मंदिर में लोग लड़कियों को छेड़ने जाते हैं ऐसा कहने वाले राहुल आजकल मंदिरों में भटक रहें हैं

२०१४ की लोकसभा चुनावॊं से पहले युवराजा इतने मस्जिद और दरगाहॊं मे नहीं गये हॊंगे जितने वे आज गुजरात चुनाव के चलते मंदिरॊं में मत्था ठेक रहें हैं। जो आजन्म से ही हिन्दू विरॊधी थे, जॊ मुस्ल्मानॊं का तुष्टीकरण के लिए मस्जिद जाते थे, जो मंदिर में जानेवालॊं की अपहास्य करते थे की वे लडकियां छॆडने जाते हैं आज वे मंदिर क्यॊं जा रहें हैं? ज़ाहिर सी बात है की चुनाव के चलते हिन्दू वॊट बैंक को अपनी तरफ़ खींचने के लिए ही जा रहे हैं।

जिनके लिए राम कभी थे ही नहीं, जिनके लिये कृष्ण मात्र एक काल्पनिक व्यक्ती है आज वह उन्ही के मंदिर में कैसे जा रहे हैं? जब से उन्हें पता चला है की हिन्दुओं की भावनाओं की उपेक्षा कर के वे सत्ता हासिल नहीं कर सकते तब से उनका मंदिर भ्रमण शुरू हो गया है। राहुल की मंदिर यात्रा केवल और केवल छल है हिन्दू वॊट बटॊर ने के लिए। हिन्दू सभ्यता से ना उन्कॊ आस्था है और न देव-देवियों से वास्था है।

राहुल की मंदिर यात्रा का आँकडा

गुजरात में – राहुल ने पिछले डेढ महीने में १५ मंदिरॊं के दर्शन किए हैं। भजन और कीर्तन भी गाएं हैं। १३ नवंबर तक १५ मंदिरॊं के दर्शन किए हैं। अक्षरधाम और अंबाजी मंदिर सहित गाँव के छॊटे छोटे मंदिरॊं में भी मत्था ठेका है।

उत्तर प्रदेश में- यूपी चुनाव के दौरान २५ दिनॊं में १४ मंदिरॊं के दर्शन किए हैं।

२०१२ के गुजरात चुनाव में राहुल किसी भी मंदिर में नहीं गये थे। इससे यह साफ हॊता है की उस समय उन्हे हिन्दू वॊट बैंक की ज़रूरत नहीं थी जो की इस बार की चुनाव में नज़र आ रही है।

अपने राजकीय जीवन के पहले चुनाव से लेकर २०१४ तक उन्हॊंने केवल और केवल ७ मंदिरॊं के दर्शन किए थे! जिसने अपने पूरे जीवन में कभी मंदिर के दर्शन नहीं किए हो वह सिर्फ़ डेढ महीनॊं में इतने सारे मंदिरॊं के दर्शन कर रहा है यह कुछ अचंबित करने वाले विषय है। अमॆठी से पहला चुनाव २००४ में लडने के बाद २०१४ तक वे सिर्फ़ ७ मंदिरॊं में ही गये है। संकट मॊचन और विश्वनाथ मंदिर के दर्शन उन्हॊंने २०१४ में पहली बार किया था।

२०१४ में लगा झटका तो लगा मंदिर दर्शन का रॊग।

२०१४ के चुनावॊं में बुरी तरह से पिटने के बाद राहुल को झटका लगा और मंदिर दर्शन रॊग लगा।अपनी पूरी जीवन में इतने मंदिर नहीं गये है राहुल जितना की इन तीन वर्षॊं में गये हैं। ३ साल में ३० मंदिर!! मोदी जी को ‘हिन्दू हृदय साम्राट’ कहा जाता है। मोदीजी केवल चुनाव के लिए या दिखावे के लिए मंदिर नहीं जाते लेकिन राहुल का मंदिर दौरा चुनावी छल के अलावा और कुछ नहीं।

हिन्दुओं की बढती एकता से कंगाल हैं राहुल। इसीलिए अपने राजनीतिक रॊटियाँ सेंकने के लिए वे मंदिर भ्रमण का नाटक कर रहें हैं। अगर उनसे हिन्दू देव-देवियॊं और रामयण महाभारत के बारे पूछा जाएगा तो वे हक्के-बक्के ही रह जाएंगे। राहुल जो कभी मस्जिद और दरगाह पर नमाज़ें पढते थे वे आज कैसे भजन और कीर्तन गा रहें हैं?

राहुल की मस्जिदॊं में बॆंट की कथा सुनिए:

२०१४ का चुनाव प्रचार की शुरुवात बाराबंकी के देवशरीफ दरगाह से किया था।
२००९ में भी चुनाव प्रचार की शुरुवात बाराबंकी के देवशरीफ दरगाह से ही करने की यॊजना थी लेकिन अंत में रद्द कर दिया।
२००९ में राजमाता ने भी रायबरेली में नामांकन भरने के बाद टाकिया में स्थित अली मियां दरगाह पर मत्था टेकने गयी थी।
सामन्य रूप में जब राहुल मंदिर जाते थे तो वे उसी अनुपात से मस्जिद भी जाया करते थे। किन्तु इस बार इस अनुपात में बडा ही अंतर है।
जामा मस्जिद के शाही इमाम तो राहुल की पार्टी को वोट देने का फतवा भी जारी करते हैं जो असंविधानिक है।
हर वर्ष इफ्तार पार्टी का आयॊजन इनके मंत्री करते रहें और वे उधर टॊपी पहन कर जाते रहें। लेकिन एक भी नवरात्री, होली, दिवाली या जगराता का आयॊजन आज तक उन्हॊंने नहीं मनाईं है।

अगर राहुल को मंदिर में इतना ही आस्था है तो अयॊध्या में राम मंदिर बनाने के विषय में उनके क्या विचार है यह जनता को स्पष्ठ करें। आज तक राहुल को राम या कृष्ण के जन्म स्थल में मत्था टेकते हुए नहीं देखा गया है। न आज तक उन्हॊंने राम या कृष्ण जन्माष्ठमी मनाई है। तो फिर आज अचानक ऐसा क्या हुआ की वे केसरिया पहन कर मंदिर जा रहें हैं। अगर अपने आस्था के चलते राहुल मंदिर जास रहें हैं तो इसमें कॊई आपत्ती नहीं हैं। लेकिन यह साफ साफ दिखाई दे रहा है की यह सिर्फ़ हिन्दुओं को भ्रमित कर वॊट बटॊरने के पैंतरें हैं।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button