मलबे में दबे पिता ने किया फोन, ‘मदद करो, सांस चल रही है’

मुंबई। मंगलवार को घाटकोपर की जो बिल्डिंग भरभराकर मलबे में तब्दील हो गई थी, उसमें रहने वाले 26 वर्षीय दर्शन दोषी का फोन शाम 5 बजकर 10 मिनट पर अचानक रिंग हुआ, जो उम्मीद की किरण बन गया। बिल्डिंग के मलबे के नीचे दबे उनके 57 वर्षीय राजेश दोषी सांस तो ले पा रहे थे लेकिन अपनी जगह से हिल नहीं पा रहे थे। पिता राजेश ने बेटे को फोन कर कहा, ‘मैं सांस तो ले पा रहा हूं लेकिन मलबे के नीचे अपने पांव निकाल नहीं पा रहा।’

दर्शन अपनी मां रीता के साथ मंदिर गए हुए थे, पिता की आवाज सुनते ही उन्होंने अपनी मां को फोन दे दिया। रीता को दूसरी तरफ से फोन पर सुनाई दिया, ‘एक दीवार मेरे पैरों पर गिर गई है, जिसमें मैं फंस गया हूं। मैं सांस तो ले पा रहा हूं, लेकिन निकल नहीं पा रहा।’ राजेश ने रीता और दर्शन से कहा, ‘लोगों से कहो कि मुझे बाहर निकालें, मेरी मदद करें।’ राजेश ने पूरी डीटेल दी कि वह कहां फंसे हुए हैं।

गनीमत थी कि राजेश का फोन चल रहा था और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा था, इसी वजह से वह अपने परिवार से संपर्क कर पा रहे थे। उन्होंने पत्नी रीता से 3 बार बात की। फोन पर संपर्क होने के बाद NDRF की टीम करीब 7:30 बजे शाम को बाहर निकालने में कामयाब हुई। उनकी को बचने की उम्मीद तब नजर आई जब शाम 5 बजकर 10 मिनट पर उनके मोबाइल फोन पर उनके पिता का नंबर फ्लैश हुआ। उनके बाहर निकलने के बाद परिजनों ने उन्हें जूस और दवाएं दीं।

अकेले राजेश ही नहीं थे, जो इस तरह से मलबे से बाहर निकल पाने में कामयाब हुए। मलबे में फंसे कई अन्य लोगों ने भी अपने परिजनों से फोन पर बात की और इस भयंकर हादसे का शिकार होने से बच पाए।

 

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