मांसाहारी भोजन ग्रीनहाउस गैस के 50 फीसदी से ज्यादा उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार
विशेषज्ञों का कहना है कि पशुओं से प्राप्त होने वाले उत्पाद एवं डेयरी उत्पाद प्रदूषण के लिए वैसे ही जिम्मेदार हैं जैसे कि सड़कों पर चलते वाहनों से होने वाला उर्त्सजन।अमेरिकी पत्रिका ‘ प्रोसिडिंग्स ऑफ दि नेशनल अकेडमी ऑफ साइंसेज ’ के एक अध्ययन के मुताबिक पौधों से प्राप्त आहार को ज्यादा से ज्यादा अपनाने व मांसाहार भोजन का परित्याग करने से भोजन से होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 70 फीसदी तक की कमी हो सकती है। शाकाहारी भोजन करने वाली एक विपणन ऑफिसर विचित्रा अमरनाथन ने बोला , ‘‘ पर्यावरण को बचाने के लिए इस समय हम सबसे बड़ी पहल शाकाहार अपनाकर कर सकते हैं।
मांसाहारी भोजन ग्रीनहाउस गैस के 50 फीसदी से ज्यादा उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। ’’ शाकाहारी भोजन के बढ़ते प्रचलन के बीच कल विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी के कई रेस्त्रां विशेष शाकाहारी व्यंजन परोसेंगे। उदाहरण के रूप में कल से ‘ द मेट्रोपॉलिटन होटल एंड स्पा ’ में स्थित ‘ जिंग ’ रेस्त्रां विशेष शाकाहारी सूप , पिज्जा , भूमिकाआदि परोस रहा है।
रेस्त्रां में ऐसा छह जून तक जारी रहेगा। जैसे रोज कैफे , स्मोक हाउस डेली व कैफे टर्टल जैसे कई कैफे में विशेष शाकाहारी व्यंजन परोसे जा रहे हैं जो मांसाहारी व्यंजनों का विकल्प हैं यानि शाकाहारी व्यंजन होने के बावजूद खाने में मांसाहारी व्यंजन जैसे लगते हैं। इसके अतिरिक्त फैशन एवं कॉस्मेटिक्स में ऐसे उत्पाद प्रचलित हो रहे हैं जिनमें पशु ओं से मिलने वाले उत्पादों का प्रयोग नहीं होता।
कॉस्मेटिक कंपनी ‘ एपीएस कॉस्मेटोफूड ’ के संस्थापपक हिमांशु चड्ढ़ा ने बोला , ‘‘ हम 100 फीसदी प्राकृतिक चीजों का प्रयोग करते हैं जिन्हें जैविक रूप से उगाया जाता है व हमारे उत्पाद बनाने में शराब , सरफेक्टैंट्स , पैराबेन एवं दूसरे रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता जिससे बहुत ज्यादा हद तक पर्यावरण को बचाने में मदद मिलती है। ’’ पर्यावरणविद गौरव बंद्योपाध्याय ने कहा, ‘‘अपने बगीचे में रसोइघर के जैविक अपशिष्ट का प्रयोग करे। सब्जियां उगाएं क्योंकि शाकाहारी भोजन देने के अतिरिक्त वे आपको ताजा ऑक्सीजन भी देते हैं। ’’
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