भारत के निशाने पे केवल पाकिस्तान नहीं बल्कि चीन भी है। भारत का ‘टार्गेट चीन’ मिशन

हम सभी जानते हैं कि भारत का कट्टर दुश्मन पाकिस्तान है। वो पाकिस्तान ही है जो 70 साल से भारत को बरबाद करने का षड्यंत्र रच रहा है। लेकिन पाकिस्तान से भी बड़ा और खतरनाक दुश्मन है चीन। आज कल चीन भारत के हर काम में रोड़ा बनकर खड़ा हो रहा है। दुनिया में भारत का बड़ता हुआ वर्चस्व चीन को एक आँख नहीं भा रहा है। भारत को चारों ओर से घेर ने की मनशा में चीन है। भारत के अंदर राजनैतिक और सरहद पर सामरिक दखल अंदाज़ी कर रहा है चीन।

अब तक भारत के निशाने पे सिर्फ़ पाकिस्तान था लेकिन अब चीन भी आ गया है। भारत के परमाणू कार्यक्रम इसी बात की और अंदेशा करते है कि भारत ‘टार्गेट चीन’ मिशन पर काम कर रहा है। दुनिया के परमाणु कार्यक्रमों पर नज़र रखने वाले अमरीका के दो अग्रणी परमाणु विशेषज्ञों ने एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है। डिज़िटल जर्नल ‘आफ़्टर मिडनाइट’ में छपी इस रिपोर्ट में हैन्स एम क्रिस्टेंसेन और रॉबर्ट एस नौरिस ने बताया है कि भारत अब लंबी दूरी तक मार करने वाली एक ऐसी परमाणु मिसाइल बनाने में व्यस्त है, जिससे वह दक्षिण भारत से चीन के किसी भी क्षेत्र पर निशाना दाग कर चीन को तहस नहस कर सकता है।

अनुमान है कि भारत सूर्य नाम से मिसाइल का विकास कर रहा है जिसकी रेंज 16 हजार किलोमीटर है। जो चीन की किसी भी आधुनिक मिसाइल से ज्‍यादा ताकतवर है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने परमाणु बम बनाने में इस्तेमाल होने वाला लगभग छह सौ किलोग्राम प्लूटोनियम तैयार कर लिया है और परमाणु वैज्ञानिकों का मानना है कि इतना प्लूटोनियम 150-200 बम बनाने के लिए पर्याप्त है। भारत के पास अब तक उपलब्ध मिसाईल -त्रिशूल, आकाश, नाग, प्रुथ्वी शृंखला, अग्नी शृंखला, के मिसाइल शृंखला, शौर्या, ब्रह्मोस, ब्रह्मोस 2, निर्भय, प्रहार, अस्त्र, बराक-8, एंटी रेडियेशन मिसाइल, एंटी सेटलाईट मिसाइल, इंडियन बेलेस्टिक मिसाइल,पृथ्वी एर डिफ़ेन्स, अडवानस्ड एर डिफ़ेन्स आदि हैं।

अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अब नई परमाणु नीति को ध्‍यान में रखकर अपने हथियार विकसित कर रहा है। भारत का पूरा ध्‍यान पहले पाकिस्‍तान को रोकने और संभावित खतरों से निपटने पर रहता था। लेकिन, चीन के साथ रॊज़ हो रही गहमागहमी के चलते भारत अपनी परमाणु नीति को चीन की तरफ मोड़ रहा है। दोनों विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि भारत के पास कम से कम 120 से 130 की संख्या में परमाणु बम हैं। हैन्स एम क्रिस्टेंसेन और रॉबर्ट एस नौरिस ने कहा है कि परमाणु बम गिराने के लिए भारत के पास इस समय कुल सात तरह की रक्षा प्रणाली है, जिनमें दो युद्धक विमान जगुआर और मिराज 2000 शामिल है। इसके अलावा रूसी लड़ाकू विमान सोख़ोई और मिग 27 भी है जिसमें परमाणु हथियार का इस्तेमाल किया जा सकता है।

भारत अग्नी शृंखला की छठी मिसाइल बना रहा है जो 12,000 किलॊमीटर की रेंज पर टार्गेट कर सकता है। इसे भारत के उत्तरपूर्वी क्षेत्र में तैनात किए जाने से बीजिंग और शंघाई सहित पूरा चीन इसकी रेंज में आ जायेगा। अग्नी-6 को पनडुब्बी और ज़मीन दोनों जगहों से लॉन्च किया जा सकेगा और इसे भारत के दक्षिण राज्यों में तैनात किया जा सकता है जहां से वह चीन के किसी भी क्षेत्र को निशाना बना सकता है और साथ ही वह चीन के जवाबी हमले से अधिक दूर हो जायेगा।

माना जा रहा है की डीआरडीओ महाभारत काल के ब्रह्मास्त्र जैसे ही हथियार बनाने में भी जुटा हुआ है। ब्रह्मास्त्र देवताओं का आखरी अस्त्र हुआ करता था जो शत्रुओं को मार कर वापस आया करता था। भारत भी इसी तरह के हथियार बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि इस बात की पुष्टि डीआरडीओ ने नहीं की है। अगर भारत इस अस्त्र को बनाने में सफल हॊता है तो चीन तो क्या दुनिया का कॊई भी देश भारत की तरफ़ आँख उठाकर भी देखने का अपराध नहीं करेगा। आशा करते हैं की डीआरडीओ और भारत सरकार को इतना बल मिले कि वे हमारे दुश्मनों का संहार एक झटके में कर सके।

 

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