‘भारत कभी अमेरिका पर निर्भरता का रिश्ता नहीं चाहेगा, इंडो-पैसिफिक में चाहता है अहम रोल’

वॉशिंगटन। अमेरिका के एक थिंक टैंक विशेषज्ञ ने सांसदों को बताया कि भारत कभी भी निर्भरता का रिश्ता नहीं चाहेगा, जिसमें अमेरिका को ही सारे दायित्वों का भार वहन करना पड़े, जैसा कि अन्य सहयोगियों की स्थिति में करना पड़ता है. उन्होंने यह माना कि भारत अमेरिका के पारंपरिक सहयोगियों से अलग है. हडसन इंस्टीट्यूट में शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक ‘इनिशिएटिव ऑन द फ्यूचर ऑफ इंडिया एंड साउथ एशिया’ की निदेशक अपर्णा पांडे ने अमेरिकी कांग्रेस की एक बैठक के दौरान सांसदों को बताया, ‘‘भारत कभी भी निर्भरता का संबंध नहीं चाहेगा या ना ही ऐसा संबंध जिसमें सभी दायित्वों का भार अमेरिका को ही उठाना पड़े.’’

‘एशियाज डिप्लोमेटिक एंड सिक्योरिटी स्ट्रक्चर : प्लानिंग यूएस एंगेजमेंट’ विषय पर चल रही बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था एवं भारत – प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा संबंध तथा हित अमेरिका के साथ उसकी प्रगाढ़ सहभागिता पर आधारित है. बैठक का आयोजन हाउस कमेटी ऑन फॉरेन अफेयर्स की एशिया प्रशांत मामलों की उपसमिति ने किया था.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत अमेरिका के पारंपरिक सहयोगियों से अलग है चाहे वह यूरोप, लातिन अमेरिका या एशिया में अमेरिका के सहयोगी हों, जिनके लिये अमेरिका अहम सुरक्षा प्रदाता रहा है.’’ उन्होंने कहा कि भारत अपनी खुद की सुरक्षा क्षमताओं को बनाये रखना चाहता है और वह अमेरिकी करदाताओं पर कभी ‘‘बोझ’’ नहीं बनना चाहता. अपर्णा ने कहा, ‘‘भारत ऐसा संबंध चाहता है जो भारत के संसाधनों एवं क्षमताओं के निर्माण में मदद करे ताकि भारत भारत – प्रशांत में बड़ी भूमिका निभा सके.’’

वहीं दूसरी ओर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने पाकिस्तान पर अमेरिकी राजदूतों के साथ बुरा बर्ताव करने का आरोप लगाया और सांसदों से गुरुवार (24 मई) को कहा कि पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक सहायता की समीक्षा की जा रही है. पोम्पियो सांसद डाना रोहराबाचेर ने उस प्रश्न का जवाब दे रहे थे कि अमेरिका को पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता तब तक रोक देनी चाहिए जब तक कि वह डॉक्टर शकील आफरीदी को रिहा नहीं कर देता. शकील वह चिकित्सक हैं जिन्होंने ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में छिपे होने के सबूत दिए थे.

उन्होंने हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी को बताया, ‘‘पाकिस्तान के मामले में हमने 2018 में कहीं कम धन जारी किया है. बाकी बचे धन पर विचार किया जा रहा है. मेरा अनुमान है कि यह राशि भी कम ही रहेगी.’’ रोहराबाचेर ने कहा कि अगर पाकिस्तान अफरीदी को अब भी जेल में रखता है तो उन्हें पाक को आर्थिक सहायता देने का कोई कारण समझ नहीं आता.

 

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