‘भ्रष्ट तंत्र का नेतृत्व एक ईमानदार सीएम के हाथ में है, विवशता, लाचारी जैसा आलम है’

सूर्य प्रताप सिंह

बयानबाज़ी/भाषणबाज़ी में धँसा विकास का पहिया, अब उत्तर प्रदेश के वित्त विभाग में भी घूमा ट्रान्स्फ़र-पोस्टिंग के भ्रष्टाचार का पहिया। २०१९ का चुनाव सामने है तो नेताओं के बड़े-बड़े झूठे वादे, चक-चक पकाऊ भाषण, जाति-धर्म, स्वयं भ्रष्ट नेताओं द्वारा बेशर्मी से ईमानदारी की बातें करना, सब दिखेगा।

उत्तर प्रदेश जैसे ग़रीब, पिछड़े प्रदेश का पीछा भ्रष्टाचार के दानव से न पूर्व सरकारों में छूटा था और न आज ही छूट पाया है। आज एक ट्रेज़री ऑफ़िसर का फ़ोन आया कि इस विभाग (वित्त विभाग) में भी पैसे लेकर मंत्री महोदय ने ख़ूब ट्रान्स्फ़र्स किये हैं। जिन्हें एक वर्ष भी पूरा नहीं हुआ उन्हें हटा कर भ्रष्ट लोगों को तैनात किया गया है। गन्ना विभाग में तो चीनी व शीरा विक्रय में भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हैं ही। पॉंटी चड्ढा का आबकारी व पंजीरी विभाग पर पूर्ण नियंत्रण आज भी बना हुआ है। शिक्षा, PWD, RES, MI, महिला व बाल कल्याण, बिजली विभाग में तो लूट का हाल ही नहीं पूछो।

नॉएडा/ग्रेटर नॉएडा में अधिकांश प्रोजेक्ट बंद हैं। गोमती रिवर्फ़्रंट काम बंद है। उ.प्र. लोकसेवा आयोग में तो भ्रष्टाचार/अकर्मण्यता चरम पर है। कोई भर्ती नहीं हो पा रही है। सरकार का डेढ़ वर्ष गुज़र गया। माध्यमिक व उच्च सेवा आयोग में अयोग्य भ्रष्ट लोगों को तैनात किया गया है।
भ्रष्ट राजनैतिक अमले का नेतृत्व एक ईमानदार मुख्यमंत्री के हाथ में है। विवशता, लाचारी जैसा आलम है। प्रदेश में मंत्रीगण काम कम लेकिन श्रेय लेने की होड़ में कुर्सी बचाने के लिए बड़ी-२ डिंगे बेशर्मी से हाँक रहे हैं, भ्रष्टाचार मचायें हैं।
हाल ही में संघ व सरकार की समन्वय बैठक में नेताओं के कोरे भाषण हुए, संघ के ईमानदार अधिकारियों को मंत्रीगणों के काम काज पर फ़ीड्बैक देने का मौक़ा ही नहीं मिला। सुनील बंसल जी ने ऐसा आडंबर रचा कि एक उपमुख्यमंत्री अपने शिक्षा विभाग की झूठी बातें घंटों हांकते रहे। संघ के लोगों से क्या शिक्षा विभाग की दुर्दशा व भ्रष्टाचार छुपा है, एक निष्ठावान स्वयंसेवक फ़ील्ड में घूमता है और निरपेक्षभाव से सच्चाई का आंकलन करता है। उनके फ़ीड्बैक का सरकार को लाभ लेना चाहिए था, जो नहीं हुआ (यह जानकारी एक संघ के उच्च पदाधिकारी के सूत्रों से प्राप्त हुई)।

१५-१८ तारीख़ में सोमनाथ में संघ की बड़ी बैठक है। देखते हैं कि उत्तर प्रदेश भाजपा संगठन के भ्रष्टाचार पर संघ का क्या रूख रहता है। कभी-२ कुछ भाजपा के भ्रष्ट नेताओं का कॉकस संघ के निष्ठावान बड़े अधिकारियों को भी भ्रमित करने में सफल हो जाता है। वे भी कह उठते हैं कि ‘जब अधिकांश लोग भ्रष्ट हैं तो ईमानदार संगठन का पदाधिकारी उत्तर प्रदेश के लिए कहाँ से लाएं’। उत्तर प्रदेश जैसे उपेक्षित राज्य में भ्रष्ट राजनीति से जनमानस कैसे पार पाए ? अब आम जनता की तो समझ से परे की बात है।
आओ ! अबकी बार फिर बिक जाते हैं, जाति-धर्म के भ्रष्ट, निकम्मे ठेकेदारों को चुनाव जिताते हैं,
ईमानदार घोड़ों को किनारे कर ग़धों से सरकार चलवाते हैं।

(रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
 

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