भारत-चीन रिश्तों की नई इबारत, 24 घंटे में 6 बार मिलेंगे मोदी-जिनपिंग

वुहान शहर/नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय चीन दौरे पर वुहान शहर पहुंच गए हैं. वह शुक्रवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे. पीएम मोदी के इस दौरे की खास बात ये है कि वो वहां किसी औपचारिक दौरे पर नहीं गए हैं. मोदी और जिनपिंग मिलेंगे तो दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर लंबी बातचीत तो जरूर होगी लेकिन इस बातचीत का मकसद यही है कि दोनों नेता एक-दूसरे के नजरिए से वाकिफ हो सकें. पीएम मोदी और जिनपिंग की इस मुलाकात को पिछले साल के डोकलाम विवाद के बाद इसे दोनों देशों के रिश्तों में विश्वासबहाली का एक अभूतपूर्व कदम माना जा रहा है.पर्सनल केमिस्ट्री के जरिए दोनों नेता आपसी रिश्तों को मजबूत बनाने पर जोर देंगे.

ग्लोबल टाइम्स ने दौरे को बताया ऐतिहासिक

डोकलाम विवाद के दौरान चीन के जिस सरकारी अखबार ने भारत के खिलाफ सबसे ज्यादा ज़हरीले शब्दों का इस्तेमाल किया था, उस ग्लोबल टाइम्स ने पीएम मोदी की इस चीन यात्रा को दोनों देशों के रिश्तों का नया अध्याय कहा है. वुहान शहर में 2 दिनों के दौरान मोदी और जिनपिंग 5 से 6 बार एक-दूसरे से बातचीत करेंगे. इस मुलाकात के लिए जहां चीन ने मोदी के लिए रेड कार्पेट बिछाया है तो भारत ने भी पिछले कुछ हफ्तों में चीन की हर संवेदनशीलता का ख्याल रखा है.

करीब 30 साल बाद भारत-चीन के बीच इतिहास खुद को दोहराएगा

1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी चीन गए थे और चीन के नेता डेंग जिओपिंग से मिले थे तो भारत-चीन के रिश्तों की जमी बर्फ पिघली थी. 2018 भारत और चीन को वो मौका दोबारा दे रहा है. वुहान में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात का आइडिया पिछले साल हुई ब्रिक्स समिट के दौरान सामने आया था. डोकलाम की तनातनी के फौरन बाद मोदी और जिनपिंग चीन के श्यामेन शहर में एक दूसरे से मिले थे.

मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात एक अच्छा कदम

वुहान में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात जून में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन से पहले हो रही है. ये शिखर सम्मेलन चीन के किंगदाओ शहर में होगा. वुहान में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात हो, इससे पहले भारत ने संबंधों को सामान्य करने के लिए बड़ी कोशिशें की हैं. मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात को तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने भी एक अच्छा कदम बताया है. मोदी और जिनपिंग की मुलाकात अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, द्विपक्षीय और क्षेत्रीय संबंधों के लिहाज से अहम है. हालांकि चीन और भारत के बीच व्यापार असंतुलन है. भारत की कोशिश होगी कि इसे दूर किया जाए.

पिछले हफ्ते जिनपिंग से मिली थीं सुषमा स्वराज

वुहान में मोदी-जिनपिंग की इस अनौपचारिक मुलाकात का ऐलान अभी पिछले हफ्ते ही हुआ है, जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज चीन गई थीं. सुषमा वहां द्विपक्षीय मुलाकात और शंघाई कोऑपरेशन आर्गनाइजेशन के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने गई थीं. चीन में सुषमा की राष्ट्रपति शी जिनपिंग और विदेश मंत्री वांग यी समेत कई बड़े नेताओं से मुलाकात हुई. सुषमा स्वराज की इस मुलाकात के दौरान भारत और चीन 2018 में ब्रह्मपुत्र और सतलज नदियों पर दोबारा डेटा साझा करने पर सहमत हुए. डोकलाम विवाद के बाद 2017 में चीन ने हाईड्रोलॉजिकल डेटा नहीं साझा किया था. चीन इस साल नाथुला रूट से कैलाश मानसरोवर यात्रा को भी दोबारा शुरू करने पर राजी हुआ है.

सुषमा के अलावा रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने भी इसी हफ्ते शंघाई सहयोग संगठन में रक्षामंत्रियों के सम्मेलन भी हिस्सा लिया था. सीतारमन की चीन के रक्षामंत्री वेई फेंग से अलग से मुलाकात भी हुई. सीतारमन के इस चीन दौरे के बाद भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय मिलिट्री एक्सरसाइज दोबारा शुरू होने की संभावना जताई जाने लगी है. डोकलाम विवाद के बाद 2017 में चीन में होने वाली साझा सैन्याभ्यास नहीं हो सका था.

 

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