भारत-जापान की दोस्ती: इस बड़ी घोषणा के होते ही उड़ेगी चीन की नींद!

नई दिल्ली। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं. इस दौरे के दौरान एक बड़ी घोषणा यह हो सकती है कि एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर की शुरूआत करने का दोनों देश ऐलान कर सकते हैं. इस कॉरिडोर को चीन के वन बेल्ट वन रोड परियोजना की काट के तौर पर देखा जा रहा है. एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर के जरिए भारत और जापान अफ्रीका में चीन के दबदबे को कम कर अपनी मौजूदगी को बढ़ाना चाहते हैं.

डोकलाम विवाद पर जापानी प्रधानमंत्री ने खुले तौर पर भारत का पक्ष लिया था. भारत को जापान का ये खुला समर्थन चीन को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था. अब जापान और भारत मिलकर एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर का बनाने पर काम कर रहे हैं जिससे चीन और ज्यादा परेशान हो गया है.

एशिया अफ्रीका विकास गलियारा का मुख्य उद्देश्य भारत-जापान की सहभागिता से अफ्रीका में इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना है. इसमें डिजिटल कनेक्टिविटी स्वास्थ्य, दवाईयां, कृषि एवं कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग, डिजास्टर मैनेजमेंट और स्किल डेवलपमेंट मुख्य रूप से शामिल हैं.

चीन वन बेल्ट वन रोड के जरिए जहां एशिया, रूस, मिडिल ईस्ट और यूरोप को एक धागे में पिरोना चाहता है. वहीं भारत और जापान इसकी काट समंदर के रास्ते निकाल रहे हैं.

एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर मुख्य रूप से एक सी कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जाना है
-गुजरात के जामनगर पोर्ट को अदन की खाड़ी में मौजूद जिबूती पोर्ट से जोड़ा जाएगा –3100किमी
-केन्या के मोंबासा और तंजानिया के जंजीबार पोर्ट को तमिलनाडु के मदुरै पोर्ट से जोड़ा जाएगा, मोंबासा से मदुरै 4600 किमी, जंजीबार से 4700 किमी
-कोलकाता पोर्ट को म्यांमार के सित्तवे पोर्ट से जोड़ा जाएगा – 600 किमी

चीन के चिढ़ने की एक बड़ी वजह ये है कि अफ्रीकी देशों में उसने बहुत ज्यादा पैसा निवेश किया है, लेकिन अपनी इस योजना के जरिए भारत और जापान चीन के निवेश को चुनौती देने वाले हैं. एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर परियोजना की शुरूआत में भारत 64 हजार करोड़ रूपए और जापान 1 लाख 86 हजार करोड़ रूपए यानी करीब ढाई लाख करोड़ रूपए का निवेश करने वाले हैं, जो करीब-करीब चीन के निवेश के बराबर हो जाएगा. अफ्रीकी देशों में चीन का निवेश 2015-16 में 2 लाख 44 हजार करोड़ रूपए का है, जबकि भारत ने सिर्फ 14 हजार करोड़ रूपए का ही निवेश अफ्रीकी देशों में किया है.

भारत और जापान के साथ इसमें दक्षिण अफ्रीका, मोज़ाम्बिक, इंडोनेशिया, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं. माना जा रहा है कि इसमें करीब अफ्रीकी देशों के 54 देश, दक्षिण एशिया के 8 देश, दक्षिण-पूर्व के 11 देश, ओशिनिया के 14 देश शामिल होंगे.

वन बेल्ट वन रोड मुख्य रूप से सड़क कॉरिडोर है, जबकि एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर मुख्य रूप से एक सी कॉरिडोर है, यानी समंदर में नए रास्ते को बनाना है. वन बेल्ट वन रोड में पैसा सिर्फ एक देश यानी चीन लगा रहा है. चीन का मकसद साफ है, पूरे इलाके पर अपना दबदबा बढ़ाना, जबकि एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर में 80 से ज्यादा देश और प्राइवेट सेक्टर की भूमिका रहेगी.

 

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