भारत-अमेरिका के बीच हॉवित्सर तोपों की डील फाइनल

howitzerनई दिल्ली। भारत ने सेना के लिए 145 एम 777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्सर तोपों के लिए अमेरिका से 737 मिलियन डॉलर (लगभग 5000 करोड़ रुपये) की डील साइन की है। अस्सी के दशक के मध्य में बोफोर्स घोटाला सामने आने के बाद से भारत में तोपखाने का मॉडर्नाइजेशन थमा हुआ है। बोफोर्स के बाद से यह पहला तोप सौदा है।

भारत-अमेरिका मिलिटरी कोऑपरेशन ग्रुप की मीटिंग बुधवार को राजधानी में शुरू हुई। हालांकि रक्षा मंत्रालय ने इस डील पर चुप्पी साध रखी है लेकिन सूत्रों के मुताबिक, इस मीटिंग में भारत ने स्वीकार्यता पत्र पर साइन कर दिए हैं। अब तोप बनाने वाली कंपनी बीएई सिस्टम्स आने वाले हफ्तों में अमेरिकी सरकार से समझौते पर साइन करेगी। 145 में से 120 तोपों को भारत में असेंबल किया जाएगा जबकि 25 तोपें तैयार अवस्था में ही मिलेंगी। माना जा रहा है कि चीन के मोर्चे पर इनकी तैनाती होगी।

गौरतलब है कि हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने सबसे पहले बताया था कि 17 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने इस डील को मंजूरी दे दी है। इस डील के बाद अमेरिका भारत को सबसे ज्यादा हथियार निर्यात करने वाला देश बन जाएगा। साल 2007 के बाद से भारत और अमेरिका के बीच 15 बिलियन डॉलर के रक्षा सौदे हो चुके हैं।

गौरतलब है कि भारतीय सेना हॉवित्सर जैसी 25 किलोमीटर से ज्यादा दूर तक मार करने वाली अल्ट्रा लाइट तोपों की मांग लंबे समय से कर रही है। इन तोपों को ऊंचे सामरिक ठिकानों पर आसानी से ले जाया जा सकता है। हॉवित्सर तोप का वजन 4 टन से कुछ ही ज्यादा है क्योंकि इसमें टाइटेनियम का इस्तेमाल किया गया है और इसीलिए इसे 16,000 फीट की ऊंचाई तक स्थापित किया जा सकता है। हॉवित्सर तोपों को नई 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर्प्स को दिया जाएगा ताकि चीन के विरूद्ध इसकी तुरंत प्रतिक्रिया की क्षमता में इजाफा हो जाए।

सूत्रों का कहना है कि बोफोर्स को बीएई सिस्टम्स ने खरीद लिया है जिसकी अमेरिका सबसिडियरी भारत में महिंद्रा के साथ मिलकर हॉवित्सर तोपों की सप्लाई के लिए काम करेगी। शुरुआती दो तोपों की सप्लाई में छह महीने लगेंगे और उसके बाद हर महीने दो तोपों की सप्लाई की जाएगी।

 

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