ममता ने वोटों के खातिर अपने ही सूबे में करा लिया दंगा

mamataनई दिल्ली। निजी फायदे के लिए हुक्मरानों की सियासत जनता के लिए कितनी बेरहम हो सकती है, यह पं. बंगाल में देखा जा सकता है। वर्ग विशेष के वोटों के लिए ममता ने ऐसा आत्मघाती दांव चला कि पं. बंगाल में दंगे भड़क उठे। यह तब हुआ जबकि चंद रोज पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता के फैसले को वर्ग विशेष को खुश करने वाला करार देते हुए बचने की सलाह दी थी।

ममता को हिदायत देते समय कोर्ट के लफ्ज थे-it an “endeavour” to “appease the minority section”। यानी यह अल्पसंख्यकों को खुश करने का एक प्रयास  है। फिर भी ममता की पुलिस ने मुहर्रम को लेकर दुर्गा मूर्तियों के विसर्जन पर नए नियम थोपे तो पिछले गुरुवार से भड़की हिंसा की भेंट अब तक 30 से ज्यादा घर, दुकानें चढ़ चुकी हैं। दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हैं। हिंदुओं के इलाकों से मुसलमान तो मुसलमानों के इलाके से हिंदू घर-बार छोड़कर भाग निकले हैं।

ममता के एक फैसले ने दोनों संप्रदाय के लोगों की जिंदगी का चैन-सुकून छीन लिया। चार दिनों की हिंसा में  घायलों का आधिकारिक आंकड़ा अफसर भी बता पाने में नाकाम हैं। फौरी तौर पर दो दर्जन के घायल होने की बात कही जा रही है। सूबे के पुलिस अफसर मिश्रित आबादी वाले इलाकों पर नजर रखे हैं। कहते हैं कि स्थित तनावपूर्ण मगर नियंत्रण में है।

पं.बंगाल दुर्गापूजा के लिए देश में मशहूर है। यहां के लोग बहुत उत्साह से दुर्गा प्रतिमाओं को स्थापित कर पूजा करते हैं। देश के कोने-कोने से लोग दुर्गा पूजा देखने  बंगाल पहुंचते हैं। इस बार मुहर्रम भी विजयादशमी के मौके पर पड़ गया। पुराने समय से विजयादशमी के दिन मूर्तियों के विसर्जन के लिए जितना समय निर्धारित था,उसमें ममता बनर्जी सरकार ने कटौती कर दिया। कुछ अन्य प्रतिबंध दुर्गा पूजा समितियों पर विसर्जन को लेकर थोपे गए। जिससे गांव से लेकर शहर तक तनाव फैल गया। इस पर दुर्गा पूजा समिति पदाधिकारियों ने कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए उनके कदम को अल्पसंख्यकों को खुश करने वाला बताया।

ममता बनर्जी ने संवेदनशील मसले पर कलकत्ता  हाईकोर्ट की टिप्पणी अनसुनी करते हुए पुलिस को विसर्जन के नए नियम-कायदों का पालन कराने को कहा। इसको लेकर हिंदू-मुस्लिम मिश्रित आबादी वाले इलाकों में तनाव और बढ़ गया। सूबे के कुछ मानिंद लोगों का कहना है कि अगर परंपरागत रूप से जो भी नियम-कायदे तय थे,उसमें कोई छेड़छाड़ न होती तो हिंदू-मुस्लिमों के बीच रार की नौतब ही न आती। शासन का फैसला गलत रहा।

पं. बंगाल में नार्थ 24 परगना जिले के हाजीनगर, हलीशहर इलाके में बुधवार से दंगे की चिंगारी सुलगी। हाजीनगर नैहती मिल स्थित जामा मस्जिद के पास मिश्रित आबादी वाले इलाके में हिंदू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच विवाद हुआ। अल्पसंख्यक वर्ग का कहना है कि मुहर्रम जुलूस में दूसरे पक्ष की ओर से कथित तौर पर बम फेंका गया। जिसके बाद प्रतिक्रियास्वरूप दूसरे समुदाय के इलाके में उन्मादी भीड़ ने धावा बोलकर घर और दुकानें जला दीं। वार्ड 23 के भाजपा पार्षद रविशंकर सिंह कहते हैं कि उन्होंने तनाव को नियंत्रित करने की कोशिश की  मगर अल्पसंख्यकों की भीड़ हिंसा  पर उतारू थी।

विपक्षी नेता अब्दुल मन्ना ने वाम नेता सुजान चक्रवर्ती के साथ दंगा पीड़ित इलाकों का दौरा करने की कोशिश की तो उन्हें पुलिस ने रोक लिया। अब्दुल मन्ना ने राज्य में दंगों के लिए भाजपा और ममता बनर्जी की तृणमूल सरकार को जिम्मेदार ठहराया। कहा कि ममता सरकार की गलत नीतियों के जरिए भाजपा सूबे को दंगे की आग में झुलसाने की कोशिश कर  रही है। मन्नान ने कहा कि प्रशासनकि विफलता के कारण राज्य में दंगे हुए।

 

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