महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार को धमकाया, कहा- अगर विशेषाधिकारों को छेड़ा तो घाटी में तिरंगा नहीं उठाया जाएगा

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार (28 जुलाई) को दो टूक कहा कि अगर घाटी के लोगों के विशेषाधिकारों में किसी तरह की छेड़खानी की गई तो यहां तिरंगा पकड़ने वाला कोई नहीं होगा. उन्होंने कहा कि एक तरफ “हम संविधान के दायरे में कश्मीर मुद्दे का समाधान करने की बात करते हैं और दूसरी तरफ हम इसपर हमला करते हैं.” आखिर इन सबके चलते सबसे ज्यादा इसे लेकर राज्य ने ही भुगता है.

सीएम महबूबा ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि, “कौन यह कर रहा है. क्यों वे ऐसा कर रहे हैं (अनुच्छेद 35 ए को चुनौती) मुझे आपको बताने दें कि मेरी पार्टी और अन्य पार्टियां जो तमाम जोखिमों के बावजूद जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय ध्वज हाथों में रखती हैं, मुझे यह कहने में तनिक भी संदेह नहीं है कि अगर इसे लेकर कोई भी बदलाव किया गया तो फिर (राष्ट्रीय ध्वज) को थामने वाला घाटी में कोई नहीं होगा.” मुझे साफ तौर पर कहने दें. यह सब करके (अनुच्छेद 35 ए) को चुनौती देकर, आप अलगाववादियों को निशाना नहीं बना रहे हैं. उनका (अलगाववादी) एजेंडा अलग है और यह बिल्कुल अलगाववादी है.”

महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि, आप उन शक्तियों को कमजोर कर रहे हैं जो भारतीय हैं और भारत पर विश्वास करते हैं और चुनावों में हिस्सा लेते हैं और जो जम्मू कश्मीर में सम्मान के साथ जीने के लिये लड़ते हैं. साल 2014 में एक एनजीओ ने रिट याचिका दायर करके अनुच्छेद 35 ए को निरस्त करने की मांग की थी. मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है. महबूबा ने कहा कि कश्मीर भारत की परिकल्पना है.

उन्होंने कहा, ”समस्या का निवारण करने की बजाय हमने सरकार को बर्खास्त करने या साजिश, राजद्रोह के आरोप लगाने जैसे प्रशासनिक कदम उठाए.” उन्होंने कहा, ”इन प्रशासनिक कदमों ने कश्मीर के विचार का समाधान करने में हमारी मदद नहीं की है.” उन्होंने बताया कि किस तरह विभाजन के वक़्त मुस्लिम बहुल राज्य होने के बावजूद कश्मीर ने दो राष्ट्रों के सिद्धांत और धर्म के आधार पर विभाजनकारी बंटवारे का उल्लंघन किया और भारत के साथ रहा. भारत के संविधान में जम्मू कश्मीर के लिये विशेष प्रावधान हैं. दुर्भाग्य से समय बीतने के साथ दोनों पक्षों ने बेईमानी शुरू कर दी.” उन्होंने केंद्र और राज्य की ओर इशारा करते हुए कहा कि दोनों पक्ष हो सकता है अधिक लालची हो गये हों और बीते 70 बरसों में घाटी को ही भुगतना पड़ा.

 

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