होनी चाहिए कि ये रुपये जिन्हें मिले, वहां कितना उन्नयन हुआ।

इस मुद्दे पर भी कठघरे में

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय

विधायक का कहना है कि नियमानुसार डिप्लोमाधारी लोगों से अवर अभियंता के पद पर काम कराया जाना चाहिए, लेकिन प्रो. पाठक ने इनमें से उन कुछ से जो उनकी गुडबुक में नहीं आते थे, लिपिकीय काम लेकर उत्पीड़न किया। इनका नियमितीकरण भी नहीं किया गया।
शासनादेश था तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के नियमितीकरण का, लेकिन इसकी आड़ में असिस्टेंट रजिस्ट्रार आरके सिंह जो विश्वविद्यालय के पूर्व वित्त अधिकारी वीरेंद्र चौबे से मारपीट के आरोपी भी हैं, को भी नियमित कर दिया। गड़बड़ी पकड़ी न जाए, इसलिए अब जगह निकालकर सिंह को डिप्टी रजिस्ट्रार बना डाला। सिंह पर जानकीपुरम थाना में रिपोर्ट भी दर्ज है।

ये आरोप भी लगे
विधायक ने प्रो. पाठक पर नियमितीकरण में खेल करने का आरोप भी लगाया है। उनका कहना है कि पिछली सरकार ने फरवरी 2016 में शासनादेश जारी किया था कि 31 दिसंबर 2001 के पहले नियुक्त समूह-ग और घ श्रेणी कर्मचारियों का नियमितीकरण कर दिया जाए, पर प्रो. पाठक ने 2001 के बाद नियुक्त और समूह ग व घ के अलावा अन्य श्रेणी के कर्मचारियों को भी विनियमित कर दिया। विश्वविद्यालय के सूत्र भी इसकी पुष्टि करते हैं। विधायक का दावा है कि 25 से अधिक कर्मचारी 2001 के पहले वाले नहीं होंगे जबकि 72 लोगों का नियमितीकरण किया गया।

कुलपति की सफाई-दबाव नहीं माना, इसलिए शिकायत

एकेटीयू कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक

मामले पर एकेटीयू कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने सफाई दी है कि विधायक शशांक त्रिवेदी व विधायक सुनील दत्त द्विवेदी के रिश्तेदार पीके मिश्र एकेटीयू में क्लर्क हैं। विधायकगण उनके जेई पद पर विनियमितीकरण का दबाव बना रहे थे, जो नियमत: संभव नहीं था। मैंने इसके लिए लिखा विधायक का पत्र शासन को भेजा है। पीके मिश्र संबद्धता में तैनात थे और उनके द्वारा कई घोटालों की शिकायतें मिली हैं। राजधानी में उनकी कई बेनामी संपत्तियां भी हैं। मैंने उनका तबादला नोएडा कैंपस में करके जांच बैठाई है।
विधायक का तर्क, सच जानने को जांच जरूरी
विधायक शशांक त्रिपाठी का कहना है कि कुलपति प्रो. पाठक का यह कहना कि एकेटीयू में क्लर्क पीके मिश्र के विनियमितीकरण का दबाव न मानने पर उनके ऊपर आरोप लगाए जा रहे हैं, पूरी तरह असत्य है। अगर विनियमितीकरण नियमत: संभव नहीं है तो कुलपति ने 13 जून को डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के महासचिव को लिखे पत्र में यह क्यों बताया है कि विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने पीके मिश्र व धीरज को अवर अभियंता पद पर विनियमित करने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। साथ ही पद सृजित करने का अनुरोध किया है। रही बात पीके मिश्र पर कुलपति के आरोपों की तो राज्यपाल और सरकार कुलपति प्रो. पाठक और पीके मिश्र दोनों की उच्चस्तरीय जांच करा लें। सच सामने आ जाएगा कि किसने अनियमितता व घोटाला किया है और किसके पास बेनामी संपत्तियां हैं।
 

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